जानिए क्यों ऊना दलित पीड़ितों ने राष्ट्रपति को पत्र लिख मांगी इच्छा मृत्यु!
दलित पीड़ित ने राष्ट्रपति से इच्छा मृत्यु की मांग की है। उन्होंने राष्ट्रपति को पत्र लिखकर इस बारें में भी अवगत कराया है कि उनमें से एक 7 दिसंबर से दिल्ली में आमरण अनशन पर बैठेगा।
नई दिल्ली: ऊना मामले के एक दलित पीड़ित ने गुजरात सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए मंगलवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पत्र लिखकर अपनी नाराजगी जाहिर की है। इसके साथ ही इच्छा मृत्यु की भी मांग की है। उन्होंने राष्ट्रपति को पत्र लिखकर इस बारें में अवगत कराया है कि उनमें से एक 7 दिसंबर से दिल्ली में आमरण अनशन पर बैठेगा।
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पत्र में लिखी हैं ये बातें
वशराम सरवइया (28) ने लिखा है कि ऊनाकांड के समय गुजरात की सीएम आनंदीबेन पटेल कि ओर से किये गये किसी भी वादे को गुजरात सरकार ने पूरा नहीं किया है। "उन्होंने कहा था कि हर एक पीड़ित को 5 एकड़ भूमि दी जाएगी, पीड़ितों को उनकी योग्यता के अनुसार सरकारी नौकरी दी जाएगी और मोटा सामढियाला को एक विकसित गांव में बदल दिया जाएगा। घटना हुए दो साल और चार महीने हो गए लेकिन सरकार ने अपना कोई भी वादा पूरा नहीं किया और न ही वादे पूरा करने की कोई कोशिश की।"
गुजरात सरकार ने नहीं की मदद
वशराम ने लिखा है, "हम पशुओं की खाल बेचने का काम करते थे और उसे छोड़ने के बाद आजीविका के लिए कुछ नहीं बचा। यह संभव है कि भविष्य में हम भूख से मर जाएं। हम अपने मामले को बोलकर और लिखकर कई बार पेश कर चुके हैं लेकिन गुजरात सरकार ने हमारी किसी भी परेशानी की ओर कोई ध्यान नहीं दिया।"
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गुजरात सरकार कि कार्रवाई पर उठाये सवाल
उनका कहना है कि उन्हें और बाकी पीड़ितों को बहुत दुख है कि सरकार ने दलितों के खिलाफ दर्ज 74 मामलों को वापस नहीं लिया। ये मामले घटना के बाद राज्य में हुए हिंसक प्रदर्शनों के दौरान दर्ज हुए थे। उन्होंने खत में लिखा है, "पुलिस ने आंदोलन के दौरान दलितों के खिलाफ कई झूठे मामले दायर किए थे।" 10वीं तक पढ़े लिखे वशराम का कहाना है कि वो और उनका परिवार अब अपना जीवन खत्म करना चाहते हैं। उन्हें सरकार की ओर से कोई सुरक्षा मुहैया नहीं कराई गई है। गवाहों को कोर्ट तक सुरक्षित पहुंचाने के लिए पुलिस ने कुछ नहीं किया और आरोपियों को भी बेल मिल गई।
उन्होंने खत में आगे लिखा है, "सरकार हमारी मांगों को पूरा करने में नाकाम रही है। हम बहुत दुखी हैं। हम अब आगे जीना नहीं चाहते इसलिए हम इच्छा मृत्यु की इजाजत मांग रहे हैं।"
मालूम हो कि वशराम, उनके छोटे भाई, पिता और मां उन्हीं 8 दलितों में शामिल थे जिन्हें गौ रक्षकों ने गिर सोमनाथ जिले के ऊना तालुका के मोटा सामढियाला गांव में 11 जुलाई, 2016 को पीटा था।
क्या है ऊना कांड
11 जुलाई, 2016 को ऊना में सड़क से गुजरते वक्त दलितों के पास चमड़ा मिलने पर गौ हत्या का आरोप लगाते हुए एक गुट के लोगों ने उनकी बुरी तरह से पिटाई कर दी थी। लेकिन बाद में पुलिस की जांच में पता चला कि वह मरे हुए जानवरों के शवों से चमड़ा निकालने का काम करते थे। उनके साथ मारपीट की वीडियो पूरे देश में वायरल हो गई थी। जिसके बाद राज्य में दलितों ने विरोध प्रदर्शन भी किया।
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