Kargil Diwas 2019: चलती रही पाकिस्तान की गोलियां, लड़ते रहे काशी के आलिम

जैसें-जैसें कारगिल दिवस आने लगता है वैसें ही लड़ाई में शामिल एक-एक जवान की यादें ताजा हो जाती हैं। इस बार कारगिल युध्द के 20 साल पूरे हो गयें हैं। इसी कारगिल की लड़ाई में एक जवान की शौर्यगाथा आज सुना रहें हैं।

Update: 2019-07-24 12:48 GMT
कारगिल युध्द

नई दिल्ली : जैसें-जैसें कारगिल दिवस आने लगता है वैसें ही लड़ाई में शामिल एक-एक जवान की यादें ताजा हो जाती हैं। इस बार कारगिल युध्द के 20 साल पूरे हो गयें हैं। इसी कारगिल की लड़ाई में एक जवान की शौर्यगाथा आज सुना रहें हैं। वाराणसी के चौबेपुर में रहने वाले आलिम अली ने कारगिल युद्ध में आठ गोलियां खाई थीं। लेकिन फिर भी अपने साथियों के साथ उन्होनें तिरंगा फहराया था।

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आलिम अली सेना में सन् 1990 में भर्ती हुए थे। जोकि जुलाई 1992 से सितंबर 1995 तक कश्मीर में चल रहे 'ऑपरेशन रक्षक' में शामिल हुए थे। पाकिस्तान जब कारगिल में घुसा, तब 7 जून 1999 में आलिम अली को कारगिल में युद्ध लड़ने भेजा गया।

आलिम अली ने अपने 25 साथियों के साथ कारगिल के युद्ध में हिस्सा लिया था। कई दिनों तक देश के लिए कुरबान होकर कारगिल पर लड़ते रहें। फिर वो वक्त भी आ गया, जब 21 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित जुबार हिल पर उन्होनें साथियों के साथ तिरंगा फहराया था।

युद्ध के दौरान आलिम अली को सीने, घुटने, कमर समेत शरीर के अन्य हिस्सों में आठ गोलियां लगी थीं। लेकिन उनका देश के लिए जो उद्देश्य था, वो पूरा करके दिखाया। और देश के शहीदों में अपना नाम दर्ज करा दिया।

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कारगिल युध्द से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें ये हैं-

  • कारगिल युध्द में कुल 527 जाबांज जवान शहीद हुए।
  • जवानों ने लगभग 24 हजार से अधिक गोले दागे ।
  • 2 माह तक चली थी कारगिल की ये जंग।
  • युद्ध में 1363 जवान घायल हुए।

ऐसें ही वीर हुए हमारी धरती पर, जिनकी शौर्यगाथाएं बन गयी, देश को अपना सर्वत्र निछावर करके फिर वो चले गये।

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