Ram Mandir: 1990 में कोठारी बंधुओं ने दी थी शहादत, अब यादों में 22 जनवरी को हजारों लोगों की जलपान व्यवस्था, हर घर जाएंगे पीले चावल
Ram Mandir: कोठारी बंधुओं की याद में स्थापित राम शरद स्मृति संघ 22 जनवरी को अयोध्या में 25,000 लोगों को जलपान उपलब्ध कराएगा।
Ram Mandir: आज देश का बच्चा-बच्चा अयोध्या में निर्माण हो रहे श्री राम मंदिर साक्षी बने जा रहे है और 22 जनवरी को होने वाले प्राण प्रतिष्ठा समारोह को अपने आंखों से देखकर अनंत काल के लिए स्मरण कर लेगा। 9 नवंबर, 2019 को सुप्रीम कोर्ट से फैसले के बाद अयोध्या में राम मंदिर बनने का मार्ग प्रशस्त हुआ। 22 जनवरी को होने वाले प्राण प्रतिष्ठा समारोह को लेकर आज देश में भले ही हर जगहों पर हर्षोल्लास का माहौल छाया हो, लेकिन इसके लिए लाखों कारसेवकों ने कड़ा संघर्ष किया है और हजारों कारसेवकों ने अपने सीने पर प्रशासन की गोली खाते हुए प्राणों की आहुति दी। साल बदले, तारीख बदली, लोग बदले, लेकिन नहीं बदली अपने प्राण की आहुति देने वाले लोगों की यादें। साल था 1990। मौसम में गुलाबी सर्द की दस्तक देना शुरू हो चुकी है, लेकिन इस बात की भनक की किसी को नहीं थी, इस गुलाबी सर्द के मौसम में अयोध्या में वह घटना घटेगी, जो इतिहास के पन्नों में हमेशा के लिए दर्ज हो जाएगा और अनंत काल तक भुलाई नहीं जा सकेगी।
कोठारी बंधुओं की कारसेवा में गई थी जान
राम मंदिर निर्माण का आंदोलन तो वैसे कई सालों से चल रहा था, लेकिन साल 1990 से लेकर 1996 तक यह आंदोलन अपने चरम पर रहा। हर हिन्दू की इच्छा थी, अयोध्या में जल्द से जल्द राम मंदिर बने। लेकिन साल 1990 में अयोध्या में पहली बार कारसेवा के लिए इकट्ठा हुए कारसेवाओं पर चली गोली के बाद आंदोलन रुख बदल गया। देश भर में इस घटना को लेकर रामभक्तों पर रोष था। देश के कोने कोने से हर कोई अयोध्या कूच करना चाह रहा था। इस गोली कांड में कार सेवा के लिए कोलकाता से आए कोठारी बंधुओं भी शहीद हो गए थे।
25 हजार लोगों की जलपान व्यवस्था, घर घर में दिए जाएंगे पीले चावल
अयोध्या गोलीकांड के आज 35 बरस बीत चुके हैं और 22 जनवरी, को रामलला अपने घर विराजमान हो रहे हैं। रामलला के विराजमान को लेकर अपने प्राणों की आहुति देने वाले कोलकाता के कोठारी बंधुओं की यादों में उनके परिवार के लोग जिस दिन राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा होगी, उस दिन कार्यक्रम में आने वाले लोगों को जलपान उपलब्ध करवाएंगे। कोठारी बंधुओं की याद में स्थापित राम शरद स्मृति संघ 22 जनवरी को अयोध्या में 25,000 लोगों को जलपान उपलब्ध कराएगा। संगठन यह भी सुनिश्चित करना में लगा हुआ प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के दिन कोलकाता से अधिक से अधिक लोग यहां पहुंचे। इसके अलावा संगठन अयोध्या के घर-घर में पीला चावल भी पहुंचा रहा है।
अयोध्या गोलीकांड के बारे में
साल था 1990 में। यूपी में मुलायम सिंह यादव की सरकार थी। राम मंदिर निर्माण का आंदोलन की आग उस समय काफी तेज थी। अयोध्या में भाजपा द्वारा कार सेवा के आह्वान पर देश के कोने कोने से लोग अयोध्या पहुंच रहे थे। इसमें आम लोगों के अलावा बड़ी संख्या में हिंदू साधु-संतों शामिल थे। इरादा था राम मंदिर निर्माण को लेकर रामलला परिसर के पास बैठकर भजन कीर्तन करना, लेकिन मुलायम सिंह यादव की सरकार ने अयोध्या में कारसेवा के लिए लोग न पहुंच पाएं, इसको लेकर वहां कर्फ्यू लगा रखा था। प्रशासन पुलिस ने बाबरी मस्जिद 1.5 किलोमीटर के दायरे में बैरिकेडिंग कर रखी थी। इस वजह से भीड़ बेकाबू हो गई और आगे बढ़ने लगी तो प्रशासन ने गोली चला दी, इसमें 5 लोगों की मौत हुई। 30 अक्टूबर, 1990 पहली रामभक्तों पर गोली चली थी।
दो बार चली गोली
इस घटना को लेकर देखते ही देखते पूरे देश में माहौल गर्म हो गया। घटना के दो दिन बाद यानी 2 नवंबर, 1990 को हजारों की संख्या में कारसेवक अयोध्या पहुंच गए। सभी कारसेवकों में गोली कांड को लेकर गुस्सा भरा हुआ था। हर कारसेवक बाबरी मस्जिद के पास पहुंचना था। हनुमानगढ़ी के पास पुलिस कर्मी घरों की छतों पर बंदूक लेकर खड़े थे। लेकिन जैसे ही 2 नवंबर की सुबह अयोध्या की अलग अलग दिशाओं से कारसेवक हनुमानगढ़ी की ओर आगे बढ़े, तो उन पर पूर्व सीएम मुलायम सिंह के आदेश पर गोली चला दी गई है। इस गोली कांड में करीब डेढ़ दर्जन कारसेवकों की मौत हो गई है। यह कारसेवकों पर दूसरा गोली कांड था। इसी गोली कांड में कोलकाता से कार सेवा के लिए आए को कोठारी बंधुओं की भी मौत हो गई थी।
मुलायम को सरकार से धोना पड़ा हाथ
अयोध्या में गोली कांड में मारे गए कारसेवकों का 4 नवंबर को अंतिम संस्कार किया गया। इसके बाद उनकी राख को देश के अलग अगल हिस्सों में ले जाएगी। इस घटना के दो साल बाद 6 दिसंबर, 1992 में बाबरी विवादित ढांचे को गिरा दिया गया था। अयोध्या गोली की वजह से मुलायम सिंह को सत्ता खोनी पड़ी थी। विधानसभा चुनाव में मुलायम सिंह को बुरी हार का सामना करना पड़ा और भाजपा की सरकार बनी, जिसके नेतृत्व कल्याण सिंह के हाथों में सौंपा गया। भाजपा सरकार में ही बाबरी मस्जिद विवादित ढांचा गिरा गया।