जानिए क्यों कोर्ट ने दिल्ली को पानी जारी करने के लिए पूर्व शर्त कर दी अस्वीकार?
दिल्ली उच्च न्यायालय ने हरियाणा द्वारा दिल्ली को उसके यहां से जलापूर्ति सुरक्षित रखने के लिए अपनी अर्जियां वापस लेने के लिए कहे जाने पर उसके (हरियाणा के) आचरण को बुधवार को अस्वीकार कर दिया।
दिल्ली सरकार ने दावा किया कि 18 अप्रैल को ऊपरी यमुना नदी बोर्ड की बैठक में हरियाणा ने उससे कहा था कि वह पानी के मुद्दे पर दर्ज सभी मामले अदालत से वापस ले, तभी वह दिल्ली को पानी जारी करने पर विचार करेगा।
ये भी पढ़ें...नई दिल्ली: कावेरी जल विवाद पर बड़ा फैसला, SC ने तमिलनाडु को मिलने वाले पानी को घटाया
इस कथन का संज्ञान लेते हुए मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन और न्यायमूर्ति ए जे भंभानी की पीठ ने कहा, ‘‘आपका आचरण बैठक के विवरण में झलकता है। आपने अर्जी वापस लेने को क्यों कहा?’’
पीठ ने कहा कि हरियाणा ने दिसंबर, 2014 से जो अदालत में दिल्ली को दिये जाने वाले पानी की मात्रा के संबंध में आश्वासन दिया था, उसमें कोई रूकावट या कमी नहीं आनी चाहिए।
ये भी पढ़ें...गर्मी में मटके का पानी बना अमृत है कई रोगों का निवारक
इस लिखित आश्वासन एवं अदालत के आदेशों के मुताबिक हरियाणा को रोजाना यहां मुनक नहर में 719 क्यूसेक पानी और दिल्ली उप शाखा नहर में 330 क्यूसेक पानी छोड़ना है।
उच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि वजीराबाद जल शोधन संयंत्र को दिये जा रहे पानी की मात्रा पहले इतनी ही रहनी चाहिए। इसी संयंत्र से लुटियन जोन समेत मध्य दिल्ली में जलापूर्ति होती है।
दरअसल दिल्ली जल बोर्ड ने अर्जी देकर कहा था कि वह राष्ट्रीय राजधानी के जलापूर्ति सुरक्षित रखने के लिए सभी पिछली अर्जियां वापस लेना चाहता है क्योंकि हरियाणा ने दिल्ली को जलापूर्ति के लिए यह शर्त रखी है।
ये भी पढ़ें...सूखे से परेशान बुंदेलखंड में किसानों ने कहा ‘पानी के बदले वोट’
नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने हरियाणा द्वारा दिल्ली को उसके यहां से जलापूर्ति सुरक्षित रखने के लिए अपनी अर्जियां वापस लेने के लिए कहे जाने पर उसके (हरियाणा के) आचरण को बुधवार को अस्वीकार कर दिया।