Kisan Andolan: 48 घंटे हैं बेहद अहम, किसानों से लेकर मोदी सरकार तक की टिकी निगाहें

Kisan Andolan: सरकार से आगे फिलहाल कोई मीटिंग नहीं होगी, लेकिन हम बातचीत के लिए हमेशा तैयार हैं। हमारी बातें मांग ली जाएं या फिर दिल्ली में हमें शांतिपूर्वक प्रदर्शन की अनुमित दी जाए।

Report :  Viren Singh
Update: 2024-02-20 12:59 GMT

Kisan andolan (सोशल मीडिया) 

Kisan Andolan: एमएसपी सहित विभिन्नों को लेकर चंडीगढ़ में किसान नेताओं और केंद्र सरकार के बीच हुईं तीन बैठकों बाद भी कोई नतीजा नहीं निकलने पर और दिल्ली कूच के लिए हरियाणा के अंलाबा के शंभू बार्डर पर किसानों के गातिरोध पर अब किसानों सगंठनों ने बड़ा फैसला किया है। इस फैसले के लिए बाद किसान आंदोलन के मद्देनजर 48 घंटे बेहद अहम माने जा रहे हैं, जिस पर केंद्र सरकार के लेकर संर्घषरत किसानों की निगाहें टीकी हुई हैं। इन 48 घंटों में फैसला होगा कि किसान आंदोलन का रूख कैसा रहने वाला है,क्योंकि 14 फरवरी को पंजाब से दिल्ली कूच के लिए निकले किसान अभी शंभू बार्डर पर फंस हुए हैं और इस दौरान सरकार के साथ तीन बैठकें भी बेनतीजा साबित रहीं। इससे किसानों में बेचैनी तो बढ़ी ही है, साथ सरकार भी जल्द से जल्द इस मुद्दे को हलकर करना चाहती है, इसलिए किसानों के लिए अपने द्वार खोले हुए है। 

21 फरवरी को होगी दिल्ली कूच, 22 फरवरी को होगा यह

किसानों की मांग नहीं मनाने पर अब किसान संगठन ने फैसला किया है, वह 21 फरवरी को अपने पूरे दमखम के साथ दिल्ली कूच करने के लिए निकलेगा तो वहीं, 22 फरवरी को संयुक्त किसान मोर्चा 'एसकेएम' के बैनर के तले पंजाब में 100 से अधिक किसान संगठन बैठक करेंगे। हरियाणा से लगते पंजाब के शंभू बॉर्डर इस आंदोलन का नेतृत्व कर रहे किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने ऐलान किया कि वह 21 फरवरी की सुबह 'दिल्ली कूच' के लिए रवाना होंगे। हम सरकार से अपील करते हैं कि या तो हमारे मुद्दों का समाधान किया जाए या अवरोधक हटाकर हमें शांतिपूर्वक विरोध-प्रदर्शन करने के लिए दिल्ली जाने की अनुमति दी जाए।

शंभू बार्डर पर किसानों की तैयारियां, लाए मशीन

किसानों के आंदोलन को असफल करने के लिए केंद्र सरकार ने दिल्ली की सारी सामीएं तो सील की हुई है, साथ ही हरियाणा की भी कुछ सीमाएं सील हैं और यहां पर कंक्रीट की बड़ी बड़ी दीवारों के साथ कटीले तारों को बिछा रखा है। इसके अलावा पैरामिलिट्री फोर्स और पुलिस के भारी संख्या में जवानों को तैनात कर रखा है। सीमाओं सील पर शंभू बार्डर भी शामिल हैं, जहां पर भारी संख्या में किसान दिल्ली जाने के लिए डटे हुए हैं। मंगलवार को शूंभ बार्डर पर सीमेंट की दीवारों को हटाने के लिए किसानों की ओर से पोकलेन मशीन भी आ गई है। किसान नेता नवदीप जलबेड़ा यह मशीन लेकर पहुंच हैं। इस मशीन की मदद से किसान सीमेंट की दीवारों को हटाएंगे और दिल्ली में प्रदर्शन करने के लिए प्रस्थान करेंगे। यहां पर किसानों ने कहा कि सरकार की नीयत में खोट है। सरकार हमारी मांगों पर गंभीर नहीं है। हम चाहते हैं कि सरकार 23 फसलों पर MSP का फॉर्मूला तय करे, लेकिन सरकार किसानों के लिए चिंतत नहीं है।

अगर कोई मीटिंग नहीं

किसान नेता ने कहा किसरकार से आगे फिलहाल कोई मीटिंग नहीं होगी, लेकिन हम बातचीत के लिए हमेशा तैयार हैं। हमारी बातें मांग ली जाएं या फिर दिल्ली में हमें शांतिपूर्वक प्रदर्शन की अनुमित दी जाए।हम किसानों से अनुरोध करेंगे के आंदोलन में कोई उग्र प्रदर्शन न करें।

आंदोलन पर रखे हुए अपनी नजर

किसान आंदोलन 2.0 में भारत का सबसे बड़ा किसान संगठन संयुक्त किसान मोर्चा भले ही सीधे तौर पर प्रदर्शन न जोड़ा हो, लेकिन इस आंदोलन के लिए अपना समर्थन दिया है। राष्ट्रीय संयोजक अविक साहा ने कहा कि एसकेएम इस आंदोलन पर नजर रखे हुए है। मौजूदा समय में विभिन्न किसान संगठन, अपने-अपने स्तर पर आवाज उठा रहे हैं। गुरुवार को एसकेएम की जनरल बॉडी की बैठक, पंजाब में बुलाई गई है। इस बैठक में दक्षिण भारत के किसान संगठन भी पहुंचेंगे, लेकिन उनकी तादाद कम ही रहेगी।

एसकेएम शामिल होगा या नहीं, फैसला 22 को

उन्होंने कहा कि उत्तर भारत और खासतौर से पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश व राजस्थान के किसान संगठन, जनरल बॉडी की बैठक में पहुंचेंगे। बैठक में किसान आंदोलन 2.0 पर चर्चा होगी। अभी तक जो भी कुछ हुआ है, उसका मूल्याकंन होगा। उसके बाद आंदोलन को लेकर आगामी रणनीति तय होगी। इस बैठक में इस बात का भी फैसला होगा कि एसकेएम किसान आंदोलन 2.0 में शामिल होगा या नहीं। इस बैठक में कई अहम फैसले हो सकते हैं। हालांकि मोदी सरकार ने किसान संगठनों को 2021 में जो लिखित आश्वासन दिया था, उस पर कोई काम नहीं किया है।

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