Happy Janmashtami 2020: : नहीं दिखेगी मानव श्रृंखला, फीका रहेगा पर्व

इस साल त्योहारों में सादगी देखी जा रही है। इसकी वजह पूरे देश में फैले कोरोना वायरस का प्रकोप है। कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर मुंबई और महाराष्ट्र  के अन्य हिस्सों में होने वाले दही हांडी उत्सव मनता है, लेकिन इस साल बेहद सादगी से मना।

Update: 2020-08-12 15:17 GMT
जन्माष्टमी का त्योहार सादगीपूर्वक ढंग

मुंबई इस साल त्योहारों में सादगी देखी जा रही है। इसकी वजह पूरे देश में फैले कोरोना वायरस का प्रकोप है। कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर मुंबई और महाराष्ट्र के अन्य हिस्सों में होने वाले दही हांडी उत्सव मनता है, लेकिन इस साल बेहद सादगी से मना।

 

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जन्माष्टमी का त्योहार सादगीपूर्वक ढंग

महाराष्ट्र में कई ‘दही-हांडी’ समूहों ने बुधवार को जन्माष्टमी का त्योहार सादगीपूर्वक ढंग से और बिना मानव श्रृंखला के मनाने का फैसला किया है. इसकी जगह पर ये मंडल रक्तदान शिविर लगाना और प्लास्टिक को हटाने जैसे स्वास्थ्य और सामाजिक हितों से जुड़े काम कर रहे हैं।

 

 

 

पिछले वर्षों में, दही हांडी महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में विशेष रूप से मुंबई और पड़ोसी ठाणे में मनाया जाने वाला रंगारंग उत्सव होता था, जहां धार्मिक संस्थानों, राजनीतिक नेताओं और गोविंदा मंडलियों, जिनमें रंग-बिरंगे पोशाक पहने युवा शामिल होते थे, इस उत्सव में भाग लेते थे. विभिन्न सामाजिक समूह भी कार्यक्रमों का आयोजन करते थे और उन समूहों को नकद पुरस्कार दिया जाता था जो ऊंचाई पर बंधे दही, छाछ के मिट्टी के घड़े बहु स्तरीय मानव पिरामिड बनाकर तोड़ने में सफल होते थे लेकिन इस साल दही हांडी को सांकेतिक तरीके से तोड़ा जा रहा था, जिसमें सामाजिक दूरी और मास्क पहनना शामिल है

सादगी से फोड़ी गई दही-हांडी

मुंबई के घाटकोपर से बीजेपी विधायक राम कदम ने कहा कि सामान्य समय में उनके मंडल दही हांडी उत्सव में पांच से छह लाख की संख्या में भीड़ देखी जाती थी। लेकिन इस साल, हमने इसे कोविड-19 संकट को देखते हुए पूरी तरह से सामाजिक दूरी का पालन करते हुए बहुत ही सरल तरीके से मनाया, इस साल कोई मानव पिरामिड नहीं बनाया गया था। एक बच्चे ने एक टेबल पर चढ़कर प्रतीकात्मक तरीके से त्योहार को चिह्नित करने के लिए दही हांडी को तोड़ दिया। उन्होंने कहा, "इस साल, हमने चीनी उत्पादों का बहिष्कार करने और आत्मनिर्भर भारत के लिए काम करने का संदेश दिया।"

 

 

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नहीं बनी मानव श्रृंखला

दही-हांडी उत्सव समन्वय समिति के प्रमुख बाला पडेलकर ने कहा कि दही-हांडी इस बार केवल प्रतीकात्मक रूप से फोड़ी जाएंगी। इस समिति के तहत राज्य में 950 से अधिक ‘मंडल’ (समूह) हैं। सामान्य समय में इस पर्व पर ‘गोविंदाओं’ की मानव श्रृंखला बनाकर ऊंचाई पर एक रस्सी से बंधी दही-हांडी तक पहुंचा जाता है और उसे फोड़ा जाता है।

समिति के प्रमुख ने कहा कि समिति के सदस्यों ने फैसला किया है कि सामाजिक दूरी को ध्यान में रखते हुए इस वर्ष मानव श्रृंखलाएं नहीं बनाई जाएगी। उन्होंने बताया कि दही-हांडी इस बार केवल प्रतीकात्मक रूप से फोड़ी जाएंगी। उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन हम सभी ने सामान्य तरीके से त्योहार न मनाने पर सहमति व्यक्त की है। कोविड-19 योद्धाओं की इस महामारी के खिलाफ लड़ाई को ध्यान में रखते हुए हमने उनकी हर संभव सहायता करने का फैसला किया है। हम भारी भीड़ एकत्र करने से बचेंगे।’

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