SCO बैठक में भारत ने पाकिस्तान को भेजा न्योता, गोवा में होने वाली है विदेश मंत्रियों की अहम बैठक

SCO Meeting: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की ओर से भारत के साथ दोस्ती का हाथ बढ़ाए जाने के बाद भारत की ओर से शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के विदेश मंत्रियों की गोवा में होने वाली बैठक में पाकिस्तान को न्योता भेजा गया है।

Report :  Anshuman Tiwari
Update:2023-01-25 10:14 IST

शंघाई सहयोग संगठन की बैठक के बाद विदेश मंत्री (सोशल मीडिया)

SCO Meeting in India: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की ओर से भारत के साथ दोस्ती का हाथ बढ़ाए जाने के बाद भारत की ओर से शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के विदेश मंत्रियों की गोवा में होने वाली बैठक में पाकिस्तान को न्योता भेजा गया है। शहबाज शरीफ ने पिछले दिनों भारत के साथ तीन युद्धों से सबक सीखने और भविष्य में भारत के साथ शांतिपूर्ण संबंध बनाने का बड़ा बयान दिया था। इसके बाद भारत की ओर से बड़ा कदम उठाते हुए गोवा में होने वाली शंघाई सहयोग संगठन के विदेश मंत्रियों की बैठक में पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी को आमंत्रण भेजा गया है। इस्लामाबाद स्थित भारतीय उच्चायोग के माध्यम से भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर की ओर से यह आमंत्रण भेजा गया है।

भारत ने उठाया बड़ा कदम

अगर पाकिस्तान की ओर से गोवा में होने वाली इस महत्वपूर्ण बैठक में हिस्सा लेने का फैसला किया जाता है तो पिछले 12 वर्षों के दौरान यह पहला मौका होगा जब पाकिस्तान का कोई मंत्री भारत के दौरे पर आएगा। इससे पूर्व जुलाई 2011 में पाकिस्तान की विदेश मंत्री हिना रब्बानी खान ने भारत का दौरा किया था। खान के इस दौरे के बाद दोनों देशों के रिश्तों में बड़ा तनाव पैदा हो गया था और किसी पाकिस्तानी मंत्री ने पिछले 12 वर्षों के दौरान भारत की यात्रा नहीं की है।

इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत पाकिस्तान से आतंकवाद और हिंसा का रास्ता छोड़कर बातचीत के जरिए द्विपक्षीय मुद्दों को सुलझाने पर जोर देता रहा है। अखबार से बातचीत में एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि पड़ोसी पहले की नीति को बनाते हुए भारत पाकिस्तान के साथ सामान्य रिश्ते बनाना चाहता है। भारत का हमेशा से यह मानना रहा है कि अगर दोनों देशों के बीच कुछ मुद्दे हैं तो उन्हें आतंकवाद व हिंसा का रास्ता छोड़ते हुए शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाया जाना चाहिए।

राष्ट्रीय सुरक्षा पर समझौता नहीं करेगा भारत 

वैसे भारत की ओर से पाकिस्तान को यह बात पूरी तरह स्पष्ट कर दी गई है कि भारत राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े किसी भी मुद्दे पर कोई समझौता नहीं करेगा। भारत की सुरक्षा और क्षेत्रीय अखंडता को कमजोर करने की सभी कोशिशों के खिलाफ भारत भविष्य में भी मजबूत कदम उठाता रहेगा। भारत का मानना है कि ऐसे में अनुकूल माहौल बनाने की जिम्मेदारी पाकिस्तान पर है। पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने आखिरी बार 2011 में भारत की यात्रा की थी।

जबकि भारत की तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने 2015 में इस्लामाबाद में आयोजित हार्ट ऑफ एशिया कांफ्रेंस में हिस्सा लिया था। उसके बाद दोनों देशों के रिश्तों में लगातार तनाव पैदा होता गया। 2016 में पठानकोट और उरी और 2019 में पुलवामा में हुए आतंकी हमलों के बाद दोनों देशों के रिश्ते काफी तनावपूर्ण हो गए थे। कश्मीर में हो रही आतंकी घटनाओं के पीछे अभी भी पाकिस्तान का ही हाथ माना जा रहा है। ऐसे में भारत की ओर से की गई पहल पर पाकिस्तान के जवाब का इंतजार किया जा रहा है। 

भारत की पहल बहुत महत्वपूर्ण 

शंघाई सहयोग संगठन के विदेश मंत्रियों की बैठक इस साल गोवा में 4 और 5 मई को प्रस्तावित है। शंघाई सहयोग संगठन में भारत और पाकिस्तान के अलावा चीन, रूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान और उज़्बेकिस्तान शामिल हैं। पाकिस्तान के अलावा शंघाई सहयोग संगठन के अन्य सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों को भी गोवा में होने वाली बैठक में आमंत्रित किया गया है।

वैसे पाकिस्तान को भेजा गया निमंत्रण सबसे महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि भारत और पाकिस्तान के रिश्ते हाल के वर्षों में काफी तनावपूर्ण रहे हैं। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने हाल में अल अरबिया चैनल से बातचीत के दौरान कश्मीर सहित विभिन्न महत्वपूर्ण मुद्दों के समाधान के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बातचीत की पेशकश की थी। ऐसे में भारत का कदम काफी अहम माना जा रहा है। 

भारत ने 2015 में भेजा था निमंत्रण 

भारत ने 2015 में पाकिस्तान के विदेश मंत्री सरताज अजीज को निमंत्रण दिया था, लेकिन अज़ीज़ द्वारा हुर्रियत से मिलने की इच्छा व्यक्त करने के बाद पूर्व केंद्रीय विदेश मंत्री दिवंगत सुषमा स्वराज और भारत सरकार को यात्रा को रद्द करने के लिए मजबूर होना पड़ा क्योंकि अजीज हुर्रियत के साथ बैठक रद्द नहीं करना चाहते थे।

भारत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि स्वतंत्र और शांतिपूर्ण चर्चा के लिए अनुकूल माहौल बनाने की जिम्मेदारी है। भारत राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर कभी समझौता नहीं करेगा और यदि भारत की क्षेत्रीय अखंडता को खतरे में डालने का प्रयास किया जाता है, तो कड़े कदम उठाए जाएंगे।

सुषमा स्वराज गईं थीं पाकिस्तान 

पाकिस्तान जाने वाली अंतिम भारतीय विदेश मंत्री स्वर्गीय सुषमा स्वराज थीं, जिन्होंने दिसंबर 2015 में इस्लामाबाद में हार्ट ऑफ़ एशिया सम्मेलन में भाग लिया था। उसके बाद पठानकोट, उरी और पुलवामा हमलों के बाद द्विपक्षीय संबंधों में गिरावट आई। जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद पाकिस्तान सीमा पार व्यापार, व्यापार समझौतों और राजनयिक संबंधों के रूप में संबंध और भी खराब हो गए थे।

पाकिस्तान का अड़ियल रुख 

पाकिस्तान के पूर्व प्रधान मंत्री इमरान खान ने भी भारत के प्रति अड़ियल और कड़ा रुख अपनाया लेकिन भुट्टो और जरदारी परिवार ने अपना रुख बदल लिया, हालांकि प्रत्यक्ष रूप से नहीं। इससे पहले 2022 में भी पाकिस्तानी विदेश मंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर अभद्र टिप्पणी की थी। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में यह भी बताया गया है।

कि वर्तमान शासन के तहत नियंत्रण रेखा पर युद्धविराम हुआ है और धार्मिक तीर्थयात्राएं भी आगे बढ़ी हैं और सिंधु जल संधि से संबंधित बैठकें आयोजित की गईं और संधि का पालन किया गया। अगर पाकिस्तान न्योता स्वीकार करता है, तो संभावना है कि शांति पर चर्चा करने और द्विपक्षीय संबंधों को बहाल करने का अवसर मिलेगा।

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