इस बार सीमा पर नहीं चल पाएगी चीन की चालबाजी, भारत ने उठाया ये बड़ा कदम
भारत और चीन के बीच सीमा विवाद का मामला और भी ज्यादा गरमाता जा रहा है। दोनों देश की सेनाएं अभी भी लद्दाख में डटी हुई हैं। भारतीय खुफिया एजेंसियों को चीन की नापाक हरकतों के बारे में कुछ महत्वपूर्ण इनपुट्स मिले हैं।
नई दिल्ली: भारत और चीन के बीच सीमा विवाद का मामला और भी ज्यादा गरमाता जा रहा है। दोनों देश की सेनाएं अभी भी लद्दाख में डटी हुई हैं। भारतीय खुफिया एजेंसियों को चीन की नापाक हरकतों के बारे में कुछ महत्वपूर्ण इनपुट्स मिले हैं।
जिसके बाद अब भारतीय सेना और भारतीय वायुसेना को लद्दाख, उत्तरी सिक्किम, उत्तराखंड और अरुणाचल प्रदेश में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के साथ सभी क्षेत्रों में उच्च स्तरीय अलर्ट पर रखा गया है।
बताया जा रहा है कि ये फैसला चीन के साथ मौजूदा तनाव को देखते हुए लिया गया है। थल सेनाध्यक्ष जनरल एमएम नरवणे पहले ही एलएसी के साथ सीमावर्ती इलाकों के संचालन की देखरेख करने वाले सेना के सभी वरिष्ठ कमांडरों को इन्फॉर्म कर चुके हैं कि वे किसी भी चीनी "दुस्साहस" से निपटने के लिए पर्याप्त सतर्कता बनाए रखें और आक्रामक रुख अपनाएं रखें।
क्योंकि जब तक चीन के साथ सीमा गतिरोध को लेकर ''संतोषजनक'' समाधान सामने नहीं आता, तब तक उच्च स्तरीय सतर्कता बरती जाएगी।
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जनरल नरवाणे वरिष्ठ कमांडरों संग कर चुके हैं बैठक
बताते चलें कि गोगरा, पैंगोंग त्सो, डेपसांग समेत पूर्वी लद्दाख में कई गतिरोध वाले केंद्रों में चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के पीछे हटने में आनाकानी करने को देखते हुए सेना ने बहुत उच्च स्तर की सतर्कता बनाए रखने का नया निर्देश जारी किया है। गत तीन हफ्तों में थल सेनाध्यक्ष ने भारत और चीन के बीच वास्तविक सीमा की करीब 3,500 किलोमीटर लंबी एलएसी की देखरेख करने वाले सभी वरिष्ठ कमांडरों के साथ विस्तार से चर्चा की।
यहां ये भी बता दें कि जनरल नरवाणे ने जुलाई माह के दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ पूर्वी लद्दाख का दौरा किया था। उन्होंने गुरुवार को तेजपुर स्थित 4 कोर मुख्यालय में पूर्वी कमान के वरिष्ठ कमांडरों के साथ मीटिंग कर
सीमा विवाद के मुद्दे पर विस्तार से बातचीत की, साथ ही आगे की रणनीति भी तय की। भारत ने चीन को साफ़-साफ़ ये बात बता दिया है कि पूर्वी लद्दाख के सभी क्षेत्रों में तनाव को खत्म करने के लिए यथास्थिति बहाल करने के अलावा दूसरा कोई रास्ता नहीं बचा है।
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उप वायुसेना प्रमुख ने किया दौरा
तनाव वाले इलाकों में परिचालन संबंधी तैयारियों की समीक्षा करने के अलावा, वायु सेना उप प्रमुख ने इन इलाकों में तैनात उन हवाई योद्धाओं से बातचीत की जो यहां वर्तमान में यहां लड़ाकू इकाइयों का संचालन कर रहे हैं।
गुरुवार को ही वायु सेना उप प्रमुख एयर मार्शल हरजीत सिंह अरोड़ा ने पश्चिमी वायु कमान (डब्ल्यूएसी) के लद्दाख सेक्टर स्थित अग्रिम हवाई ठिकानों का दौरा किया। भारतीय वायु सेना (एयरफोर्स) पूर्वी लद्दाख और अन्य संवेदनशील क्षेत्रों में हाई अलर्ट के साथ सतर्कता बनाए रखने की तैयारी कर रही है।
खतरनाक लड़ाकू विमान तैनात
ध्यान रहे कि भारतीय वायुसेना ने पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में रात के समय हवाई गतिविधियों का संचालन कर चीन को एक स्पष्ट संदेश दिया है कि वह पहाड़ी इलाकों में किसी भी घटना से निपटने के लिए सक्षम है।
गलवान घाटी में संघर्ष के बाद, भारतीय वायुसेना ने अपने सभी फ्रंटलाइन फाइटर जेट जैसे सुखोई 30 एमकेआई, जगुआर और मिराज 2000 विमान पूर्वी लद्दाख के प्रमुख सीमावर्ती हवाई अड्डों और एलएसी से सटे इलाकों में तैनात कर दिए हैं।
वायुसेना ने पूर्वी लद्दाख में विभिन्न अग्रिम चौकियों पर सैनिकों को पहुंचाने के लिए अपाचे हमले के हेलिकॉप्टरों के साथ-साथ चिनूक हेवी-लिफ्ट हेलीकॉप्टरों को भी तैनात किया है।
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