Madhu Limaye: समाजवादी आंदोलन के प्रखर नेता, जानें उनके जीवन से जुड़ी ये बातें

मधु आजीवन योद्धा रहे। वो 14-15 साल की उम्र में आज़ादी के आंदोलन में जेल चले गए और जब 1944 में विश्व युद्ध ख़त्म हुआ तब छूटे और जब गोवा की मुक्ति का सत्याग्रह शुरू हुआ

Update:2021-01-08 15:05 IST
Madhu Limaye: समाजवादी आंदोलन के प्रखर नेता, जानें उनके जीवन से जुड़ी ये बातें (PC: social media)

लखनऊ: प्रख्यात समाजवादी नेता मधु लिमये की आज पुण्य तिथि है। मधु लिमये भारत के समाजवादी विचारों के निबन्धकार और कार्यकर्ता थे जो 70 के दशक में विशेष रूप से सक्रिय रहे। वे राममनोहर लोहिया के अनुयायी और रामसेवक यादव तथा जार्ज फर्नांडीज के सहकर्मी थे। वे जनता पार्टी के शासन में आने के समय बहुत सक्रिय रहे थे।

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आजीवन योद्धा

मधु आजीवन योद्धा रहे। वो 14-15 साल की उम्र में आज़ादी के आंदोलन में जेल चले गए और जब 1944 में विश्व युद्ध ख़त्म हुआ तब छूटे और जब गोवा की मुक्ति का सत्याग्रह शुरू हुआ तो उसमें वो फिर जेल गए और उन्हें बारह साल की सज़ा हुई। इसके अलावा जब देश में आपातकाल लगा तो वो 19 महीनों तक जेल में रहे।

Madhu Limaye (PC: social media)

बेहतरीन सांसद

मधु लिमये एक बेहतरीन सांसद और वक्ता थे। उन्होंने दुनिया को बताया कि संसद में बहस कैसे की जाती है। वो प्रश्न काल और शून्य काल के राजा हुआ करते थे। लोग इंतज़ार करते थे कि देखें ज़ीरो आवर में मधु लिमये अपने पिटारे से क्या निकालेंगे। ज़बरदस्त प्रश्न पूछना और मंत्री के उत्तर पर पूरक सवालों की बौछार से सरकार को ढेर कर देना मधु लिमये के लिए बाएं हाथ का खेल था। मधु लिमये को अगर संसदीय नियमों के ज्ञान का चैंपियन कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी।

मधु लिमये का मानना था कि सांसदों को कोई पेंशन नहीं मिलनी चाहिए। उन्होंने न सिर्फ़ सांसद की पेंशन नहीं ली बल्कि अपनी पत्नी को भी कहा कि उनकी मृत्यु के बाद वो पेंशन के रूप में एक भी पैसा न लें। 1976 में जब इंदिरा गांधी ने आपातकाल के दौरान संसद का कार्यकाल एक साल के लिए बढ़ा दिया तब भी उन्होंने पांच साल पूरे होने पर लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफ़ा दे दिया।

भाषा के ज्ञानी

मधु लिमये जब बोलते थे अंग्रेज़ी का एक भी शब्द वो अपनी भाषा में नहीं आने देते थे। संसद में अंग्रेज़ी का इस्तेमाल उन्होंने बहुत कम किया जबकि वो बहुत अच्छी अंग्रेज़ी जानते थे। वो कहते थे कि अगर मैं देश की जनता की बात कर रहा हूँ तो उसकी ज़ुबान में क्यों न करूँ?

शतरंज और संगीत

मधु लिमये की रुचियों की रेंज बहुत विस्तृत हुआ करती थी। महाभारत पर तो उनको अधिकार-सा था। संस्कृत और भारतीय बोलियों के वो बहुत जानकार थे। संगीत और नृत्य की बारीकियों को भी वो बख़ूबी समझते थे। शतरंज के वो माहिर खिलाड़ी थे।

Madhu Limaye (PC: social media)

सादगी भरा जीवन

मधु लिमये का जीवन बेहद सादगी भरा था। उनके घर में न तो फ़्रिज था, न एसी और न ही कूलर। उनके पास कार भी नहीं थी और वे हमेशा ऑटो या बस से चला करते थे। खुद चाय, कॉफ़ी या खिचड़ी बनाना उनकी पसंद थी। उनमें इतनी नैतिकता थी कि जब उनका संसद में पांच साल का समय ख़त्म हो गया तो उन्होंने जेल से ही अपनी पत्नी को पत्र लिखा कि तुरंत दिल्ली जाओ और सरकारी घर खाली कर दो।

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गिरा दी थी मोरारजी देसाई की सरकार

1979 में मधु लिमये ने जनता पार्टी में दोहरी सदस्यता का मुद्दा ज़ोरशोर से उठाया जिसकी वजह से जनता पार्टी में विभाजन हुआ और मोरारजी देसाई की सरकार गिर गई। मधु लिमये राजनीति में धर्म के इस्तेमाल के पक्ष में नहीं थे, इसलिए उन्होंने दोहरी सदस्यता का सवाल उठाया।

रिपोर्ट- नीलमणि लाल

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