Kolkata Trams History: कोलकाता में बंद हो रही ट्राम की आखिरी कड़ी, जानें क्या है इसका इतिहास

Kolkata Trams History: कोलकाता सरकार ने 150 साल पुराने ट्राम को बंद करने का फैसला लिया है।

Report :  Sonali kesarwani
Update:2024-09-30 15:30 IST

Kolkata Trams History (pic: social media) 

Kolkata Trams History: कोलकाता की सबसे पुरानी धरोहर को सरकार ने बंद करने का फैसला ले लिया है। पश्चिम बंगाल सरकार ने कोलकाता में एस्प्लेनेड से मैदान तक एक हिस्से को छोड़कर ट्राम सेवा को बंद करने का फैसला लिया है। इस फैसले के बाद से लोग बहुत निराश हुए हैं। लोग सोशल मीडिया पर इसको लेकर अलग अलग पोस्ट कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि कोलकाता की ट्राम सर्विस न सिर्फ ट्रांसपोर्ट मोड है, बल्कि ये 150 साल पुरानी ऐतिहासिक धरोहर भी है। आपको बता दे कि यह ट्राम न सिर्फ भारत की बल्कि एशिया की एकमात्र ट्राम सेवा थी। लेकिन अब सरकार ने इसको लेकर बड़ा निर्णय कर लिया है। जानिए क्या है कोलकाता के ट्राम का इतिहास। 

कोलकाता ट्राम का इतिहास 

कोलकाता में ट्राम सेवा की शुरुआत अंग्रेज़ों ने साल 1873 में की थी। शुरुआत में कोलकाता में घोड़े से चलने वाली ट्राम थीं। लेकिन बाद में साल 1880 में लॉर्ड रिपन ने ट्रामों को नए तरीके से से शुरू कराया। जिसके बाद ट्रामों को भाप इंजन से चलाने का काम शुरू किया गया। फिर समय बीता और साल 1902 में कोलकाता में इलेक्ट्रिक ट्राम की शुरुआत हुई। आजादी के बाद कोलकाता में ट्राम सेवा पश्चिम बंगाल परिवहन निगम चलाता है। कोलकाता के ट्राम की बात करूं तो यह ट्राम सिर्फ एक परिवहन का साधन नहीं थी, बल्कि यह शहर की संस्कृति और पहचान का भी एक अंग थी। यह शहर के लोगों के जीवन का एक अभिन्न हिस्सा बन गई थी। ट्राम में सफर करना लोगों के लिए एक अनुभव था। ट्राम की धीमी गति से शहर के नज़ारे को निहारना एक अलग ही अनुभव था। 


क्यों लिया गया बंद कराने का फैसला 

ट्राम सेवा को बंद करने का फ़ैसला सरकार ने कई वजहों से लिया। दरअसल, ट्रामों की लोकप्रियता मेट्रो, बस, और ऑटो-रिक्शा जैसे आधुनिक परिवहन के साधनों के आने से कम हो गई है।अब ट्रामों का संचालन शहर की बढ़ती यातायात की वजह से मुश्किल हो गया है। इन सब के आलावा ट्राम लाइनों का रखरखाव करने के लिए पर्याप्त धनराशि भी नहीं है। ट्राम सेवा का संचालन काफी महंगा है। सरकार के निर्णय के बाद ट्राम सेवा बंद करने के फ़ैसले के ख़िलाफ़ कई प्रदर्शन हुए हैं। लोगों का कहना है कि ट्राम को बचाया जा सकता है और इसे आधुनिक बनाया जा सकता है।आपको बता दें कि अब मैदान, एस्प्लेनेड, और खिदिरपुर में केवल एक हिस्सा ही ट्राम से चल पाएगा। 

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