बजट में भारतीय रेलवे: जोर रहेगा निजी निवेश पर, इस पर टिकी सबकी उम्मीद
बजट में रेलवे के बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देने की उम्मीद है। कोरोना महामारी के कारण रेलवे को भारी नुकसान हुआ है। ऐसे में निजी निवेश पर जोर रहेगा। सरकार का फोकस इंफ्रास्ट्रक्चर में लगातार विकास के जरिए भारतीय रेलवे की सेवाओं को विश्वस्तरीय बनाने की है।
नीलमणि लाल
नई दिल्ली। आम बजट वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को पेश करेंगी। 92 साल की परम्परा में 2016 में हुए बदलाव के बाद अब आम बजट में ही रेल बजट शामिल होता है और रेल बजट से जुड़ी घोषणा भी उसी दिन होती है। रेलवे मंत्रालय ने इस बार के बजट में अपने लिए 1.80 लाख करोड़ के बजट खर्चे का अनुमान पेश किया है लेकिन कोरोना के संकट के चलते ये मांग शायद ही पूरी हो सके। रेलवे को केंद्र की तरफ से करीब 75000 करोड़ की मदद यानी बजटीय सपोर्ट मिल सकता है।
रेलवे के बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देने की उम्मीद
बजट में रेलवे के बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देने की उम्मीद है। कोरोना महामारी के कारण रेलवे को भारी नुकसान हुआ है। ऐसे में निजी निवेश पर जोर रहेगा। सरकार का फोकस इंफ्रास्ट्रक्चर में लगातार विकास के जरिए भारतीय रेलवे की सेवाओं को विश्वस्तरीय बनाने की है। बजट में भी रेलवे इंफ्रास्ट्रक्चर को लेकर सरकार बड़े एलान कर सकती है। इसमें ज्यादा से ज्यादा स्ट्रेशनों को पीपीपी मॉडल के जरिए विकसित करना, प्राइवेट ट्रेनों की संख्या बढ़ाया जाना, तेजस जैसी और ट्रेनें, स्टेशनों पर वाई फाई की सुविधा, इलेक्ट्रिफिकेशन से लेकर टूरिस्ट प्लेस तक ट्रेनों की कनेक्टिविटी बढ़ाने जैसे एलान शामिल हो सकते हैं जिनकी झलक बजट 2020 में दिखी भी थी।
निजीकरण का काम बढ़ेगा आगे
वित्त मंत्री ने पिछले बजट में 150 प्राइवेट ट्रेनें चलने का ऐलान किया था। इस सम्बन्ध में काम काफी आगे बढ़ चुका है और इस बार के बजट में प्राइवेट ट्रेनें सरकार के टॉप एजेंडा में रहेंगी। सरकार की प्राइवेट ट्रेन चलाए जाने की योजना का निजी कंपनियों की ओर से बढ़िया और अपेक्षित रिस्पांस मिला है। भारत में निजी ट्रेन चलाने के लिए 120 आवदेन मिले थे। इनमें से 102 आवदेनों को योग्य पाया गया है। इन कंपनियों में लार्सन एंड टुब्रो (एलएंडटी), जीएमआर, वेलस्पन जैसे बड़े नाम भी शामिल हैं।
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सरकार की इस खास योजना के तहत मार्च 2023 से 12 प्राइवेट ट्रेन पटरी पर उतर जाएंगी। 2027 तक इनकी संख्या बढ़ा कर 151 कर दी जाएगी, जो कुल ट्रेनों का 5 फीसदी है। इसके अलावा नए रूटों पर तेज स्पीड वाली ट्रेनें, धार्मिक पर्यटन की ट्रेनें, पर्यटन स्थलों पर बेहतर रेल सुविधा, सोलर पैनल, ग्रीन एनर्जी, किसान रेल में विस्तार और नार्थ-ईस्ट राज्यों में कनेक्टिविटी पर ज्यादा फोकस होगा।
कोरोना के वजह से पूरे भारत में यात्री ट्रेनों का सञ्चालन बंद कर दिया गया था और अभी तक अधिकाँश ट्रेनें बंद हैं। जो ट्रेनें चल रहीं हैं उनको पूजा स्पेशल, हॉलिडे स्पेशाल जैसे नामों से चलाया जा रहा है। जब सभी ट्रेनें बंद कीं गयीं थीं तब कहा गया था कि रेलवे जीरो टाइम टेबल बना रहा है यानी अब सभी ट्रेनों का नए सिरे से तय होगा। मुमकिन है कि बजट में इस बारे में कोई घोषणा की जाए। चूँकि प्राइवेट ट्रेनें चलाने पर जोर है सो जीरो टाइम टेबल में प्राइवेट ट्रेनों के संचालन को समाहित किया जा सकता है।
रेलवे की संपत्ति
इस बजट में देश भर में कई विश्व स्तरीय रेलवे स्टेशनों पर काम करने से संबंधित घोषणा हो सकती है। कोरोना वायरस संकट के दौरान स्टेशन पुनर्विकास परियोजना पर काम जारी रहा है। इंडियन रेलवे स्टेशन डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन देश के पहले दो हवाई अड्डे जैसे विश्व-स्तरीय रेलवे स्टेशन- हबीबगंज और गांधीनगर स्टेशनों के पुनर्विकास पर काम कर रहा है। इस बजट में रेलवे से जुड़ी परियोजनाओं को आगे बढ़ाने पर जोर हो सकता है। इनके अलावा सूरत, बिजवासन, चंडीगढ़, आनंद विहार, अमृतसर, ग्वालियर, कानपुर, साबरमती स्टेशनों आदि सहित कई अन्य रेलवे स्टेशनों का पुनर्विकास किया जाना है।
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बजट में रेलवे स्टेशन के विकास को लेकर घोषणा हो सकती है। रेलवे की फालतू पड़ी जमीनों के व्यावसायिक उपयोग के बारे में घोषणा मुमकिन है। रेलवे नुक्सान की भरपाई के अलावा प्रॉफिट भी कमाना है ताकि वह अपना खर्चा खुद उठा सके और इसके लिए व्यवसाय के बेसिक सिद्धांतों का पालन किया जाना जरूरी है सो इस दिशा में घोशनाएँ की जा सकतीं हैं।
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