आखिरी मौका: कल दिखेगा अद्भुत नजारा, चूके तो करना होगा 2021 का इंतजार

7 मई 2020 का दिन बहुत खास है एक तो बुद्ध पूर्णिमा दूसरा आसमान में दिखेगा अद्भुत नजारा। साल का आखिरी सुपरमून। अगर कल सुपरमून देखने से चूके तो करना होगा एक साल का इंतजार । इस दिन चांद अपने सामान्य आकार से कई कहीं ज्यादा बड़ा  दिखाई देता है और उसकी चमक भी कहीं ज्यादा होती है।

Update: 2020-05-06 02:20 GMT

नई दिल्ली 7 मई 2020 का दिन बहुत खास है एक तो बुद्ध पूर्णिमा दूसरा आसमान में दिखेगा अद्भुत नजारा। साल का आखिरी सुपरमून। अगर कल सुपरमून देखने से चूके तो करना होगा एक साल का इंतजार । इस दिन चांद अपने सामान्य आकार से कई कहीं ज्यादा बड़ा दिखाई देता है और उसकी चमक भी कहीं ज्यादा होती है। कल के बाद अगले साल 27 अप्रैल 2021 को सुपरमून देख सकते हैं।

वैजानिकों ने इस सुपरमून को 'सुपर फ्लावर मून, नाम दिया है। 'ट्रैवल प्लस लीज़र' की रिपोर्ट के मुताबिक सुपरमून का ग्लोबल टाइम सुबह 6 बजकर 45 मिनट बताया जा रहा है। जिसके लिए इसे 'सुपर फ्लावर मून' नाम दिया गया है, क्योंकि यह समय फूलों के खिलने का होता है।

 

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दो दिन देख सकते हैं...

नासा के वज्ञानिकों का कहना है कि 'इस बार सुपरमून देखने के लिए लोगों को काफी समय मिलेगा। ये सुपरमून को गुरुवार से लेकर अगले दिन शुक्रवार तक देखा जा सकेगा। चंद्रोदय और चंद्रास्त के वक्त सुपरमून का नजारा सबसे खास होगा। भारतीय समयनुसार यह सुपरमून आसमान में शाम को तकरीबन सवा चार बजे दिखना शुरू हो जाएगा। रिपोर्ट के अनुसार इस बार सुपरमून का रंग शुरुआत में थोड़ा गुलाबी रहेगा, फिर संतरी और फिर हल्का पीला हो सकता है।

 

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जिस वक्त चंद्रमा और पृथ्वी के बीच की दूरी सबसे कम होती उसी दिन आसमान में सुपरमून नजर आता है। इस दिन चंद्रमा आकार में करीब 14% बड़ा दिखाई देता है और इसकी चमक करीब 30% ज्यादा होती है। नासा के अनुसार, पहला सुपरमून साल 1979 में देखा गया था। एस्ट्रोनॉमर्स ने इसे 'पेरीजीन फुल मून' नाम दिया था।

सुपरमून की खासियत

चंद्रमा की पृथ्वी से सामान्य दूरी 4,06,692 किमी होती है, जिसे अपोजी कहते हैं। पृथ्वी से इसकी न्यूनतम दूरी 3,56,500 किमी. होती है। इस पेरिजी कहते हैं। जिस वक्त चंद्रमा और पृथ्वी के बीच की दूरी सबसे कम होती उसी दिन आसमान में सुपरमून नजर आता है। सुपरमून के वक्त चांद अपने सामान्य आकार से ज्यादा बड़ा और चमकदार नजर आता है।

 

नासा के अनुसार, सुपरमून का अस्तित्व पहली बार साल 1979 में सामने आया था।एस्ट्रोनॉमर्स ने इसे 'पेरीजीन फुल मून' नाम दिया था। मई को नजर आने वाले सुपरमून को आप लाइव स्ट्रीमिंग के जरिए ऑनलाइन भी देख सकेंगे। नासा समेत कई वेबसाइटों पर इसे ऑनलाइन देखने की सुविधा होगी।तो इस बार जरूर देखें इस अद्भुत नजारे को और चांद की शीतलता का आनंद ले।

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