Kolkata Rape Murder Case: 'टॉयलेट और बेड के नीचे छिपकर बचाई जान' महिला डॉक्टर का दर्द सुन खड़े हो जाएंगे रोंगटे
Kolkata Rape Murder Case: एक महिला रेजिडेंट डॉक्टर ने बताया कि उस दिन भीड़ ने मेडिकल कॉलेज पर हमला कर दिया था। हमलावरों का टारगेट हॉस्टल भी था और उन्होंने नर्सिंग हॉस्टल में जाकर हमारे नर्सिंग स्टाफ को रेप की धमकियां भी दी थीं।
Kolkata Rape Murder Case: कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में ट्रेनी डॉक्टर की रेप और हत्या के बाद पूरे देश में इंसाफ के लिए प्रदर्शन जारी है। पूरे मामले की सीबीआई जांच चल रही है। वहीं इस मामले में रोज नए-नए खुलासे हो रहे हैं। इस बीच एक और बड़ा खुलासा हुआ है। दरअसल महिला डॉक्टर के साथ हुई दरिंदगी के बाद आरजी कर मेडिकल कॉलेज में तोड़फोड़ हुई थी। इसके बाद ज्यादातर महिला डॉक्टरों ने हॉस्टल छोड़ दिया है और वह अपना-अपना सामान लेकर या तो घर चली गई हैं या दूसरी रह रही हैं।
बता दें कि 15 अगस्त की दरमियानी रात मेडकल कॉलेज में अज्ञात लोगों ने घुसकर जो तोड़फोड़ मचाई थी, वो अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड तक सीमित नहीं थी। उस दिन इस अस्पताल के गर्ल्स हॉस्टल्स में भी ये अज्ञात लोग हुड़दंग करते पहुंच गए थे। आरोप है कि इन्होंने हॉस्टल में रहने वाली महिला रेजिडेंट डॉक्टरों को डराया-धमकाया गया और रेप तक की धमकी दी। इसके बाद हॉस्टल में रहने वाली ज्यादातर महिला डॉक्टरों ने डर की वजह से हॉस्टल छोड़ दिया। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अस्पताल और हॉस्टल्स के बाहर सीआईएसएफ की तैनाती हो गई है, लेकिन जो स्टाफ यहां से जा चुका है, वो डर की वजह से अभी भी वापस आने को तैयार नहीं है।
हमलावरों ने दी रेप की धमकी
एक महिला रेजिडेंट डॉक्टर ने बताया कि उस दिन भीड़ ने मेडिकल कॉलेज पर हमला कर दिया था। हमलावरों का टारगेट हॉस्टल भी था और उन्होंने नर्सिंग हॉस्टल में जाकर हमारे नर्सिंग स्टाफ को रेप की धमकियां भी दी थीं। इसके बाद हॉस्टल में रहने वाले सब लोग डर गए थे और सब लोग अगली सुबह अपने-अपने घर चले गए। अब बहुत कम महिलाएं इस कैंपस में बची हैं। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट हमसे कह रहा है कि हम लोग ड्यूटी पर वापस जाएं। लेकिन कैसे जाएंगे, कोई भी यहां बचा नहीं है। सब लोग डर की वजह से अपने घर चले गए हैं।
'टॉयलेट में छिपकर बचाई जान'
हमले की की खौफनाक रात को याद करते हुए रेजिडेंट डॉक्टर ने बताया कि उस दिन हम लोग टॉयलेट औऱ बेड के नीचे छिप गए थे। जहां जगह मिल रही थी, वहां जाकर लोग अपनी जान बचाने के लिए भागे थे। सारी रात हम लोग डर की वजह से सो नहीं पाए और बाहर निकल नहीं पाए। हमने अपने परिजनों को फोन किया और इंतजार था कि वो लोग आएं और हमें सुरक्षित यहां से लेकर जाएं। इसके अगले दिन सभी लोग अपने-अपने घर चले गए। अब बहुत भय का माहौल है। हमें डर है कि फिर से यहां गुंडों का हमला हो सकता है और दूसरा डर ये है कि जो घटना हुई है, वह हमारे साथ भी घट सकती है। इससे सुरक्षा का भरोसा हमें कौन देगा?