चीन अब नहीं बचेगा: गार्डियन ड्रोन है बहुत खतरनाक, इस देश से खरीदेगा भारत
पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत अब एक्शन मोड में आ गया है। चीन को सबक सिखाने के लिए और चीन की हरकतों पर नज़र रखने के लिए भारत अब अमेरिका से 30 MQ-9B गार्डियन ड्रोन खरीदेगा। इस ड्रोन से चीन की हरकतों पर नज़र रखा जा सकेगा।
नई दिल्ली: भारत और चीन के बीच चल रहे विवाद अभी ज्यों का त्यों बना हुआ है आये दिन चीन की नई-नई हरकतें सामने आती रहती हैं। इसी बीच पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत अब एक्शन मोड में आ गया है। चीन को सबक सिखाने के लिए और चीन की हरकतों पर नज़र रखने के लिए भारत अब अमेरिका से 30 MQ-9B गार्डियन ड्रोन खरीदेगा। इस ड्रोन से चीन की हरकतों पर नज़र रखा जा सकेगा।
मिसाइल टेक्नोलॉजी को भारत में ही डेवलप करने पर जोर
रक्षा सूत्रों से पता चला है कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अगुवाई वाली रक्षा खरीद परिषद में पेश किया जाने वाला है। इसके साथ ही भारत अपने मौजूदा इजरायल हेरोन बेड़े को भी सैटेलाइट कम्युनिकेशन डिवाइस के जरिए और मजबूत कर रहा है।चीन के साथ सीमा पर बढ़ते तनाव को देखते हुए भारत अपनी रक्षा खरीद को तेज कर रहा है। वेपंस सिस्टम से लेकर मिसाइल टेक्नोलॉजी तक भारत में ही डेवलप करने को प्राथमिकता दी जा रही है।
अमेरिका से 30 जनरल एटॉमिक्स एम क्यू- 9 रीपर ड्रोन खरीदने की तैयारी
जरूरत के मुताबिक, कुछ हथियारों को विदेश से भी खरीदा जा रहा है। रक्षा मंत्रालय अमेरिका से 30 जनरल एटॉमिक्स एम क्यू- 9 रीपर ड्रोन खरीदने की तैयारी में है। करीब 22,000 करोड़ रुपये में यह डील हो सकती है। ये डील दो हिस्सों में होगी। पहले छह रीपर मीडियम ऑल्टिट्यूड लॉन्गक एंड्योरेंस ड्रोन्स खरीदे जाएंगे, जिनकी डिलीवरी अगले कुछ महीनों में हो जाएगी। बाकी 24 ड्रोन्स अगले तीन साल में डिलीवर होंगे।
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तो आईये जानते हैं इन ड्रोन्सल की खासियत?
-ड्रोन बनाने वाली कंपनी जनरल एटॉमिक्स का दावा है कि यह ड्रोन 27 घंटे से भी ज्याॉदा वक्तन तक उड़ सकता है।
-MQ-9 रीपर ड्रोन की अधिकतम स्पीछड 444.5 किलोमीटर प्रतिघंटा है। यह 50,000 फीट की ऊंचाई तक उड़ान भर सकता है।
-MQ-9 एक साथ 12 मूविंग टारगेट्स को ट्रैक कर सकता है।एक मिसाइल छोड़ने के सिर्फ 0.32 सेकेंड बाद दूसरे मिसाइल छोड़ सकता है।
-ये कुल 1,746 किलो का वजन उठा सकता है। ड्रोन पर 1361 किलो वजन लादा जा सकता है।
-इस ड्रोन में फॉल्ट -टॉलरेंट फ्लाइट कंट्रोल सिस्टडम और ट्रिपल रिडन्डेंवट एवियॉनिक्सा सिस्टकम आर्किटेक्च र लगा हुआ है।
-ये बेहद मॉड्युलर ड्रोन होते हैं, जिनमें आसानी से पेलोड्स को कनफिगर किया जा सकता है।ये रियल टाइम में पूरी दुनिया में कहीं भी डेटा भेजने में सक्षम है।
-इलेक्ट्रो -ऑप्टिकल इन्फ्रा रेड (EO/IR), सर्विलांस रडार, मल्टीय-मोड मैरिटाम सर्विलांस रडार, लिंक्स् मल्टी -मोड रडार, इलेक्ट्रॉ निक सपोर्ट मेजर्स (ESM), लेजर डेसिग्नेOटर्स के अलावा ये कई वेपंस पैकेज ले जाने में सक्षम है। AGM-114 हेलफायर मिसाइलें और लेजर गाइडेड बम ले जा सकता है।
-ये ड्रोन खतरों को ऑटोमेटिक डिटेक्टक करने में सक्षम है। सिंथेटिक अपर्चर रडार, वीडियो कैमरा और फारवर्ड लुकिंग इन्फ्रा रेड से लैस है।
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आपातकालीन वित्तीय शक्तियों के तहत यह खरीद की जाएगी
रक्षा से सम्बंधित भारत हेरोन बेड़े को भी मजबूत कर रहा है। इसके लिए इजराइल से हेरोन ड्रोन और स्पाइक एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइलें खरीदा जाएगा। सरकार द्वारा दी गई आपातकालीन वित्तीय शक्तियों के तहत यह खरीद की जाएगी। भारतीय थल सेना, नौसेना और वायु सेना में पहले से ही मानवरहित हेरोन ड्रोन (हेरोन यूएवी) हैं। भारतीय सैन्य दलों द्वारा लद्दाख सेक्टर में इसका इस्तेमाल भी किया जा रहा है।
10 हजार मीटर की ऊंचाई से टोह लेने में सक्षम
इजराइल से खरीदे जाने वाला हेरोन ड्रोन लगातार दो दिनों से अधिक समय तक उड़ान भरने और 10 हजार मीटर की ऊंचाई से टोल लेने में सक्षम है। भारतीय सेनाएं यूएवी के आर्म्ड वर्जन को हासिल करने की तैयारी में है। साथ ही भारतीय वायुसेना के महत्वाकांक्षी 'ऑपरेशन चीता' के तहत मौजूदा यूएपी को अपग्रेड कर उन्हें लड़ाकू यूएवी में बदलने की भी योजना है।
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