जानें क्या होती है बीटिंग रीट्रीट सेरेमनी, जिससे होता है गणतंत्र दिवस का समापन

राजपथ पर गणतंत्र दिवस समारोह (26 जनवरी) के बाद लोगों को बीटिंग रीट्रीट सेरेमनी का इंतजार करते हैं। गणतंत्र दिवस समारोह के जश्न की शुरुआत परेड से तो जश्न का समापन बीटिंग रीट्रीट सेरेमनी के बाद होता है।

Update: 2020-01-29 07:54 GMT
जानें क्या होती है बीटिंग रीट्रीट सेरेमनी, जिससे होता गणतंत्र दिवस का समापन

नई दिल्ली: राजपथ पर गणतंत्र दिवस समारोह (26 जनवरी) के बाद लोगों को बीटिंग रीट्रीट सेरेमनी का इंतजार करते हैं। गणतंत्र दिवस समारोह के जश्न की शुरुआत परेड से तो जश्न का समापन बीटिंग रीट्रीट सेरेमनी के बाद होता है। अधिकतर लोग इस सेरेमनी के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं रखते हैं। तो चलिए आपको बताते हैं इस बीटिंग रीट्रीट सेरेमनी के बारे में सब कुछ।

29 जनवरी को आयोजित की जाती है 'बीटिंग रीट्रीट' सेरेमनी

बीटिंग रीट्रीट सेरेमनी गणतंत्र दिवस यानि कि 26 जनवरी के ठीक तीन बाद 29 जनवरी को आयोजित की जाती है। गणतंत्र दिवस समारोह के जश्न की शुरुआत परेड से होती है तो जश्न का समापन बीटिंग रीट्रिट सेरेमनी के बाद होता है। बीटिंग द रिट्रीट सेरिमनी को मुख्य रूप से गणतंत्र दिवस का समापन समारोह कहा जाता है। इसका प्रदर्शन रायसीना रोड पर राष्ट्रपति भवन के सामने होता है।

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सेना का अपने बैरक में लौटने का प्रतीक

बीटिंग रीट्रीट सेरेमनी में तीनों सेना (थल सेना, वायु सेना और नौसेना) के बैंड पारंपरिक धुन के साथ मार्च करते हैं। साथ ही यह सेना का अपने बैरक में लौटने का प्रतीक भी माना जाता है। हर साल गणतंत्र के तीसरे दिन 29 जनवरी की शाम बीटिंग रिट्रीट का आयोजन किया जाता है।

कैसे होता है ये कार्यक्रम

हर साल बीटिंग रीट्रिट सेरेमनी का आयोजन राष्ट्रपति भवन रायसीना हिल्स में किया जाता है। जिसमें देश के राष्ट्रपति चीफ गेस्ट के तौर पर शिरकत करते हैं। इस आयोजन का आरंभ तीनों सेनाओं के एक साथ सामूहिक बैंड वादन से होता है।

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इसमें तीनों सेनाओं के बैंड राष्ट्रपति के सामने बैंड बजाते हैं। इस दौरान ड्रमर एकल प्रदर्शन करते हैं। इसके साथ ही ड्रमर्स एबाइडिड विद मी की धुन बजाते हैं और ट्युबुलर घंटियों की तरफ से चाइम्स बजाई जाती हैं। जो कि काफी दूरी पर रखी जाती है।

ऐसे होता है कार्यक्रम का औपचारिक समापन

कार्यक्रम का आयोजन राष्ट्रपति भवन और संसद के पास विजय चौक पर किया जाता है। बैंड वादन के बाद फिर रिट्रीट द्वारा बिगुल बजाया जाता है। उसके बाद बैंड मास्टर राष्ट्रपति के समीप जाकर बैंड वापस ले जाने की अनुमति मांगते हैं। जिसका मतलब होता है कि गणतंत्र दिवस के समारोह पूरा हो चुका है। उसके बाद मार्च वापस जाते समय तीनों सेना के बैंड 'सारे जहां से अच्छा' बजाते हैं।

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शाम 6 बजे तीनों सेनाओं के सामुहिक बैंड धुन बजाते हैं और फिर राष्ट्रीय ध्वज को वापस उतार लिया जाता है। इसके साथ ही सभी राष्ट्रगान गाते हैं और इस तरह गणतंत्र दिवस के आयोजन का औपचारिक समापन हो जाता है।

अंग्रेजों के समय से ही हो रहा है 'बीटिंग रीट्रिट' आयोजन

बीटिंग रिट्रीट सेरिमनी गणतंत्र दिवस की नई परंपरा नहीं है यह अंग्रेजों के समय से ही आयोजित होती आ रही है। बता दें कि 1950 में भारत के एक गणतंत्र देश बनने के बाद बीटिंग रिट्रीट सेरिमनी को अब तक दो बार रद्द किया जा चुका है। पहली बार इसे तब रद्द किया गया था, जब 27 जनवरी 2009 को भारत के 8वें राष्ट्रपति रामस्वामी वेंकटरमण का लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया था। दूसरी बार 26 जनवरी 2001 को गुजरात में आए भूकंप के कारण इसे रद्द किया गया था।

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