IPC Section Changed: दफा 302 खत्म, अब कहिये दफा 99
IPC Section Changed: 160 साल से अधिक पुरानी भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) को हटा कर इसकी जगह भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) लाने का प्रस्ताव है।
IPC Section Changed: दफा 302 का जिक्र न जाने कितनी ही फिल्मों में, आम बोलचाल की भाषा में आपने सुना होगा। ये दफा आईपीसी में हत्या यानी मर्डर के बारे में है। लेकिन अब केंद्र द्वारा प्रस्तावित ओवरहॉल में न सिर्फ आईपीसी का नाम बदल दिया गया है बल्कि दफ़ाएं भी बदल दी गई हैं। अब 302 मर्डर का पर्याय नहीं रहेगा।
संदर्भ तो जानिए
160 साल से अधिक पुरानी भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) को हटा कर इसकी जगह भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) लाने का प्रस्ताव है। इस बारे में लोकसभा में विधेयक लाया जा चुका है। इसमें आईपीसी की कुछ सबसे अधिक उपयोग की जाने वाली दफाओं यानी सेक्शनों के लिए नए नंबर शामिल किये गए हैं।
मर्डर के लिए अब नई दफा
आईपीसी में हत्या के लिए "दफा 302" थी लेकिन बीएनएस (भारतीय न्याय संहिता) में हत्या के लिए सेक्शन 98 और 99 में जिक्र किया गया है।
दफा 98 : गैर इरादतन हत्या
बीएनएस की दफा 98 गैर इरादतन हत्या के बारे में है। दफा 99 कहती है कि : "जो कोई मृत्यु करने के आशय से कोई कार्य करके मृत्यु कारित करता है। या इस इरादे से ऐसी शारीरिक चोट पहुंचाता है जिससे मृत्यु होने की संभावना हो, या यह जानते हुए कि ऐसे कृत्य से मृत्यु कारित होने की संभावना है, वह व्यक्ति हत्या का दोषी होने वाला अपराध करता है।
उदाहरण से समझिए
- "ए" किसी की मृत्यु का कारण बनाने के इरादे से या एक गड्ढे के ऊपर लकड़ियां और टर्फ बिछा देता है। "ए" को पता है कि उसकी इस हरकत के कारण "बी" की मृत्यु होने की संभावना है। "बी" पक्की जमीन मानते हुए उस पर कदम रखता है, गड्ढे में गिरता है और मारा जाता है। इस केस में "ए" ने गैर इरादतन हत्या का अपराध किया है।
- "ए" जानता है कि "बी" एक झाड़ी के पीछे है। "ए" के साथ "सी" है जिसे "ए" के इरादे के बारे में नहीं पता है। "ए" यह जानते हुए कि इससे "बी" की मृत्यु होने की संभावना है, "सी" को झाड़ी पर गोली चलाने के लिए प्रेरित करता है। "सी" गोली चलाता है और "बी" को मार डालता है।
यहां "सी" बिना किसी अपराध का दोषी हो सकता है; लेकिन "ए" ने गैर इरादतन हत्या का अपराध किया है।
- "ए" एक मुर्गे को मारने और चुराने के इरादे से उस पर गोली चलाता है जो झाड़ी के पीछे "बी" को लगती है और वह मारा जाता है। "ए" को नहीं पता था कि "बी" वहां था। यहां, यद्यपि ए एक गैरकानूनी कार्य कर रहा था, लेकिन वह गैर इरादतन मानव वध का दोषी नहीं है, क्योंकि उसका इरादा "बी' को मारने या कोई कार्य करके मौत कारित करने का नहीं था।
स्पष्टीकरण 1.—एक व्यक्ति जो किसी दूसरे ऐसे व्यक्ति को शारीरिक चोट पहुँचाता है जो किसी विकार, बीमारी या शारीरिक दुर्बलता से ग्रसित है और पहुंचाई गई चोट से उसकी अवस्था इतनी खराब हो जाती है कि उसकी मृत्यु हो जाती है, तो चोट पहुंचाने की हरकत को मृत्यु का कारण माना जाएगा।
दफा 99 : हत्या
इस दफा के अंतर्गत कहा गया है कि -
- किसी की मौत करने के इरादे से कोई काम करना ।
- ऐसी शारीरिक चोट पहुंचाना जिसके बारे में अपराधी को पता हो कि इससे व्यक्ति की मृत्यु होने की संभावना है।
- यदि वह कार्य या शारीरिक चोट जो प्रकृति के सामान्य क्रम में मृत्यु का कारण बनती है और ऐसा कार्य करने वाला व्यक्ति जानता है यह इतना आसन्न रूप से खतरनाक है और पूरी संभावना है कि यह मृत्यु का कारण बन सकता है, या ऐसी किसी शारीरिक क्षति का कारण बन सकता है ऐसी चोट जिससे मृत्यु होने की संभावना हो तो वह हत्या है।
उदाहरण
- "ए" ने "बी" को मारने के इरादे से उसे गोली मार दी। परिणामस्वरूप "बी" की मृत्यु हो जाती है। "ए" हत्या का दोषी है।
"ए" को पता है कि "बी" ऐसी बीमारी से पीड़ित है जिससे एक घूंसा मारने से उसकी मृत्यु हो सकती है। "ए" उसे शारीरिक चोट पहुँचाने के इरादे से हमला करता है और "बी" की मृत्यु हो जाती है। ऐसे में "ए" हत्या का दोषी है।
- "ए" बिना किसी बहाने के लोगों की भीड़ पर फायर करता है जिससे किसी की मौत हो जाती है। हो सकता है कि "ए" के पास किसी विशेष को मारने की पूर्व-निर्धारित योजना न हो फिर भी वह हत्या का अपराधी है।
हत्या की सज़ा
बीएनएस के अनुसार, हत्या की सज़ा के लिए दिए सेक्शन 101. (1) में कहा गया है कि -
"जो कोई भी हत्या करेगा उसे मौत या आजीवन कारावास से दंडित किया जाएगा और जुर्माना भी देना होगा।"
- (2) में कहा गया है कि जब पाँच या अधिक व्यक्तियों का एक समूह सामूहिक रूप से नस्ल, जाति या समुदाय, लिंग, जन्म स्थान, भाषा, व्यक्तिगत विश्वास या कोई अन्य आधार पर हत्या कर देता है तो ऐसे समूह के प्रत्येक सदस्य को मृत्युदंड या आजीवन कारावास या कम से कम सात साल के कारावास की सज़ा से दंडित किया जाएगा और जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
102
सेक्शन 102 कहता है कि जो कोई आजीवन कारावास की सजा के अधीन रहते हुए हत्या करेगा, उसे मृत्युदंड या आजीवन कारावास से दंडित किया जाएगा, जिसका मतलब उस व्यक्ति के प्राकृतिक जीवन के शेष भाग तक कारावास होगा।
सेक्शन 103
जो कोई गैर इरादतन हत्या करेगा, उसे आजीवन कारावास, या किसी अवधि के लिए कारावास, जो पाँच वर्ष से दस वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, और जुर्माना भी लगाया जा सकता है
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