खत्म होता चीन: भारत के साथ हुआ दुनिया का ये देश, मजबूती की तरफ बढ़ते कदम
पूर्वी लद्दाख में चीन से तनाव के चलते भारत ने हर स्तर तक अपनी सारी तैयारियां पूरी कर ली हैं। भारत खुद को सैन्य मोर्चे पर भी पूरी तरह से काबिज कर चुका है। इसी कड़ी में अब भारत इजरायल से एक बेहद खास तरह का सर्विलांस सिस्टम खरीदने जा रहा है।
नई दिल्ली। पूर्वी लद्दाख में चीन से तनाव के चलते भारत ने हर स्तर तक अपनी सारी तैयारियां पूरी कर ली हैं। भारत खुद को सैन्य मोर्चे पर भी पूरी तरह से काबिज कर चुका है। इसी कड़ी में अब भारत इजरायल से एक बेहद खास तरह का सर्विलांस सिस्टम खरीदने जा रहा है। इजरायल का अवाक्स एयरक्राफ्ट के नाम से ये सिस्टम अत्याधुनिक तकनीकों से लैस हैं। ये एयरक्राफ्ट मीलों दूर से चीन की गतिविधियों पर निगरानी रख सकेंगे। इसके साथ ही सबसे अहम बात ये है कि जिसे इजरायल ने चीन को देने से मना कर दिया था। तो चलिए बताते हैं कि आखिर इस सिस्टम की क्या खास बात है।
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अर्ली वॉर्निंग कंट्रोल सिस्टम से लैस अवाक्स प्लेन
भारत खुद को मजबूत करते हुए इजरायल के अर्ली वॉर्निंग कंट्रोल सिस्टम से लैस अवाक्स प्लेन पूरा नाम Phalcon’s Airborne Warning and Control System (AWACS) है। दरअसल ये सर्विलांस सिस्टम हैं, जो हवा से ही नीचे दुश्मन की गतिविधियों पर निगरानी बनाए रखते हैं। ऐसे में इसकी सबसे बड़ी खासियत ये है कि ये लड़ाई के दौरान C2BM मतलब कमांड, कंट्रोल और बैटल मैनेजमेंट में सहायता करते हैं।
इसके तहत एयरक्राफ्ट से लेकर पनडुब्बी को भी चौकन्ना किया जा सकता है कि आगे उनके लिए कहां, क्या खतरा है और उससे कैसे बचा जा सकता है। कुल मिलाकर ये सर्विलांस सिस्टम डिफेंसिव मतलब रक्षात्मक और ऑफेंसिव आक्रामक दोनों ही तरीकों से काम करता है।
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संदिग्ध गतिविधि पर नजर
इजरायल का ये आधुनिक अवाक्स सिस्टम 400 किलोमीटर दूर से निशानी को पहचान लेता है। एक अवाक्स तकनीक वाला एयरक्राफ्ट यदि जमीन से 9000 मीटर की ऊंचाई पर है तो ये करीब 312,000 किलोमीटर का एरिया कवर कर सकता है। ये एक लंबी-चौड़ी रेंज है, जो सीमा के आसपास से लेकर दूर-दराज तक किसी भी संदिग्ध गतिविधि पर नजर रख सकती है।
बता दें, इस तरह का पहला सिस्टम साल 1930 में अमेरिका में बना था। इसके बाद से लगातार हर देश अपने लिए किसी न किसी तरह का अवाक्स तैयार करने की कोशिश करता आया है। इजरायल इसमें सबसे आगे खड़े देशों की श्रेणी में है।
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