पुलवामा हमले में चूक! इस छोटी सी गलती पर रोया पूरा देश
आतंकी हमले में 40 जवान शहीद हो गए थे। इसी बीच घटना को लेकर एक बड़ी जानकारी सामने आई है। बताया जा रहा है कि 14 फरवरी को हुए सीआरपीएफ के काफिले पर हमला खुफिया एजेंसी की नाकामी थी। रोचक तथ्य यह है कि ये बात सीआरपीएफ
नई दिल्ली: 'पुलवामा हमला' की घटना सुनकर ही रूह कांप जाती है। 14 फरवरी का वो दिन, कोई कैसे भूल सकता है। एक तरफ जहां पूरा भारत वैलेंटाइन-डे की तैयारी कर रहा था, उसी दिन की भोर में जम्मू और कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हुए आतंकी हमले ने सभी को पतप्रद कर दिया था।
बता दें कि आतंकी हमले में 40 जवान शहीद हो गए थे। इसी बीच घटना को लेकर एक बड़ी जानकारी सामने आई है। बताया जा रहा है कि 14 फरवरी को हुए सीआरपीएफ के काफिले पर हमला खुफिया एजेंसी की नाकामी थी। रोचक तथ्य यह है कि ये बात सीआरपीएफ की आंतरिक रिपोर्ट में सामने आई है।
दरअसल, यह रिपोर्ट गृह मंत्रालय के बयान के विपरीत है। गृह मंत्रालय के मुताबिक पुलवामा आतंकी हमला खुफिया एजेंसी की विफलता नहीं थी।
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सामने आई जांच रिपोर्ट में यह तथ्य है कि आईईडी खतरे के संबंध में एक सामान्य चेतावनी थी, लेकिन कार से आत्मघाती हमले को लेकर कोई विशेष खतरा नहीं था। रिपोर्ट में कहा गया है कि घाटी में किसी भी खुफिया एजेंसी द्वारा इस तरह के इनपुट को साझा नहीं किया गया था।
CRPF ने किया इनकार...
सीआरपीएफ ने इस रिपोर्ट सिरे से नकार दिया है। सीआरपीएफ ने एक बयान जारी करते हुए कहा कि ऐसा कोई भी निष्कर्ष सीआरपीएफ की रिपोर्ट में नहीं आया है। सीआरपीएफ ने अपने बयान में कहा कि मीडिया में पुलवामा की घटना से जुड़े सीआरपीएफ की आतंरिक रिपोर्ट चल रही है। यह स्पष्ट किया जाता है कि इस रिपोर्ट के आधार पर जो निष्कर्ष निकाला गया है वैसी भी कोई भी बात सीआरपीएफ की रिपोर्ट में नहीं है।
गृह मंत्रालय ने कहा...
गृह मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया था कि जम्मू और कश्मीर पिछले तीन दशकों से आतंकवाद से प्रभावित है। गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने एक बयान में कहा कि आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति और सुरक्षा बलों द्वारा आतंकवादियों के खिलाफ निरंतर कार्रवाई ने पिछले कुछ वर्षों में बड़ी संख्या में आतंकवादियों का खात्मा किया है।
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इसके साथ ही उन्होंने कहा कि सभी एजेंसियां समन्वित तरीके से काम कर रही हैं और खुफिया जानकारी विभिन्न एजेंसियों के बीच साझा की जाती हैं। पुलवामा आतंकी हमले में एनआईए द्वारा की गई अब तक की जांच में आरोपियों की पहचान हुई है।
जांच रिपोर्ट में कहा गया...
सामने आई जांच रिपोर्ट में कहा गया कि सीआरपीएफ की आंतरिक रिपोर्ट में काफिले की असामान्य लंबाई सहित कई खामियां बताई गई हैं। 14 फरवरी को सीआरपीएफ के काफिले में 78 वाहन शामिल थे और 2547 यात्रियों के साथ जम्मू से श्रीनगर के लिए रवाना हुए थे। सूत्रों ने कहा कि काफिले को दूर से ही पहचानना आसान था और सूचना भी आसानी से लीक हो गई।
साथ ही साथ आंतरिक रिपोर्ट में यह भी बात सामने आई है कि काफिले की आवाजाही के दौरान नागरिक वाहन को जाने की इजाजत देना सीआरपीएफ के लिए बड़ी भूल साबित हुई। जांच के मुताबिक काफिला असामान्य रूप से लंबा था। रिपोर्ट में पाया गया कि भारी बर्फबारी के कारण 4 फरवरी के बाद से कोई भी वाहन जम्मू श्रीनगर राजमार्ग पर नहीं चल रहा था।
उल्लेखनीय है कि शाम 3.30 बजे के करीब सीआरपीएफ की बस HR 49F 0637 of 76 पर आत्मघाती हमला हुआ। ये बस काफिले में 5वें नंबर पर थी।
सूत्रों के मुताबिक...
सूत्रों के मुताबिक काफिले पर हमला के दौरान मानक संचालन प्रक्रिया का पालन किया गया। नियम के मुताबिक हर 4 गाड़ियों के बीच में लंबी दूरी होनी चाहिए। यही कारण था कि हमले का असर सिर्फ एक गाड़ी पर हुआ।
जांच में ये बात भी सामने आई है कि सीआरपीएफ की बंकर वाहन से एक वीडियो मिला, जिसमें दिखा कि आरओपी ड्यूटी के दौरान एएसाई राम लाल आत्मघाती हमलावर की गाड़ी को रोकने की कोशिश किए थे।
गौरतलब है कि 15 पेज की रिपोर्ट सीआरपीएफ के डीजी को मई के महीने में सौंपी गई थी, जिसमें उनकी टिप्पणियों का उल्लेख किया गया था।