नदियों में आतंकी घर: ऐसे दे रहे सेना को चकमा, नहीं कामयाब हुई ये भी साजिश

लाइन ऑफ कंट्रोल(LOC) पर सीजफायर करने की साजिश में नाकाम होते आतंकियों में अब घाटी में शरण लेने की नई तरकीब अपनाई। वैसे तो घाटी में आतंकवादियों का पहाड़ी इलाकों जंगलों में छिपना और गांव में लोगों के घरों में शरण लेना कोई बड़ी बात नहीं है।

Update:2020-09-21 17:16 IST
लाइन ऑफ कंट्रोल(LOC) पर सीजफायर करने की साजिश में नाकाम होते आतंकियों में अब घाटी में शरण लेने की नई तरकीब अपनाई। वैसे तो घाटी में आतंकवादियों का पहाड़ी इलाकों जंगलों में छिपना और गांव में लोगों के घरों में शरण लेना कोई बड़ी बात नहीं है।

जम्मू। लाइन ऑफ कंट्रोल(LOC) पर सीजफायर करने की साजिश में नाकाम होते आतंकियों में अब घाटी में शरण लेने की नई तरकीब अपनाई। वैसे तो घाटी में आतंकवादियों का पहाड़ी इलाकों जंगलों में छिपना और गांव में लोगों के घरों में शरण लेना कोई बड़ी बात नहीं है। लेकिन अब आतंकियों की नई साजिश का खुलासा हुआ है। भारतीय सेना और सुरक्षाबलों से बचने के लिए ये आतंकी घने बगीचों में अंडरग्राउंड बंकर बनाकर रहते हैं। और तो और मौसमी नदियों में बंकर खोदकर भी छिप के रहते हैं।

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कई दिनों तक छिपे रह सकते

ऐसे में सेना की आतंकवाद निरोधक यूनिट 44 राष्ट्रीय राइफल्स के कर्नल एके सिंह का यह कहना है आतंकियों द्वारा ये रवईया जल्दी में पुलवामा और शोपियां में ऑपरेशन के दौरान देखने को मिला है क्योंकि वहां सेब के घने बगीचे और जंगल हैं।

कर्नल ने बताया कि इन दोनों जिलों को आतंकियों का गढ़ माना जाता है। उनकी टीम के लिए भूमिगत बंकरों के मिलने के बाद स्थिति आसान नहीं थी क्योंकि यहां बिना सुरक्षा बलों की नजर में आए आतंकवादी कई दिनों तक छिपे रह सकते हैं। नदियों के जलस्तर के उतार-चढ़ाव और अचानक आने वाली बाढ़ से प्रभावित रामबी अरा के बीच में कोई बंकर मिलना सुरक्षाबलों के लिए किसी अचरज से कम नहीं था।

घाटी में इन आतंकियों ने छिपने के लिए रामबी अरा के बीच में लोहे के बंकर बना रखे थे। सतर्क जवानों ने तेल के एक ड्रम का ढक्कन खुला देखा, जिसका इस्तेमाल आतंकवादी बंकर में आने-जाने के रास्ते के रूप में करते थे।

फोटो-सोशल मीडिया

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बेहद हैरानी

ऐसे में शक के आधार पर वहां गुपचुप तरीके से नजर रखी जाने लगी। हमें यह देखकर बेहद हैरानी हुई कि नदी के बीच से आतंकवादी निकल रहे हैं जो आम तौर पर बारिश के मौसम में ही पानी से भरी रहती है।

आगे कर्नल ने बताया कि प्रतिबंधित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिद्दीन के पांच आतंकवादियों को इस साल के शुरुआत में मार गिराया गया था। हालांकि सेना के लिए इन आतंकवादियों के मारे जाने से ज्यादा चिंता की बात यह थी कि आतंकवादी भूमिगत बंकरों को बनाने और उनमें रहने में सक्षम हैं।

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तहखानों और भूमिगत बंकरों की जानकारी

बताया कि तकनीकी खुफिया निगरानी और मानव संसाधनों के जरिए आसपास के इलाकों तथा खासकर शोपियां में सर्वे का आदेश दिया गया। इस पर पारंपरिक कश्मीरी घरों के अंदर तहखानों और भूमिगत बंकरों की जानकारी मिलनी शुरू हो गई।

उन्होंने बताया कि घरों में छिपने के लिए कृत्रिम स्थान भी बनाकर रखे गए हैं। तमाम घरों में तो भूमिगत बंकर में जाने का रास्ता घरों के बेसमेंट से है। शोपियां के अमरबुग इलाके में एक भूमिगत कमरा खोज निकाला गया। इनवर्टर बैटरी की मदद से बैटरी चार्ज करने की भी सुविधा उपलब्ध थी। ये आतंकी बड़ी चालाकी से बकंरो में छिपकर सेना के लिए साजिश रचते हैं।

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