Karnataka Elections: परिवारवालों को खूब मिले टिकट

Karnataka Elections: जरकीहोली भाइयों- रमेश और बालचंद्र को टिकट दिया गया है। दिवंगत मंत्री उमेश कट्टी के परिवार को दो टिकट मिले- उनके बेटे निखिल कट्टी और भाई रमेश कट्टी को।

Update:2023-04-15 16:46 IST
Karnataka Elections ticket (photo: social media )

Karnataka Elections: कर्नाटक में 10 मई को होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा के 212 उम्मीदवारों की सूची में पारिवारिक राजनीति की अच्छी खासी झलक है। कम से कम दो दर्जन टिकट उन उम्मीदवारों को गए हैं जो 10 राजनीतिक परिवारों से आते हैं। इसमें पिता पुत्र, भाई और पारिवारिक रिश्तेदार शामिल हैं। जरकीहोली भाइयों- रमेश और बालचंद्र को टिकट दिया गया है। दिवंगत मंत्री उमेश कट्टी के परिवार को दो टिकट मिले- उनके बेटे निखिल कट्टी और भाई रमेश कट्टी को। खनन कारोबारी जनार्दन रेड्डी के भाई सोमशेखर रेड्डी (बेल्लारी शहर) और करुणाकर रेड्डी (हड़प्पानहल्ली) भाजपा के उम्मीदवार हैं।

इनको भी मिला टिकट

मंत्री शशिकला जोले (निप्पानी से विधायक) चिक्कोडी सांसद अन्नासाहेब जोले की पत्नी हैं। गुलबर्गा के सांसद उमेश जाधव के बेटे अविनाश जाधव चिंचोली से भाजपा के उम्मीदवार हैं। तुमकुर के सांसद जीएस बसवराज के बेटे ज्योति गणेश तुमकुर शहर के विधायक हैं। पर्यटन मंत्री आनंद सिंह के बेटे सिद्धार्थ सिंह को विजयनगर से प्रत्याशी बनाया गया है। बसवनगुड़ी विधायक एलए रवि सुब्रमण्य बेंगलुरु दक्षिण के सांसद तेजस्वी सूर्या के चाचा हैं। परिवहन मंत्री बी श्रीरामुलु और उनके भतीजे टी एच सुरेश बाबू दोनों उम्मीदवार हैं। भाजपा के कद्दावर नेता बीएस येदियुरप्पा के बेटे बी वाई विजयेंद्र शिकारीपुरा से उम्मीदवार हैं। विजयेंद्र के भाई बी वाई राघवेंद्र शिमोगा से सांसद हैं।

कांग्रेस का हमला

कांग्रेस प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने दावा किया है कि भाजपा द्वारा अब तक घोषित 212 उम्मीदवारों में से 34 "भाई-भतीजावाद" और "परिवारवाद" के उदाहरण हैं।

भाजपा का पलटवार

भाजपा महासचिव एन रवि कुमार ने कहा है कि - मैं मानता हूं कि भाजपा में कुछ ऐसे उदाहरण हैं जहां एक नेता के बच्चों को टिकट दिया गया है, लेकिन जब राष्ट्रीय नेतृत्व के पदों की बात आती है तो भाजपा में विविधता देखें और उसकी तुलना कांग्रेस या जद एस से करें जहां पूरा शो ही परिवार द्वारा चलाया जाता है।

कर्नाटक भाजपा के प्रवक्ता गणेश कार्णिक ने कहा कि कांग्रेस जैसी “वंश-स्वामित्व वाली पार्टियां” भाजपा के भीतर काम करने वाले राजनीतिक परिवारों के समान नहीं हैं। उन्होंने कहा - हम एक 'वंश' को अलग तरह से परिभाषित करते हैं। हमारे लिए, एक वंश का मतलब एक पार्टी है जिसका स्वामित्व और नियंत्रण एक परिवार के पास है - जैसे कांग्रेस के लिए गांधी परिवार, जेडी (एस) के लिए देवेगौड़ा परिवार, तेलंगाना राष्ट्र समिति (अब भारत राष्ट्र समिति) के लिए केसीआर परिवार और डीएमके में करुणानिधि परिवार। ये पार्टियां सत्ता के पदों पर अपने परिवार के सदस्यों के बिना काम नहीं कर सकती हैं।

Tags:    

Similar News