चीनी सेना के पीछे हटने पर भी भारत का कड़ा रुख, ड्रैगन को सबक सिखाने की रणनीति
लद्दाख की गलवान घाटी मे वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन और भारत की सेनाओं के पीछे हटने के बाद तनाव भले ही कम होता दिख रहा हो मगर भारत के अभी भी चीन को लेकर सख्त रुख जारी रखने के संकेत मिले हैं।
नई दिल्ली: लद्दाख की गलवान घाटी मे वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन और भारत की सेनाओं के पीछे हटने के बाद तनाव भले ही कम होता दिख रहा हो मगर भारत के अभी भी चीन को लेकर सख्त रुख जारी रखने के संकेत मिले हैं। भारत और चीन के द्विपक्षीय रिश्तो में पैदा हुई दूरी फिलहाल कम होती नहीं दिख रही है। जानकार सूत्रों का कहना है कि भारत आर्थिक मोर्चे पर चीन के खिलाफ कड़े फैसले लेना जारी रखेगा ताकि ड्रैगन एलएसी पर भविष्य में कोई विवाद खड़ा करने से पहले कई बार सोचे।
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आर्थिक मोर्चे पर कोई नरमी नहीं
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीनी विदेश मंत्री तथा सुरक्षा सलाहकार वांग यी के बीच फोन पर दो घंटे हुई बातचीत में दोनों देशों की सेनाओं के पीछे हटने पर सहमति बनी। चीन ने गलवान घाटी इलाके में पेट्रोलिंग पॉइंट 14 पर अपने टेंट और सैनिक करीब डेढ़ किलोमीटर तक पीछे हटा लिए हैं। चीन ने गोगरा और हॉट स्प्रिंग से सैनिकों और बख्तरबंद वाहनों को पीछे हटाने का काम भी शुरू कर दिया है।
इस बीच उच्च पदस्थ सरकारी सूत्रों का कहना है कि चीनी सेना के पीछे हटने के बावजूद भारत चीन के खिलाफ आर्थिक मोर्चे पर कोई नरमी नहीं बरतेगा। निर्माण कंपनी में ठेकों को निरस्त करने और डिजिटल दुनिया में चीनी कंपनियों के खिलाफ कड़े कदम का भारत का रुख भविष्य में भी बना रहेगा।
चीन को भारी चोट पहुंचाने की तैयारी
जानकारों का कहना है कि भारत की ओर से तैयार की गई रणनीति के अनुसार चीन के खिलाफ भविष्य में और फैसले लिए जाएंगे। भारत का मकसद आर्थिक मोर्चे पर चीन को भारी चोट पहुंचाने का है ताकि भविष्य में उसके रवैये में बदलाव आ सके। दरअसल चीन ऐसा देश है जिस पर कभी भी भरोसा नहीं किया जा सकता और इसी कारण भारत इस मामले में फूंक-फूंक कर कदम आगे रख रहा है। जानकार सूत्रों का कहना है कि 59 चीनी एप्स के खिलाफ प्रतिबंध सहित आर्थिक मोर्चे पर लिए गए फैसलों पर पुनर्विचार किए जाने की कोई संभावना नहीं है।
हमेशा परेशान करता रहा है चीन
सूत्रों का कहना है कि आजादी के बाद से ही चीन समय-समय पर भारत को परेशान करने वाले कदम उठाता रहा है। लद्दाख में सैन्य तनाव के पहले 2017 में भी चीन ने डोकलाम में अप्रिय स्थिति पैदा करने की कोशिश की थी। डोकलाम में दोनों देशों के बीच विवाद करीब 73 दिनों तक चला था और बाद में चीनी सेना को अपने कदम वापस खींचने पर मजबूर होना पड़ा था। चीन के इस रवैये से परेशान भारत ने पहली बार चीन को अपनी का ताकत का अहसास कराया है।
चीन की साजिशों पर विराम लगाने की रणनीति
अब भारत चीन के खिलाफ रणनीति बनाकर लंबे समय तक उसकी साजिश पर विराम लगाना चाहता है। यही कारण है कि भारत की ओर से आर्थिक और कूटनीतिक मोर्चे पर चीन को सख्त संदेश दिए गए हैं। भारत ने चीन को साफ कर दिया है कि बेवजह तनाव पैदा करने पर चीन को बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी। भारत ने चीन को सख्त संदेश देने के साथ ही एलएसी पर सड़कों के निर्माण कार्य को भी तेज कर दिया है ताकि चीन यह समझ सके कि भारत किसी दबाव में आने वाला नहीं है।
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कूटनीतिक मोर्चे पर भी चीन को सख्त संदेश
आर्थिक मोर्चे के साथ ही कूटनीतिक मोर्चे पर भी भारत चीन के खिलाफ सख्त रवैया अपनाए हुए है। भारत को अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान सहित दुनिया की बड़ी ताकतों का समर्थन भी मिल रहा है। भारत ने पहली बार संयुक्तराष्ट्र में हांगकांग के मुद्दे पर बोलते हुए चीन को घेरा है। हांगकांग के मुद्दे पर चीन पूरी दुनिया में घिर चुका है और दुनिया के कई बड़े देशों ने चीन को सख्त चेतावनी दी है। जानकारों का कहना है कि दक्षिण चीन सागर, हांगकांग, कोरोना और अन्य मामलों में भारत भविष्य में भी चीन के खिलाफ कदम उठाने से परहेज नहीं करेगा। भारत चीन को यह संदेश देने की कोशिश में लगा हुआ है कि तनाव पैदा करने की ड्रैगन की किसी भी कोशिश का मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा और वैश्विक स्तर पर उसकी घेरेबंदी की जाएगी।
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