करतापुर कॉरिडोर: अब पूरी होगी दर्शन की आस

Update:2019-11-01 12:16 IST

दुर्गेश पार्थसारथी

अमृतसर: सिख धर्म के संस्थापक और पहले गुरु श्री गुरुनानक देव जी का 550वां प्रकाश पर्व (जन्मदिन) 12 नवंबर को है। दुनिया भर की सिख संगत को उस सुखद पल का बेसब्री से इंतजार है जब वे पाकिस्तान स्थित श्री करतारपुर साहिब बिना वीजा व पासपोर्ट के दर्शन के लिए जा सकेंगे। इसके लिए भारत और पाकिस्तान दोनों देशों की सरकारें सडक़ व पुलिस चौकी निर्माण से लेकर इमिग्रेशन तक सभी तरह के कार्य मुकम्मल कर चुकी हैं। बस इंतजार है तो उद्घाटन का। उल्लेखनीय है भारत विभाजन के दौरान सिख धर्म के दो महत्वपूर्ण स्थान श्री ननकाना सहिब (जहां श्री गुरुनानक देव जी का जन्म हुआ था) और श्री करतारपुर सहिब (जहां वे ज्योति में समाए थे) पाकिस्तान में चले गए थे। इसके अलावा कटासराज, हिंगलाज सहित दर्जनों तीर्थस्थल और तक्षशिला, हड़प्पा सहित आदि पाकिस्तान के हिस्से में आ गए थे।

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1947 से ही लोग कर रहे थे मांग

गुरुद्वारा श्री करतापुर साहिब का लांघा खोलने की मांग भारतीय सिख संगत 1947 में देश विभाजन के बाद से ही कर रही थी जो अब साकार हुई है। अभी तक सिखों को इस पवित्र स्थल के दर्शनों के लिए एक लंबी कानूनी प्रक्रिया के साथ ही लंबी यात्रा से भी गुजरना पड़ता था। यही नहीं जो सिख श्रद्धालु करतारपुर नहीं जा पाते थे उन्हें डेराबाबा नानक स्थित भारत-पाक सीमा पर लगी दूरबीन से ही गुरुघर के दर्शन कर संतोष करना पड़ता था, लेकिन अब यह दूरी सिमट गई है।

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इसलिए अहम है करतारपुर साहिब

सिख धर्म के संस्थापक और पहले गुरु श्री गुरु नानकदेव ने अपनी जिंदगी के आखिरी 17 साल 5 महीने 9 दिन यहीं गुजारे थे। उनका सारा परिवार ननकाना साहिब से यहीं आकर बस गया था। उनके माता-पिता और उनका देहांत भी यहीं पर हुआ था। कहा जाता है कि श्री गुरु नानक देव जी ने यही कीरत करो, बंड छको अर्थात मेहनत करो और नेकी की इस कमाई को जरुरतमंदों में बांट कर खाओ का संदेश दिया था। गुरु नानक देव जी के इस संदेश को सिख आज भी मानते हैं।

2018 में हुई थी कॉरिडोर की घोषणा

पिछले साल पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान के शपथ ग्रहण समारोह में पहुंचे पंजाब सरकार के तत्कालीन मंत्री नवजोत सिद्धू के पाकिस्तान सेनाध्यक्ष कमर जावेद बाजवा से गले मिलने पर सिद्धू का भारी विरोध हुआ था। उस दौरान सिद्धू ने यह कहते हुए बचाव किया था कि वो श्री करतारपुर साहिब लांघा खोलने की बात कर रहे थे।

इसके बाद दोनों देशों के बीच करतारपुर कॉरिडोर को लेकर बातचीत शुरू हुई। इसके बाद भारत सरकार की ओर से 22 नवंबर 2018 को कॉरिडोर बनाने की घोषणा की गई। भारत में इसका उद्घाटन 26 नवंबर को उपराष्ट्रपति एम.वेंकैया नायडू ने किया था जबकि पाकिस्तान में कॉरिडोर की आधारशिला पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने रखी थी।

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पाकिस्तान ने बनाए 80 इमीग्रेशन सेंटर

पाकिस्तान ने करतारपुर कॉरिडोर पर 80 इमीग्रेशन सेंटर बनाए हैं। इससे बड़ी संख्या में आने वाले श्रद्धालुओं को मंजूरी देने की प्रक्रिया में तेजी आएगी। करतारपुर कॉरिडोर को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच 24 अक्टूबर को समझौता हुआ था। इसके तहत भारतीय श्रद्धालु बिना वीजा पाकिस्तान स्थित गुरुद्वारा दरबार साहिब जा सकेंगे।

जानकारी के मुताबिक रोजाना पांच हजार भारतीय श्रद्धालुओं को गुरुघर जाने की मंजूरी होगी। पाकिस्तान के गृह मंत्रालय ने भारत से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए तीन प्रवेश द्वार बनवाए हैं। संघीय जांच एजेंसी श्रद्धालुओं की स्वीकृति सूची उनकी यात्रा से दस दिन पहले भारतीय सुरक्षा बल को सौंपेगी।

नहीं होगी ठहरने की इजाजत

गुरुद्वारा दरबार साहिब भारतीय सीमा से महज चार किलोमीटर दूर पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के नरोवाल जिले में स्थित है। पाकिस्तानी रेंजर्स की सुरक्षा में श्रद्धालुओं को बस के जरिये गुरुद्वारा दरबार साहिब पहुंचाया जाएगा। यहां आने वाली भारतीय सिख संगत को उसी दिन शाम पांच बजे तक लौटना होगा। गुरुद्वारे में प्रवेश से पहले दोनों देशों के श्रद्धालुओं की बायोमीट्रिक जांच होगी। किसी को भी गुरुद्वारे में ठहरने की इजाजत नहीं होगी।

टर्मिनल पर 300 फिट ऊंचा तिरंगा

लैंड पोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के डिप्टी डायरेक्टर सुखदेव सिंह का कहना है कि 300 फिट ऊंचा तिरंगा लगाने के लिए पोल का काम पूरा कर लिया गया है। उद्घाटन से पहले राष्ट्रध्वज लगा दिया जाएगा। उधर भारत की देखा-देखी पाकिस्तान ने भी ध्वज लगाने की तैयारी की है। इसके अलावा 500 करोड़ की लागत से बनी जांच चौकी का काम भी पूरा हो चुका है। यह चौकी सभी सुविधाओं से परिपूर्ण होगी।

ऑनलाइन पंजीकरण शुरू

उद्घाटन की सभी तैयारियों के बीच श्री करतारपुर साहिब के दर्शनार्थी सिख श्रद्धालुओं का ऑनलाइन पंजीकरण शुरू हो गया है। घोषणा के मुताबिक एक दिन में पांच हजार श्रद्धालु पाक स्थित गुरु घर के दर्शन कर सकेंगे। इसके लिए भारत और पाकिस्तान दोनों देशों की सरकारों ने सभी तैयारियां पूरी कर रखी हैं। इस प्रक्रिया से काली सूची में शामिल लोगों को दूर रखा गया है।

आशंकाओं में घिरा रहा कॉरिडोर

करतारपुर कॉरिडोर बनाए जाने की घोषणा से लेकर अब तक यह आशंकाओं में घिरा रहा। आशंका इस बात को लेकर है कि पाकिस्तान धर्म की आड़ में अपने नापाक मंसूबों को अंजाम देने का प्रयास करेगा। राज्यसभा सांसद सुह्ब्रमन्यम स्वामी ने कहा था कि कॉरिडोर का इस्तेमाल पाकिस्तान आतंकियों के लिए कर सकता है। इसलिए कॉरिडोर नहीं खोला जाना चाहिए। स्वामी के इस बयान का सिख कौम ने भारी विरोध किया था। इससे पहले सेनाध्यक्ष विपिन रावत और पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह भी सुरक्षा कारणों से इस पर सवाल उठा चुके हैं।

खूब हुई राजनीति

इन दिनों करतारपुर साहिब कॉरिडोर के उद्घाटन समारोह को लेकर कांग्रेस और अकाली दल में खूब राजनीति हो रही है। जहां एक तरफ मुख्यमंत्री कैपटन अमरिंदर सिंह अलग मंच लगा रहे हैं वहीं दूसरी ओर शिअद इसे सियासी बताते हुए कह रहा है कि धार्मिक मंच को राजनीतिक मंच बना देना उचित नहीं है। शिअद का कहना है कि एसजीपीसी को इस पर हस्तक्षेप करना चाहिए।

सिद्धू हुए साइड लाइन

पिछले साल आलोचनाओं का शिकार हुए नवजोत सिंह सिद्धू करतारपुर कॉरिडोर से पूरी तरह साइडलाइन कर दिए गए हैं। यहीं नही प्रदेश कांग्रेस ने उन्हें पार्टी से भी साइड लाइन कर रखा है। इस बीच नवजोत सिंह सिद्धू की पत्नी डॉ.नवजोत कौर ने कहा कि वह राजनीति की जगह समाज सेवा के जरिए लोगों से जुड़ी रहेंगी। हालांकि अभी तक नवजोत सिंह सिद्धू का कोई बयान सामने नहीं आया है। वे अपने हलके के लोगों से भी दूरी बनाए हुए हैं।

आठ को मोदी और नौ को इमरान करेंगे उद्घाटन

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान नौ नवंबर को करतारपुर कॉरिडोर का औपचारिक तौर पर उद्घाटन करेंगे। 8 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी डेरा बाबा नानक आकर कॉरिडोर और टर्मिनल का उद्घाटन करेंगे। गुरुनानक देव के 550वें प्रकाशोत्सव से दो दिन पहले यानी दस नवंबर से यह कॉरिडोर श्रद्धालुओं के लिए खुल जाएगा। गुरुनानक देव जी के 550वें प्रकाश पर्व पर डेरा बाबा नानक आने वाली संगत के लिए टेंट सिटी के अलावा 40 एकड़ में पंडाल भी लगाया जा रहा है। इस पंडाल को अलग-अलग ब्लॉक में बांटा जाएगा। इसके चार ब्लॉक में प्रदर्शनियां लगाई जाएंगी। पंडाल 300 फीट चौड़ा और 600 फीट लंबा होगा।

पाक के 20 डॉलर शुल्क को बताया जजिया

पाकिस्तान सरकार ने भारतीय श्रद्धालुओं पर 20 डॉलर यानी करीब 1400 रुपये का शुल्क लगा दिया है। इसका देश में चौतरफा विरोध हो रहा है। शिरोमणि अकाली दल की सांसद और केंद्रीय फूड प्रसंस्करण मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने इसे जजिया कर बताया है। उन्होंने इतिहास का हवाला देते हुए कहा कि मुस्लिम शासकों ने तीर्थ पर जाने वाले हिंदुओं पर जजिया लगाया था। इसी तरह आर्थिक तौर पर कंगाल हो चुके पाकिस्तान ने अब अपनी स्थिति सुधारने के लिए श्रद्धालुओं पर शुल्क लगाया है। इसे वापस लेना चाहिए, लेकिन पाकिस्तान अपनी बात पर अड़ा है। वही आर्थिक रूप से कमजोर सिखों का कहना है कि वे शुल्क की वजह से गुरु घर का दर्शन नहीं कर पाएंगे।

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