Cheetah Project in MP: भारत में किसलिए लाए गए चीते, जानिए इसके पीछे की पूरी कहानी
Cheetah Project in MP: आज पीएम मोदी के जन्मदिन पर नामीबिया से चीते भारत के कूनो नेशनल पार्क लाए गए। भारत लाए गए चीतों मे 5 फीमेल और 3 मेल हैं। भारत लाए गए सभी चीतों की उम्र की बात यदि अगर की जाए तो सभी चीते 4 से 6 साल की बीच की उम्र के हैं।
Cheetah Project in MP: आज पीएम मोदी के जन्मदिन पर नामीबिया से चीते भारत के कूनो नेशनल पार्क लाए गए। भारत लाए गए चीतों मे 5 फीमेल और 3 मेल हैं। भारत लाए गए सभी चीतों की उम्र की बात यदि अगर की जाए तो सभी चीते 4 से 6 साल की बीच की उम्र के हैं। पीएम मोदी ने लाए गए 8 चीतों में 3 चीतों को आजाद कर दिया। आजाद किए गए चीतो में दो नर और एक मादा शामिल है। हम बात कर रहें हैं भारत में आखिर क्यों चीते लाए गए, लाए गए चीतों की विशेषता क्या है, चीतों को रहने के लिए कूनो नेशनल पार्क को ही क्यों चुना गया। आइए जानते है क्यों?
चीता क्यों है जरूरी
हमारे पारिस्थितिकी तंत्र के लिए चीता क्यों जरूरी है, सोशल मीडिया की रिपोर्टस के अनुसार पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन चीता खाद्य श्रृंखला का सबसे शीर्ष जीव है। उसके न होने से पूरी खाद्य श्रृंखला पर असर दिखता है। भारत में चीता, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडीसा, तमिलनाडु में पाए जाते थे। लेकिन धीरे-धीरे इनकी संख्या खत्म हो गई और उसका असर चीते के एरिया के भू-क्षेत्र पर भी दिखा। वहां का पूरा इकोसिस्टम खत्म हो गया। कई शाकाहरी जीव का इन इलाकों से अस्तित्व खत्म हो गया। जिसकी वजह से घास के मैदान भी नष्ट हुए। जिसका असर पर्यावरण पर भी दिख रहा है।
लाए गए चीतों की यह खासियत जानें
भारत पहुंचे आठ चीतों में तीन नर और पांच मादा चीते हैं। दो नर चीतों की उम्र साढ़े पांच साल है। दोनों भाई हैं। दोनों नामीबिया के ओटजीवारोंगो स्थिति निजि रिजर्व से लाए गए हैं। तीसरे नर चीते की उम्र साढ़े चार साल है। इसे एरिंडी प्राइवेट गेम रिजर्व से लाया गया है। पांच मादा चीतों में एक दो साल, एक ढाई साल, एक तीन से चार साल तो दो पांच-पांच साल की हैं।
कूनो नेशनल पार्क में ही क्यों रखा गया चीतों को
आपको बता दें कि कूनो नेशनल पार्क को करीब 20 साल पहले एशियाई शेरों को भारत लाने के लिए तैयार किया गया था। लेकिन एशियाई शेरों का कूनो नेशनल पार्क नहीं लाया जा सका था। शेरों के लिए की गई तैयारी अब चीतों के काम आ रही है। सरकार ने कूनो नेशनल पार्क के अलावा मध्यप्रदेश के के नौरादेही अभयारण्य, राजस्थान में भैसरोडगढ़ वन्यजीव परिसर और शाहगढ़ में वैज्ञानिकों के द्वारा आंकलन करवाया था।
वैज्ञानिकों ने सभी पार्कों का आंकलन करने के बाद में कूनो नेशनल पार्क को चीतों के स्थानांतरण के लिए चुना था। कूनो नेशनल पार्क मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से करीब 400 किलोमीटर दूर शियोपुर जिलें में कूनो नदी के किनारे पर कूनो पालपुर वाइल्डलाइफ सेंचुरी है। चीतों को रहने के लिए इस जगह को इसलिए भी सही माना गया है क्यों य़हां के जंगलों में इंसानों की आबादी बहुत ही कम है।
चीतों को भारत लाने कितना आ रहा खर्च
भारत सरकार ने फरवरी 2022 में लोकसभा में इस बात की जानकारी दी थी कि चीता प्रोजेक्ट के लिए 2021-22 से 2025-26 तक के लिेए 38.70 करोड़ रुपए का बजट पारित किया गया है। इन चीतों को इसी प्रोजेक्ट के तहत भारत लाया जा रहा है।