केंद्र ने कराया दुनिया का सबसे बड़ा सर्वे: 2050 तक भारत में हो जाएंगे इतने करोड़ बुजुर्ग
सर्वे के दौरान बुजुर्गों की स्वास्थ्य जांच की गई। ऐसा इसलिए किया गया ताकि गंभीर बीमारियों का पता लगाया जा सके। जिसमें 58% बजुर्गों के स्ट्रोक की बीमारी का इलाज होने की बात सामने आई है।
नई दिल्ली: भारत में 60 वर्ष से अधिक आयु के 7.5 करोड़ बुजुर्ग गंभीर बीमारियों से पीड़ित हैं। देश की करीब 27 प्रतिशत बुजुर्ग आबादी एक से ज्यादा जानलेवा बीमारियों से ग्रस्त है। वहीं, करीब 40 प्रतिशत बुजुर्ग किसी-न-किसी रूप से अपंग हैं जबकि 20 प्रतिशत बुजुर्गों को मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं झेलनी पड़ रही है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के एक अध्ययन में ये चौंकाने वाली बातें निकलकर सामने आई हैं। दरअसल स्वास्थ्य मंत्रालय ने 2017-18 में बुजुर्गों पर दुनिया का सबसे बड़ा सर्वे किया।
बुधवार को सर्वे की रिपोर्ट जारी की गई। दावा किया जा रहा है कि ये बुजुर्गों पर दुनिया का सबसे बड़ा सर्वे है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह सर्वे इसलिए किया है ताकि बुजुर्गों के लिए बनने वाली केंद्र और राज्यों की सरकारी योजनाओं की प्राथमिकता तय करना सुविधाजनक हो।
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देश के 27% बुजुर्ग कई गंभीर बीमारियों से ग्रसित
सर्वे की रिपोर्ट ने स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों की चिताएं बढ़ा दी हैं। इसमें भारतीय लोगों के स्वास्थ्य को लेकर चिंता जाहिर की गई है।
अध्ययन के बाद मालूम पड़ा है कि भारत की करीब 27 प्रतिशत बुजुर्ग आबादी एक से ज्यादा जानलेवा बीमारियों से पीड़ित है।
वहीं, करीब 40 प्रतिशत बुजुर्ग किसी-न-किसी रूप से दिव्यांगता के शिकार हैं जबकि 20 प्रतिशत बुजुर्ग मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से ग्रस्त हैं। सर्वे से साफ हो गया कि शहरी क्षेत्रों में रहने वाले गंभीर रोगों से ग्रसित बुजुर्गों के इलाज की दर ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले बुजुर्गों के मुकाबले ज्यादा है।
सर्वे में 72,250 लोगों ने लिया हिस्सा
इस सर्वे में सिक्किम को छोड़कर सभी राज्य और केंद्रशासित प्रदेश शामिल किए गए थे। जिसमें कुल 72,250 लोगों ने हिस्सा लिया। सर्वे के पहले भाग में 45 वर्ष और इससे ज्यादा उम्र के 72,250 लोगों के सैम्पल लिए गये।
इनमें पति-पत्नी दोनों ने अपने नमूने दिए थे। गौर करने वाली बात ये कि इन 72,250 में 31,464 लोगों की उम्र 60 वर्ष या इससे अधिक है जबकि 6,749 लोग 75 वर्ष या इससे अधिक आयु के हैं।
क्यों पड़ी सर्वे की जरूरत
केंद्र सरकार ने इस तरह के सर्वे कराने के पीछे अपनी मंशा स्पष्ट की है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्ष वर्धन का कहना है कियह भारत का पहला और दुनिया का अब तक का सबसे बड़ा लॉन्गिट्यूडनल डेटाबेस है जो बुजुर्गों के लिए सरकारी नीतियां और कार्यक्रमों के निर्माण में मददगार साबित होगा।
इस सर्वे का इस्तेमाल बुजुर्गों की सामाजिक, शारीरिक, मानसिक और आर्थिक सेहत का ख्याल रखने के लिए योजनाओं की दिशा तय करने में किया जाएगा।
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2050 तक भारत में 31.90 करोड़ बुजुर्ग
उन्होंने बताया कि 2011 की जनगणना में देश की कुल आबादी के 8.6 प्रतिशत 60 वर्ष से ज्यादा की उम्र के बुजुर्ग थे। इनकी कुल आबादी 10.30 करोड़ थी। अगर 3% की सालाना वृद्धि मान ली जाए तो 2050 तक भारत में 31.90 करोड़ बुजुर्ग जनसंख्या होने का अनुमान है।
तनाव से लेकर कैंसर तक, कई गंभीर बीमारियां
सर्वे के दौरान बुजुर्गों की स्वास्थ्य जांच की गई। ऐसा इसलिए किया गया ताकि गंभीर बीमारियों का पता लगाया जा सके। जिसमें 58% बजुर्गों के स्ट्रोक की बीमारी का इलाज होने की बात सामने आई है।
आधा से ज्यादा 58% बजुर्गों के स्ट्रोक की बीमारी का इलाज हुआ जबकि 56% हड्डियों या जोड़ों संबंधी और 41% के मानसिक बीमारियों का इलाज किया गया।
वहीं 56% हड्डियों या जोड़ों संबंधी और 41% के मानसिक बीमारियों का इलाज किया गया। स्वास्थ्य सम्बन्धी जांच के दौरान बुजुर्गों में हाइपरटेंशन, आखों की रोशनी घटने (दृष्टि क्षीणता), ज्यादा वजन (ओवरवेट) या मोटोपा, कुपोषण और सांस संबंधी गंभीर बीमारियों के बारें में पता चला हैं।
गंभीर बीमारियों से ग्रसित 60 वर्ष और इससे ज्यादा उम्र के करीब दो-तिहाई बुजुर्गों के अलग-अलग रोगों का इलाज किया गया। इनमें 77% हाइपरटेंशन, 74% दिल से संबंधी गंभीर बीमारियों, 83% मधुमेह (डाइबिटीज), 72% फेफड़े संबंधी गंभीर बीमारियां और 75% कैंसर की बीमारियों के मरीज थे।
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