चीन का डर्टी गेम: भारत के खिलाफ उठाया सबसे खतरनाक कदम, सेना तैयार
भारत चीन के मंसूबों को अच्छे से जानता है। इसी वजह से भारतीय सेना ने पूर्वी लद्दाख समेत वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के तीनों सेक्टरों में चौकसी और भी ज्यादा बढ़ा दी है। आगे की रणनीति पर फैसले के लिए जल्द ही शीर्ष स्तर की बैठक होगी।
नई दिल्ली: भारत और चीन के बीच सीमा विवाद का मसला उलझता ही जा रहा है। दोनों तरफ से सैन्य स्तर पर कई बार वार्ताएं भी हुई लेकिन कोई ठोस नतीजा नहीं निकला। जिसके बाद से अब नौबत युद्ध तक आ पहुंची है।
चीन ने सीमा पर 60 हजार सैनिक उतार दिए हैं और हर समय युद्ध के लिए तैयार रहने को बोला है। जवाब में भारत ने भी बड़े पैमाने पर सेना की तैनाती करने के साथ ही खतरनाक टैंक, गोला बारूद और युद्ध से जुड़ी सभी जरूरी सामग्री पहले ही वहां पर पहुंचा दी है।
तैयारी ऐसी है कि अगर चीन ने ठण्ड के मौसम में भी कोई गुस्ताखी करने की कोशिश की तो भारतीय सेना ठण्ड से बचते हुए उनका मुंहतोड़ जवाब देगी।
सैनिकों को गर्म कपड़े, चश्में, हीटर और भी जरूरी सामान उपलब्ध करा दिए गये हैं। बड़े पैमाने पर खाने पीने के सामान को अभी से स्टोर करके रखा जा रहा है।
ताकि ठण्ड के मौसम में लद्दाख में बर्फबारी होने पर रास्ता अगर बंद भी हो जाता है तो हमारे सैनिकों को खाने पीने और दूसरी चीजों की कोई भी कमी न होने पाए।
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पीएम मोदी और रक्षामंत्री राजनाथ सिंह रखें हुए हैं चीन पर नजर
खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षामंत्री राजनाथ सिंह लद्दाख का दौरा कर चुके हैं और सैनिकों को भरोसा दिलाया है कि इस वक्त पूरा देश उनके साथ खड़ा है। उन्हें किसी भी तरह की परेशानी नहीं आने दी जाएगी। सरकार उनके परिवार को देख रही है।
भारतीय सेना ने पूर्वी लद्दाख समेत वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के तीनों सेक्टरों में चौकसी और भी ज्यादा बढ़ा दी है। आगे की रणनीति पर फैसले के लिए चाइना स्टडी ग्रुप (सीएसजी) की बैठक जल्द ही होगी।
वहीं भारत और चीन के बीच चल रही सैन्य वार्ता के बावजूद हालात सुधरने की जगह और भी ज्यादा बिगड़ते ही जा रहे हैं। बीजिंग की ओर से भारत की संप्रभुता पर सवाल खड़े करने को विश्वास बहाली पर चोट माना जा रहा है।
भारत सरकार इसको लेकर चिन्तित भी है और चीन के इस पैंतरे से सेना और सरकार कई स्तर पर नए सिरे से सैन्य और सामरिक हालात की समीक्षा कर रही हैं।
चीन ने 1959 की स्थिति मानने की बात से किया इनकार
सूत्रों ने बताया, कि चीन ने 21 सितंबर को छठे दौर की बातचीत के अगले दिन एलएसी को लेकर 1959 की स्थिति मानने की बात कह सीमा प्रबंधन पर अब तक हुए सभी करारों पर सवाल उठा दिए।
वहीं भारत ने कोर कमांडरों की सोमवार को हुई सातवें दौर की बातचीत में चीन के इस पैंतरे से सतर्क होते हुए सकारात्मक दिशा की तरफ बढ़ने की गंभीर कोशिश की, लेकिन अगले ही दिन चीन ने फिर लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश के वजूद पर सवाल उठाकर अपना मकसद साफ़ कर दिया।
जानकारों की मानें तो चीन किसी भी तरह भारतीय सेना की मजबूत स्थिति वाली जगहों को पहले खाली कराने पर तूला हुआ है। उसे मालूम है कि भारत अगर इन जगहों पर इसी तरह से डटा रहा तो आगे चलकर उसके लिए बड़ी मुसीबत पैदा हो सकती है।
अमेरिका और जापान की तरह ही भारत भी उसके लिए बड़ा खतरा साबित हो सकता है। जानकारों की मानें तो, सैन्य बातचीत में साझा बयान जारी कर दोनों पक्ष एलएसी पर यथास्थित बनाने की कोशिश में जरूर हैं।
लेकिन शी जिनपिंग की अगुवाई वाली चीनी सरकार के उकसाने वाले बयान के बाद पूरी सामरिक रणनीति को नए सिरे से देखा जा रहा है। सातवें दौर की बातचीत के बाद भी सेना पीछे हटाने के संबंध में कोई टाइम लाइन तय नहीं की जा सकी है।
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चीन जानबूझकर मामले को तूल देना चाहता है: जनरल मलिक
वहीं कारगिल युद्ध के समय सेना प्रमुख रहे जनरल (सेवानिवृत्त) वीपी मलिक का कहना है कि चीन सैन्य स्तर पर निपटने वाले मुद्दों में राजनीतिक और मनोवैज्ञानिक पैंतरेबाजी दिखा कर हालात और बिगाड़ने के संकेत दे रहा है।
चीन की कथनी और करनी में अंतर शुरू से ही रहा है, लेकिन एलएसी पर बातचीत करते-करते भारत की संप्रभुता पर सवाल खड़े करके उसने आपसी विश्वास की जड़ पर आघात किया है।
भारत सरकार और सेना को समझना होगा कि यकीन के आधार के बिना एलएसी से हटने की बात बेमानी है। लिहाजा चीन के किसी भी दुस्साहस के लिए सतर्क रहना होगा।
एशिया में भारत ही ऐसा देश है जो चीन मुकाबला दे सकता है। जबकि चीन झूठ और भ्रम फैलाकर असली मकसद को कायम करने की रणनीति पर काम कर रहा है।
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