बिहार पुलिस का बड़ा खुलासा, कानपुर रेल हादसे के पीछे था ISI का हाथ

Update:2017-01-17 20:30 IST

पटना: कानपुर में हुई रेल दुर्घटना एक सुनियोजित साजिश थी। ऐसा बिहार पुलिस का कहना है। बिहार पुलिस ने ये दावा कुछ लोगों कि गिरफ़्तारी और उनसे मिली जानकारी पर किया है। पुलिस ने ये भी बताया कि आईएसआई के तार कानपुर जैसी ही घटना रक्सौल-दरभंगा रेललाइन पर अंजाम देने की कोशिश से जुड़े हैं। माना जा रहा है कि कानपुर की घटना में भी उक्त आरोपियों का हाथ हो सकता है।

पुलिस का दावा है कि आईएसअाई ने बिहार के घोड़ासहन में भी ट्रेन को उउ़ाने की साजिश रची थी, जो नाकाम रही। यह सनसनीखेज खुलासा कर बिहार पुलिस ने सबको चौंका दिया है। बता दें कि बीते दिनों मोतिहारी पुलिस के हत्थे चढ़े तीन शातिर अपराधियों ने यह स्वीकरा है।

150 यात्रियों ने गंवाई थी जान

गौरतलब है कि इंदौर-पटना एक्सप्रेस का 20 नवंबर को कानपुर के पुखरायां रेलवे स्टेशन के पास एक्सीडेंट हो गया था। उस हादसे में करीब 150 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी। बताया जाता है कि इस पूरे रैकेट के पीछे दुबई में बैठा एक शख्स है जो भारत में तबाही के लिए नेपाल के भाड़े के टट्टुओं का इस्तेमाल कर रहा है। उसका नाम शमसुल होदा बताया जाता है जो पाक खुफिया एजेंसी आईएसआई से जुड़ा है।

गिरफ्तार आरोपियों ने उगले राज

गिरफ्तार अपराधियों में शामिल मोती पासवान ने बताया कि कानपुर में 20 नवंबर को हुए रेल हादसे की साजिश आईएसआई ने रची थी। उसे अंजाम देने में वह भी शामिल था। उसके साथ कानपुर में कई अन्य लोग भी थे। उनमें से दो जुबैर और जियायुल दिल्ली में पकड़े जा चुके हैं। पूर्वी चंपारण के एसपी जितेन्द्र राणा के समक्ष उसने दोनों की तस्वीर देखकर पहचान की।

तीन लाख रुपए दिए थे

मोती ने ये भी बताया कि कानपुर से पहले पूर्वी चंपारण जिले के घोड़ासहन स्टेशन के पास रेल ट्रैक और चलती ट्रेन को उड़ाने की साजिश भी आईएसआई ने ही रची थी। इसके लिए नेपाल में गिरफ्तार ब्रजकिशोर गिरी ने आदापुर निवासी अरुण और दीपक राम को तीन लाख रुपए दिए थे।

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