कारगिल युद्ध में एक निशाने की चूक और जिंदा बच गए थे मुशर्रफ और नवाज

आज कारगिल विजय दिवस के मौके पर पूरे देश में शहीदों को श्रद्धांजलि दी जा रही दै। कारगिल विजय दिवस हर साल 26 जुलाई को में मनाया जाता है।  कारगिल युद्ध करीब 2 महीने तक चला था।

Update: 2019-07-26 07:51 GMT

नई दिल्ली: आज कारगिल विजय दिवस के मौके पर पूरे देश में शहीदों को श्रद्धांजलि दी जा रही दै। कारगिल विजय दिवस हर साल 26 जुलाई को में मनाया जाता है। कारगिल युद्ध करीब 2 महीने तक चला था। कहा जाता है कि पाकिस्तान इस युद्ध की तैयारी में साल 1998 से ही लगा था। जानकर बताते हैं कि पाकिस्तानी एयरफोर्स चीफ को कारगिल युद्ध के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई थी और बाद में जब उन्हें इसके बारे में बताया गया तो उन्होंने इस ऑपरेशन में पाकिस्तानी सेना का साथ देने से इंकार कर दिया था।

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एक मीडिया रिपोर्च के मुताबिक कारगिल युद्ध में मुशर्रफ और नवाज शरीफ की भी मौत हो सकती थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि 24 जून 1999 को करीब सुबह 8.45 बजे जब लड़ाई अपने चरम पर थी। उस समय भारतीय वायु सेना के एक जगुआर ने नियंत्रण रेखा (एलओसी) के ऊपर उड़ान भरी और पाकिस्तानी सेना के एक अग्रिम ठिकाने पर हमला बोला। जगुआर का इरादा 'लेजर गाइडेड सिस्टम' से बमबारी करने लिए टारगेट को चिह्नित करना था। उसके पीछे आ रहे दूसरे जगुआर को बमबारी करनी थी, लेकिन दूसरा जगुआर निशाना चूक गया और उसने 'लेजर बॉस्केट' से बाहर बम गिराया जिससे पाकिस्तानी ठिकाना बच गया।

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रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर दूसरा जगुआर का निशाना सटीक लगता तो पाकिस्तान के तत्कालीन जनरल परवेज मुशर्रफ और तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ भी वहीं मारे जाते।

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भारत सरकार के दस्तावेज में भी कहा गया है कि 24 जून को जगुआर ने प्वाइंट 4388 पर निशाना साधा था, इसमें पायलट ने एलओसी के पार गुलटेरी को लेजर बॉस्केट में चिह्नित किया था लेकिन बम निशाने से चूक गया। हमले के समय तत्कालीन पाकिस्तानी पीएम नवाज शरीफ और तत्कालीन जनरल परवेज मुशरर्फ उस समय उसी ठिकाने पर मौजूद थे।

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