जम्मू-कश्मीर: सिर्फ 450 ग्राम की मिरेकल बेबी, चिकित्सा कर्मियों ने ऐसे बचाई जान

जम्मू-कश्मीर के आरएसपुरा के रहने वाले इकबाल सिंह ने बताया कि उनकी बेटी का जन्म पिछले साल सितंबर में त्रिकुटा नगर स्थित एक निजी चिकित्सालय में हुआ था।

Update: 2021-01-04 06:37 GMT
जम्मू-कश्मीर: सिर्फ 450 ग्राम की मिरेकल बेबी, चिकित्सा कर्मियों ने ऐसे बचाई जान (PC: social media)

नई दिल्ली: जम्मू के महाराजा गुलाब सिंह अस्पताल (एसएमजीएस) के चिकित्सा कर्मियों ने 24 सप्ताह की प्रीमैच्योर बच्ची की जान बचाकर बड़ा कमाल किया है । जन्म के समय नवजात बच्ची का वजन सिर्फ 450 ग्राम था। निजी चिकित्सालय में जन्म के बाद इस नवजात बच्ची को एसएमजीएस में भर्ती करवाया गया था। बच्ची एनआईसीयू वार्ड में करीब 100 दिनों तक भर्ती रही। 37 सप्ताह का समय पूरा होने के बाद उसका वजन बढ़ कर 1420 ग्राम हो गया। बच्ची के स्वस्थ हो जाने पर अब उसे अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया है।

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सितंबर में हुआ था बच्ची का जन्म

जम्मू-कश्मीर के आरएसपुरा के रहने वाले इकबाल सिंह ने बताया कि उनकी बेटी का जन्म पिछले साल सितंबर में त्रिकुटा नगर स्थित एक निजी चिकित्सालय में हुआ था। प्रीमैच्योर होने के कारण बच्ची का जन्म के समय वजन केवल 450 ग्राम था। बच्ची का स्वास्थ्य ठीक न होने और उसके प्रीमैच्योर होने के कारण उसे एसएमजीएस में भर्ती कराया गया था। अस्पताल के चिकित्सा कर्मियों ने करीब 100 दिनों तक इस बच्ची का पूरा ख्याल रखा , जिससे बच्ची की जान बच गई है।

चिकित्सकों ने बताया मिरेकल बेबी

एसएमजीएस से जुड़े चिकित्सकों ने इस बच्ची को मिरेकल बेबी का नाम दिया है। अस्पताल प्रशासन ने दावा किया है कि देश में अपने तरीके का यह पहला ऐसा दुर्लभ मामला है जिसमें सरकारी अस्पताल में इतनी प्रीमैच्योर बेबी की जान बचाई गई है।

अस्पताल के बाल रोग विभाग से जुड़े डॉक्टरों ने बताया कि मिरेकल बेबी के इलाज के लिए अलग से एक इनक्यूबेटर का इंतजाम किया गया था। बच्ची को एनआईसीयू वार्ड में 13 सप्ताह रखा गया ताकि सामान्य 33 सप्ताह का समय पूरा किया जा सके। इस सारी प्रक्रिया के दौरान कई उतार-चढ़ाव आए।

देश में अपनी तरह का दुर्लभ मामला

बाल रोग विभाग के एचओडी डॉ घनश्याम सैनी ने बताया कि देश में सबसे अधिक प्रीमेच्योर जीवित बच्चा 22 सप्ताह के गर्भ से पैदा हुआ था जिसका वजन 492 ग्राम था। देश में जन्मे शिशुओं के बीच सबसे कम उम्र में जन्मी मिरेकल बेबी का यह दुर्लभ मामला है। डॉ सैनी ने कहा कि इस बच्ची की जान बचाने में सभी चिकित्सा कर्मियों ने पूरी तरह मदद की है और सभी बधाई के पात्र हैं।

नए साल पर लाडली का तोहफा

बच्ची के पिता इकबाल सिंह ने कहा कि नए साल पर उन्हें दूसरी लाडली का तोहफा मिला है। उन्होंने कहा कि 100 दिनों तक बच्ची को एनआईसीयू में रखने के दौरान वे बेहद मुश्किल दौर का सामना कर रहे थे।

आईसीयू में बच्ची के रहने के कारण पूरे परिवार का एक अलग शेड्यूल बन गया था। उन्होंने कहा कि इस दौरान बच्ची के पास परिवार का कोई न कोई सदस्य जरूर रहता था। परिवार के सभी सदस्यों को दिन-रात बच्ची की ही चिंता लगी रहती थी।

मां की आंखों से छलके खुशी के आंसू

बच्ची की मां जितेंद्र कौर का कहना है कि उनका मन हमेशा इस बच्ची के बारे में सोचने में ही लगा रहता था। उन्होंने कहा कि मैं काफी दिनों से इस बच्ची के गोद में आने का इंतजार कर रही थी।

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अस्पताल से बच्ची के डिस्चार्ज होने के बाद अपनी गोद में लेकर मां जितेंद्र कौर की आंखों में खुशी के आंसू छलक आए। उन्होंने कहा कि भगवान की दया से और डॉक्टरों की मदद से इस बच्ची की जान बच गई है और निश्चित रूप से यह मिरेकल बेबी ही है। उन्होंने बच्ची की जान बचाने के लिए अस्पताल के चिकित्सा कर्मियों को भी धन्यवाद दिया।

रिपोर्ट- अंशुमान तिवारी

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