JNU: प्रशासन ने मानी स्टूडेंट्स की मांग फिर भी धरने पर बैठा छात्रसंघ, जानिए क्या है वजह
JNU: JNU में छात्रसंघ पिछले 15 दिन से अपनी मांगो को लेकर भूख हड़ताल पर बैठा हुआ है। आज इस हड़ताल का 16वां दिन है।
JNU: JNU में इस छात्रसंघ के स्टूडेंट्स अपनी मांगो को लेकर हड़ताल पर बैठे हुए है। उनकी मांगो को लेकर प्रशासन ने मौखिक तौर पर अपनी सहमति दे दी है। लेकिन अभी भी छात्रसंघ बहाल पर है क्योंकि वे प्रशासन से लिखित सहमति चाहते है। इस विरोध प्रदर्शन पर अध्यक्ष धनंजय तथा काउंसलर नीतीश कुमार भूख हड़ताल पर बैठे है। छात्रसंघ ने प्रशासन के सामने कुल मिलकर 12 मांगे रखी है जिनमें से उन्होंने 6 मांगो को मान लिया है। इन मांगो में उन्होंने JNU के अंदर जातिगत जनगणना की भी मांग की है।
छात्रसंघ की तरफ से क्या उठाई गई मांग
प्रशासन की तरफ से जिन मांगो को मान लिया गया है उनपर छात्रसंघ का कहना है कि ये हमारी आंशिक जीत है। छात्रसंघ की जिन मांगो को मान लिया गया है उनमे प्रवेश के लिए पुरानी इन-हाउस प्रवेश परीक्षा प्रणाली, जेएनयू प्रवेश परीक्षा को बहाल करना, परिसर की जाति जनगणना आयोजित करना, छात्रवृत्ति राशि बढ़ाना और प्रवेश के लिए मौखिक परीक्षा को दिए गए वेटेज में कमी का प्रस्ताव शामिल हैं। स्कॉलरशिप बढ़ाने की मांग में यह कहा गया कि जो 2000 रूपए प्रति माह मिल रही है उसे बढ़ाकार 5000 रूपए की जाए। जेएनयू प्रशासन ने इस मांग को सैद्धांतिक तौर पर मानते यूजीसी को पत्र लिखा है.
छात्रसंघ का जारी है हड़ताल
आज 16वें दिन भी छात्रसंघ की हड़ताल जारी है। छात्रसंघ का कहना है कि जो भी मांगे मानी गई उसकी हमें लिखित सहमति चाहिए। यह भूखहड़ताल 11 अगस्त को शुरू हुई थी। छात्रसंघ की तरफ से इस हड़ताल को लेकर एक बयान है जिसमें कहा गया कि धनंजय का वजन पांच किलो कम हो गया है, और उनके कीटोन का स्तर चार से अधिक हो गया। इससे उनके गुर्दे पर काफी असर पड़ सकता है। वहीं प्रदर्शन कर रहे नितीश कुमार का वहां सात किलो कम हो गया है। उनकी मांसपेशियों में अब गंभीर रूप से दर्द उठ रहा है।