दुर्गेश मिश्र पार्थसारथी
हरियाणा: भारत-पाकिस्तान के बनते-बिगड़ते रिश्तों पर बनीं हिंदी फिल्में ही नहीं बल्कि क्षेत्रीय भाषा की भोजपुरी फिल्में भी सफलता के झंडे गाड़ रही हैं। यह कटु सत्य है कि 1947 में देश विभाजन के बाद से भारत और पाकिस्तान के रिश्ते तल्ख रहे हैं। बंटवारे के बाद से अब तक प्रत्यक्ष और प्रत्यक्ष रूप से दोनों देशों ने जितनी जंग लड़ी है उतनी जंग शायद किसी दूसरे मुल्कों के बीच नहीं हुई। दोनों देशों की इन्हीं लड़ाइयों को कई मुंबइया फिल्मकारों ने 9 एमएम के रुपहले पर्दे पर उतारा है।
1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध पर आधारित चेतन आनंद के निर्देशन में 1973 में बनी फिल्म हिंदुस्तान की कसम को भारत-पाक रिश्तों पर बनी पहली फिल्म माना जाता है। राजकुमार और प्रिया राजवंश की हिंदुस्तान की कसम से शुरू हुआ यह सफर हिंदी सिनेमा से होता हुआ अब क्षेत्रीय भाषा की भोजपुरी फिल्मों तक आ पहुंचा है। भोजपुरी सिनेमा के पिछले छह सात सालों के इतिहास पर नजर डालें तो भारत-पाक रिश्तों पर बनी फिल्मों की एक लंबी फेहरिश्त नजर आती है।
हिंदी के बाद बड़ा है भोजपुरी का दायरा
क्षेत्रीय भाषा की फिल्मों से जुड़े कुछ लोगों का मानना है कि हिंदी के बाद अन्य क्षेत्रीय भाषाओं के मुकाबले भोजपुरी और भोजपुरी भाषा की फिल्मों का दायरा काफी बड़ा है। भोजपुरी उत्तर और पूर्वोत्तर भारत के अधिकांश भागों मे अन्य क्षेत्रीय भाषाओं के साथ मिलकर बोली जाती है। जैसे पंजाबी गानों को बिहार के चंपारन या पूर्णिया में बैठा ठेठ बिहारी समझ सकता है वैसे ही भोजपुरी गानों को राजस्थानी और छत्तीसगढिय़ा भी समझ सकता है। भोजपुरी मीरा के पद की तरह है। शायद इसलिए भोजपुरी सिनेमा का दायरा बढ़ा है।
देखा जाए तो पाकिस्तान की सरहद से जम्मू-कश्मीर, पंजाब, राजस्थान और गुजरात सीमाएं लगती हैं। हिंदी फिल्मों की शूटिंग जहां सरहदी इलाकों में होती है वहीं भारत-पाकिस्तान के रिश्तों पर बनने वाली भोजपुरी फिल्मों का फिल्मांकन उत्तर प्रदेश और बिहार के लोकेशन में होता है। फिर भी ये फिल्में भोजपुरिया दर्शकों के बीच सफलता का परचम लहरा रही हैं।
जनवरी में बनीं चार भोजपुरी फिल्में
इसी साल जनवरी में भारत-पाकिस्तान पर आधारित भोजपुरी भाषा की चार फिल्में पटना टू पाकिस्तान, चाही दुल्हनियां पाकिस्तान से, गदर और निरहुआ हिंदुस्तानी आई थीं। बॉक्स ऑफिस पर इन चारों फिल्मों ने जबदस्त कमाई की। हालांकि इन फिल्मों का सच्ची घटनाओं से दूर-दूर तक कोई वास्ता नहीं है। फिर भी ये फिल्में दर्शकों में अपनी बैठ बनाने में कामयाब रहीं।
इस साल की चर्चित फिल्में
भारत-पाक के बनते बिगड़ते रिश्तों पर बन रही भोजपुरी फिल्मों की बात करें तो वर्ष 2015-16 से अब तक करीब दो दर्जन से अधिक फिल्में बन चुकीं हैं। हिंदी फिल्मकारों की तरह ही भोजपुरी फिल्मकार भी बखूबी जानते हैं कि यह एक संवेदनशील मुद्दा है। भारत-पाक कथानक पर बनी फिल्मों की सफलता की 90 प्रतिशत गारंटी मानी जाती है। वर्ष 2019 में जनवरी से अब तक बनी फिल्मों की बात करें तो पटना टू पाकिस्तान, गदर, चाही दुल्हिनिया पाकिस्तान से, बार्डर, निरहुआ हिंदुस्तानी, पटना से पाकिस्तान, बदला लेइब पाकिस्तान से और इसी वर्ष मई में प्रदर्शित हुई फिल्म जंग पाकिस्तान से सहित कई फिल्में सुपरहिट रहीं। चर्चा है कि इस साल के अंत में रमांकात के निर्देशन और पवन सिंह के अभिनय से सजी फिल्म मिशन पाकिस्तान भी आने वाली है।
यूपी-बिहार में होती है शूटिंग
भारत-पाक रिश्तों पर बनने वाली भोजपुरी फिल्मों की खास बात यह है कि इन फिल्मों की शूटिंग पाक के सीमावर्ती राजस्थान और पंजाब के क्षेत्रों में नहीं बल्कि यूपी और बिहार के पहाड़ी, मैदानी और बीहड़ी इलाकों में होती है। जानकारों का मानना है कि कम बजट में बनी ये फिल्में अच्छी कमाई कर जाती हैं। इन फिल्मों के कलाकार भी ग्रामीण पृष्ठभूमि के और पहले से ही भोजपुरी गायक होते हैं। जैसे मनोज तिवारी, दिनेश लाल यादव निरहुआ, खेसारी लाल यादव, पवन सिंह, रवि किशन आदि ये चर्चित चेहरे हैं।
गीतकार और साहित्यकार भी पीछे नहीं
यदि हम चर्चित साहित्यकार और पटकथा लेखकों की बात करें तो स्व. डॉ.राही मासूम रजा का नाम पहले आता है। चाहे वह उनका प्रसिद्ध उपन्यास आधा गांव हो या फिर नीम का पेड़ या टोपी शुक्ला। उन्होंने सभी में भारत विभाजन के दर्द को बखूबी बयां किया है। उनका एक भी उपन्यास ऐसा नहीं होगा जिसमें उन्होंने पाक के नापाक इरादों का उल्लेख न किया हो। कुछ ऐसा ही हाल भोजपुरी लोकगायकों का भी है जिनके गीत भारत-पाक के बनते बिगड़ते रिश्तों पर आधारित हैं।
बालाकोट एयर अटैक के बाद आई जंग-ए-पाकिस्तान
इसी वर्ष फरवरी में हुए पुलवामा हमले व बालाकोट एयरस्ट्राक के बाद मई 2019 में रिलीज हुई दिनेश लाल यादव की फिल्म जंग-ए-पाकिस्तान से सुपरहिट रही। इससे पहले साल 2017 में राजकुमार पांडेय के निर्देशन में बनी फिल्म दुल्हिन चाही पाकिस्तान से आई थी। इसकी कामयाबी से उत्साहित राजकुमार ने इसी नाम से अक्टूबर 2018 में प्रदीप पांडे और अंतरा विश्वास अभिनित फिल्म दुल्हिनिया चाही पाकिस्तान से भाग दो बनाई थी। इसमें एक हिंदुस्तानी लडक़ा और पाकिस्तानी लडक़ी की प्रेम कहानी दिखाई गई थी। वर्ष 2018 में ही पवन सिंह अभिनित भारत-पाक रिश्तों पर बनी एक और फिल्म मां तुझे सलाम आई थी। इसमें पाक प्रायोजित आतंकवाद को दिखाया गया है।
उरी हमले के बाद बनी ले आइब दुलहिन पाकिस्तान से
हिंदी की तरह भोजपुरी सिनेमा के भी निर्माता-निर्देशक भारत-पाक के बनते-बिगड़ते रिश्तों को रुपहले पर्दे पर लाने में पीछे नहीं रहते। वर्ष 2016 में हुए उरी हमले के बाद दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ अभिनित फिल्म आई थी ले आइब दुल्हिन पाकिस्तान से। यह दुल्हिन सीरीज की शायद पहली फिल्म थी। उल्लेखनीय है कि उरी हमले के बाद भारतीय सेना ने पीओके में घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक की थी। इसके बाद दोनों देशों के रिश्तों में आई खटास और सीमा पर भारी तनाव के बीच यह फिल्म बनी थी।
यह फिल्म एक पाकिस्तानी लडक़ी हया के इर्द गिर्द घूमती है। हया को भारतीय लडक़े से प्रेम हो जाता है, लेकिन पाकिस्तानी हुक्मरान लडक़े को मारना चाहती है। जैसा कि हिंदी फिल्मों में होता है वैसे ही इस भोजपुरी फिल्म में भी अकेला लडक़ा पाकिस्तान को चैलेंज करता है और पाक की राजधानी इस्लामाबाद में हया से शादी करता है। इस फिल्म के निर्माता-निर्देशक रमाकांत ने भारत-पाक तनाव को बड़ी खूबसूरती से भोजपुरी दर्शकों को परोसा है। इसी तरह सितंबर 2016 में ही रमाकांत निर्देशित एक और फिल्म आई थी बदला लेइब पाकिस्तान से। इस फिल्म में भी दिनेश लाल यादव ने अभियन किया था।