कोरोना की दूसरी लहर- नए स्ट्रेन बन सकते हैं जान की आफत, ये जानकारी बेहद जरूरी

देश के कुछ हिस्सों में देखा गया है कि इस बार वायरस फैलने की रफ्तार ज़्यादा है, लेकिन उसके घातक होने की कम। इस बार उम्रदराज़ लोग पहले की तुलना में ज़्यादा चपेट में आ रहे हैं।

Update: 2021-03-22 09:02 GMT
बीते साल भी महाराष्ट्र से ही कोरोना के सबसे अधिक मरीज आए थे। देखा जाए तो देश के 90 प्रतिशत से अधिक मामले इस समय महाराष्ट्र से ही आ रहे हैं।

नीलमणि लाल

नई दिल्ली। देश में कोरोना की दूसरी लहर का प्रकोप दिन ब दिन बढ़ता जा रहा है। संक्रमण फैलने के लिए जहाँ वायरस के नए स्ट्रेन जिम्मेदार हैं वहीं लोगों की लापरवाही भी उतनी की दोषी है। दिल्ली एम्स के डायरेक्टर डॉ रणदीप गुलेरिया ने भी कहा है कि संक्रमण से बचाव के नियमों के प्रति लापरवाही, भीड़ और वायरस के नए वेरिएंट्स कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों का संभावित कारण हैं।

कोरोना की दूसरी लहर ज्यादा घातक

डॉ गुलेरिया ने कहा कि अगर लोग नियमों का पालन नहीं करते तो कोरोना वायरस की यह दूसरी लहर पहली लहर जितनी घातक हो सकती है। उन्होंने टेस्टिंग, ट्रैकिंग और आइसोलेशन के मूल सिद्धांत में ढील को भी इस उछाल का एक कारण बताया है। डॉ गुलेरिया ने आशंका जताई है कि कोरोना की दूसरी लहर में ज्यादा मौतें हो सकतीं हैं।

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देश के कुछ हिस्सों में देखा गया है कि इस बार वायरस फैलने की रफ्तार ज़्यादा है, लेकिन उसके घातक होने की कम। इस बार उम्रदराज़ लोग पहले की तुलना में ज़्यादा चपेट में आ रहे हैं और यह भी ट्रेंड है कि पूरा परिवार या मोहल्ला ही संक्रमित पाया जा रहा है।

भीड़-भीड़ वाले आयोजन ही सुपर-स्प्रेडर बन रहे हैं

डॉ गुलेरिया ने कहा कि कोरोना से बचाव के लिए जैसा अव्यवहार करना चाहिए, वैसा नहीं किया जा रहा है। लोगों को लग रहा है कि महामारी खत्म हो गई है क्योंकि वैक्सीन आ गई है। यही वजह है कि लोग मास्क नहीं पहन रहे हैं। हर जगह भीड़-भाड़ देखने को मिल रही हैं और वो भी बिना मास्क के। ऐसे भीड़-भीड़ वाले आयोजन ही सुपर-स्प्रेडर बन रहे हैं।

सुपर-स्प्रेडर ऐसे आयोजन को कहा जाता है जिससे बड़े पैमाने पर कोरोना फैलता है। एक कारण यह भी है कि अब हम टेस्टिंग, ट्रैकिंग और आइसोलेशन के मूल सिद्धांत में भी ढील दे रहे हैं। इसमें उतनी गंभीरता नहीं दिखा रहे जितनी छह महीने पहले दिखा रहे थे।

वायरस खुद म्यूटेट हो रहा, इसके कुछ वेरिएंट्स पहले से ज्यादा संक्रामक

तीसरा कारण यह है कि वायरस खुद भी म्यूटेट हो रहा है और इसके कुछ वेरिएंट्स पहले से ज्यादा संक्रामक हैं। डॉ गुलेरिया ने साफ़ कहा कि मास्क न पहनने और कॉन्टेक्ट ट्रैसिंग न करने पर मामले और तेजी से बढ़ सकते हैं। अगर कोरोना के नए वेरिएंट्स ज्यादा गंभीर बीमारी या संक्रमण के ज्यादा मामले पैदा करेंगे तो यह चिंतनीय होगा। उन्होंने कहा कि हम जैसे-जैसे आगे बढ़ेंगे, दूसरे वेरिएंट्स भी पैदा होंगे और वैक्सीनों में बदलाव करने की जरूरत पड़ेगी। उन्होंने दूसरी लहर में मामलों और मृत्यु दर में वृद्धि की आशंका भी जताई।

एक महीने में बिगड़ गयी कोरोना से स्थिति

देश में पिछले एक महीने में कोरोना वायरस महामारी की स्थिति बिगड़ी है। बीते साल नवम्बर में जो स्थिति थी अब हम वहीं पहुँच गए हैं। देश में अभी तक कुल 1.16 करोड़ लोगों को कोरोना से संक्रमित पाया जा चुका है और लगभग 1.60 लाख लोगों की मौत हुई है। सक्रिय मामलों की संख्या भी बढ़कर तीन लाख से अधिक हो गई है।

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महाराष्ट्र में स्थिति सबसे अधिक खराब है और यहां दैनिक मामलों की संख्या पिछले साल के चरम को भी पार कर गई है। महाराष्ट्र के अलावा पंजाब, गुजरात और छत्तीसगढ़ में भी स्थिति चिंताजनक है। इसके अलावा राजधानी दिल्ली में भी मामले बढ़ने लगे हैं। लापरवाही का आलम ये है छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में क्रिकेट सीरीज का आयोजन किया गया जहाँ स्टेडियम में कोई रोकटोक नहीं थी और हजारों की भीड़ जुट रही थी। अब ऐसे आयोजन अगर सुपर स्प्रेडर नहीं बनेंगे तो और क्या होगा।

पुणे बना हॉटस्पॉट

इस बार पुणे में सबसे तेजी से मामले बढ़ रहे हैं। ईज ऑफ लिविंग इंडेक्स के हिसाब से पुणे को देश में दूसरा सबसे बेहतरीन शहर माना गया है। यहां पर साक्षरता दर 89.45 फीसदी है। यहाँ काफी पढ़े लिखे लोग रहते हैं जो कोरोना गाइड लाइन का पूरी तरह से पालन करते हैं। इसके बावजूद पुणे में रोजाना औसतन 3 हजार मामले सामने आए हैं।

कुछ एक्सपर्ट्स का कहना है कि शहर के न्यू नतम और अधिकतम तापमान में काफी अंतर है। तापमान में इतना बड़ा बदलाव होने के कारण लोगों का इम्यून प्रभावित हो रहा है। इम्यूशन सिस्टमम बिगड़ने की वजह से लोग चपेट में आसानी से आ रहे हैं। पुणे और पिंपरी चिंचवाड़ा में कोरेाना की जांच में बढ़ाया गया है। इस कारण से भी कोरोना मरीजों की संख्याो ज्यासदा पता चल रही है।

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देश कि किसी भी हिस्से में इतनी बड़ी संख्याा में टेस्टिंग नहीं की जा रही है। यही कारण है कि अन्य जगहों पर कोरोना के मामले कम दिखाई दे रहे हैं। कोरोना के बढ़ते मामलों के पीछे पुणे में बढ़ता शहरीकरण और भारी ट्रैफिक को भी बताया गया है। बहरहाल, पुणे में रोजाना जितने केस आ रहे हैं उससे लगता है कि कहीं यहाँ पूर्ण लॉकडाउन न लगा दिया जाये। पुणे में सीनियर सिटिज़न्स की भी बड़ी संख्या है ऐसे शासन-प्रशासन की चिंताएं बढ़ती जा रहीं हैं।

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