फेसबुक अकाउंट हुआ बंद तो कानून भी नहीं करेगा मदद
फेसबुक के साथ ज्यादा करीबी रिश्ते रखना भविष्य में नुकसान वाला साबित हो सकता है। अपने परिवार की फोटो -वीडियो से लेकर अपनी रचना एवं सृजनात्मक कृतियों को साझा करते हुए अगर आप समझते हैं कि आपकी यह संपत्ति हमेशा के लिए आपके साथ सुरक्षित हो जाएगी तो यह आपकी गलतफहमी हो सकती है।
अखिलेश तिवारी
लखनऊ: आपका फेसबुक अकाउंट तब तक ही आपका है जब तक मार्क जुगरबर्ग की कंपनी आप पर मेहरबान है। अगर आपका फेसबुक एकाउंट कंपनी की ओर से किसी कारण बंद किया जाता है तो आप अपनी निजी संपत्ति के तौर पर कोई दावा नहीं कर सकेंगे। लखनऊ की अदालत ने फेसबुक एकाउंट पर किसी भी तरह का कानूनी अधिकार मानने से इनकार कर दिया है।
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फेसबुक के साथ ज्यादा करीबी रिश्ते रखना भविष्य में नुकसान वाला साबित हो सकता है
फेसबुक के साथ ज्यादा करीबी रिश्ते रखना भविष्य में नुकसान वाला साबित हो सकता है। अपने परिवार की फोटो -वीडियो से लेकर अपनी रचना एवं सृजनात्मक कृतियों को साझा करते हुए अगर आप समझते हैं कि आपकी यह संपत्ति हमेशा के लिए आपके साथ सुरक्षित हो जाएगी तो यह आपकी गलतफहमी हो सकती है। फेसबुक के साथ आपका याराना तब तक ही बना रहेगा जब तक फेसबुक संचालित करने वाली कंपनी इसे बनाए रखना चाहती है।
किसी भी दिन अगर फेसबुक ने आपसे अपना रिश्ता तोड़ लिया तो आपको अपनी वर्चुअल हैसियत के साथ ही अपने बौद्धिक व कला, संस्कृति से जुड़ी संपत्तियों से भी हाथ धोना पड़ जाएगा क्योंकि भारत के संविधान के तहत फेसबुक संचालन को आपके सिविल अधिकारों की श्रेणी में शामिल नहीं किया गया है। लखनऊ की सिविल जज जूनियर डिवीजन इला चौधरी ने आईपीएस अफसर अमिताभ ठाकुर की याचिका पर सुनवाई के दौरान साफ तौर पर कहा कि किसी भी व्यक्ति का फेसबुक अकाउंट उसका निजी अधिकार नहीं है।
क्या है मामला
उत्तर प्रदेश के आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर के फेसबुक अकाउंट को फेसबुक प्रबंधन ने 24 सितम्बर 2020 को अस्थायी रूप से ठप कर दिया था? अमिताभ ठाकुर के एतराज के बावजूद फेसबुक ने उनके अकाउंट को 27 सितम्बर को यह कहते हुए समाप्त कर दिया कि उनके द्वारा कम्यूनिटी गाइडलाइंस सामुदायिक मान्यताओं का पालन नहीं किया गया। इसके विरोध में अमिताभ ठाकुर ने कोर्ट में मुकदमा दायर किया ।
कोर्ट के समक्ष अपनी याचिका में उन्होंने कहा कि फेसबुक ने कभी इस बारे में स्पष्ट नहीं किया कि उन्होंने सामुदायिक मान्यताओं का किसी प्रकार उल्लंघन किया। उन्होंने हमेशा फेसबुक के सामुदायिक मान्यताओं का पूरा ध्यान रखा। उन्होंने कहा कि यह निर्णय किन्ही गलत सूचनाओं पर आधारित दिखता है। अत: उन्होंने अपना अकाउंट तत्काल बहाल करने, अकाउंट बाधित करने का कारण बताने के साथ ही एक वाजिब क्षतिपूर्ति दिए जाने का आदेश दिया जाए।
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कोर्ट ने क्या दिया आदेश
मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि वादी के अधिवक्ता की ओर से बहस में ऐसा कोई तर्क या नियम अपने पक्ष में पेश नहीं किया गया जिससे प्रतीत हो कि फेसबुक पर खाता खोलने के बाद आजीवन उसका निर्बाध उपयोग किया जा सकता है। फेसबुक खाता संचालित करना किस तरह से आम लोगों का सिविल अधिकार है । कोर्ट ने कहा कि यह स्पष्ट नहीं किया गया कि वादी के किस सिविल अधिकार का हनन हुआ जिसके कारण यह सिविल वाद करने की जरूरत पड़ी ऐसे में याचिका पर विचार करना संभव है।
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