लॉकडाउन: बुरे दौर से गुजर रहा है भारतीय ऑटो सेक्टर, इतने करोड़ का नुकसान

कोरोनावायरस का असर दुनियाभर के हर सेक्टर पर पड़ा है। इसका बड़ा असर अब भारतीय ऑटो सेक्टर पर भी देखने को मिल रहा है। वाहन बनाने वाली कंपनियों की संस्था सियाम ने कहा है कि लॉकडाउन से ऑटो सेक्टर को जबरदस्त नुकसान होगा।

Update: 2020-03-31 07:39 GMT

नई दिल्ली: कोरोनावायरस का असर दुनियाभर के हर सेक्टर पर पड़ा है। इसका बड़ा असर अब भारतीय ऑटो सेक्टर पर भी देखने को मिल रहा है। वाहन बनाने वाली कंपनियों की संस्था सियाम ने कहा है कि लॉकडाउन से ऑटो सेक्टर को जबरदस्त नुकसान होगा।

भारत में 21 दिन के लॉकडाउन वजह से ऑटो इंडस्ट्री की अधिकतर कंपनियों ने अपने प्लांट अस्थायी तौर पर बंद कर दिए हैं। ऐसे में कंपनियों को हर दिन 2300 करोड़ रुपये के नुकसान की आशंका जाहिर की जा रही है।

ऑटोमोबाइल सेक्टर में वार्षिक बिक्री के आधार पर मार्च महीने में 50 फीसदी तक की गिरावट दर्ज हो सकती है। इसकी दो वजहें बताई जा रही हैं। पहली, कोरोना वायरस महामारी के प्रकोप के चलते देशव्यापी लॉकडाउन और दूसरी, मार्च महीने के दूसरे पखवाड़े में खरीदारों के कम होने से ऑटो सेल्स के आंकड़ों पर इसका असर देखने को मिल रहा है।

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बिक्री पर 40-50 फीसदी की गिरावट

ऑटो सेल्स के आंकड़ों को देखकर ऐसी आशंका है कि पैसेंजर गाड़ियों और दोपहिया वाहनों की बिक्री में 40-50 फीसदी की गिरावट आ सकती है। जबकि कमर्शियल गाड़ियों की बिक्री 70-90 फीसदी तक कम हो सकती है।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक एक घरेलू ब्रोकरेज फर्म के वाहन विश्लेषक ने कहा कि पिछले दो हफ्ते के दौरान गाड़ियों की बुकिंग बड़े पैमाने पर कैंसल कराए गए हैं। इसके कारण विशेष रूप से मध्यम एवं भारी कमर्शियल गाड़ियों के सेल्स में भारी गिरावट दर्ज की गई है।

विश्लेषक की मानें तो कोरोना वायरस से संबंधित अनिश्चितता और अगले 3-6 महीनों के दौरान मांग में आई कमी के मद्देनजर गाड़ियों के ऑपरेटरों के लिए और अधिक गाड़ियों के ऑर्डर देना कारोबार के लिहाज से समझदारी का फैसला नहीं लगता।

बाजार में पहले से जारी सुस्ती के कारण उपयोग स्तर लॉकडाउन से पहले घटकर 50-60 फीसदी रह गया था और इसमें और ज्यादा कमी आने की संभावना है। उनका कहना है कि अधिकतर परिवहन क्षेत्र बंद है और केवल महत्वपूर्ण सामानों की ढुलाई के कारण गतिविधियां पहले की तुलना में सीमित हो गई हैं। यह स्थिति कुल लागत की भरपाई के लिहाज से पर्याप्त नहीं है।

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अप्रैल में भी खराब रहेगी स्थिति

रिपोर्ट के मुताबिक नोमुरा के कपिल सिंह और सिद्धार्थ बेरा जैसे कई विश्लेषकों का कहना है कि भारत भी अमेरिका में गाड़ियों की बिक्री के रुझानों पर अमल कर सकता है। अमेरिकी रूझानों से लगता है कि मार्च की 50 फीसदी की गिरावट के साथ अप्रैल भी खराब रहेगा।

चीन में पैसेंजर गाड़ियों की बिक्री जनवरी में 20 फीसदी और फरवरी में 80 फीसदी तक कम हो गई। विश्लेषकों ने चीन का उदाहरण देते हुए कहा कि अगर लॉकडाउन की अवधि बढ़ाई जाती है तो उस स्थिति में मार्च में 10-20 फीसदी और अप्रैल में 50-80 फीसदी की कमी आने की आशंका है।

ऑटोबाइल सेक्टर में एक समस्या और भी है, और वह है इसकी इन्वेंट्री। नए ईंधन मानक BS6 को लागू करने की समय सीमा एक अप्रैल है। ऐसे में बिना बिकी हुई BS4 गाड़ियों का स्टॉक बहुत ज्यादा है। यात्री और वाणिज्यिक वाहन श्रेणी में 12,000 से 15,000 गाड़ियां नहीं बिक पाईं हैं। जबकि 7 लाख दोपहिया वाहन भी बिना बिके हुए पड़े हैं।

बिना बिके वाहन का मूल्य करीब 4,600 करोड़

केयर रेटिंग्स ने अनुमान जताया है कि दोपहिया के संदर्भ में BS4 मानक वाले बिना बिके वाहन का मूल्य करीब 4,600 करोड़ रुपये है। विश्लेषकों का कहना है कि हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने लॉकडाउन खत्म होने के बाद बचे हुए BS4 वाहनों को बेचने के लिए 10 दिनों की मोहलत दी है।

लॉकडाउन 14 अप्रैल को खत्म हो रहा है। ऐसे में अब डीलरों के पास अपना स्टॉक निकालने के लिए 24 अप्रैल तक का समय है। लेकिन कोर्ट के आदेश के मुताबिक सिर्फ 10 फीसदी बिना बिके BS4 वाहनों को बेचा जा सकेगा। लेकिन उद्योग जगत के मुताबिक इतना समय काफी नहीं है।

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