भारत की तैयारी शुरू: चीन से तनाव के बीच हथियारों का परीक्षण, पल में करेंगे तबाही

पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) में चीन के साथ चल रहे तनाव के बीच भारतीय नौसेना (Indian Navy) गोवा के समुद्री तट पर गुरुवार को एक फायरिंग ड्रिल करने जा रही है।

Update: 2020-09-09 05:24 GMT
नौसेना करेगी इन हथियारों का परीक्षण

नई दिल्ली: पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) में चीन के साथ चल रहे तनाव के बीच भारतीय नौसेना (Indian Navy) गोवा के समुद्री तट पर गुरुवार को एक फायरिंग ड्रिल करने जा रही है। इस ड्रिल में खास तौर पर 105 मिमी लाइट फील्ड गन और 40/60 एंटी-एयरक्राफ्ट गन की फायरिंग टेस्ट किया जाएगा। गुरुवार यानी दस सितंबर को होने वाले इस ड्रील के चलते इस समुद्री इलाके से जहाजों और मछुआरों को दूर रहने की चेतावनी दी गई है।

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डेंजर जोन से दूर रहने की अपील

भारतीय नौसेना यह टेस्ट दस सितंबर को सुबह नौ से एक बजे के बीच गोवा के मोरमुगाओ और हेडलैंड साडा में करेगी। इसलिए परीक्षण को जारी रखने की अवधि के दौरान मछली पकड़ने/अन्य जहाजों और आम जनता से अनुरोध किया गया है कि वो नेवल कोस्टल बैटरी और डेंजर जोन से दूर रहें। डेंजर जोन मोरमुगाओ हेडलैंड फ्लैग स्टाफ की स्थिति से 220 से 260 डिग्री की दूरी पर है। यह समुद्र में 15 समुद्री मील की दूरी तक और 7100 मीटर की ऊंचाई तक है। यहीं से सभी परीक्षण पर निगरानी रखी जाएगी।

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साल 1972 में बनाया गया था 105 मिमी लाइट फील्ड गन (फोटो- सोशल मीडिया)

105 मिमी लाइट फील्ड गन

बता दें कि भारत ने साल 1972 में 105 मिमी लाइट फील्ड गन बनाया था, जो कि बोफोर्स तोप का छोटा वर्जन है। यह तीन हजार 400 किलोग्राम वजनी होता है। वहीं इसकी लंबाई 20 फीट, चौड़ाई 7.3 फीट, और ऊंचाई 5.8 फीट होती है। इस तोप से दागा गया गोला 475 मीटर प्रति सेकेंड की गति से करीब 11 किमी की रेंज तक दुश्मनों पर हमला करने में सक्षम है।

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एक ऑटोमैटिक लड़ाकू विमान रोधी तोप है 40/60 एंटी-एयरक्राफ्ट गन (फोटो- सोशल मीडिया)

40/60 एंटी-एयरक्राफ्ट गन

वहीं अगर 40/60 एंटी-एयरक्राफ्ट गन की बात की जाए तो यह एक ऑटोमैटिक लड़ाकू विमान रोधी तोप है। यह बेहद तेजी के साथ फाइटर जेट्स पर गोले दागती है। इसका गोला एक किलोग्राम के करीब होता है, जबकि गोले की रेंज सात से 12 किमी तक होती है। यह एक मिनट में 240 से 330 गोले दागने में सक्षम है। इसके कई वैरिएंट्स है। इसे जमीन, युद्धपोत या बमवर्षकों में भी इस्तेमाल किया जा सकता है।

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