मध्य प्रदेश में को-ऑपरेटिव अध्यादेश लागू, जानिए इससे सरकार को क्या फायदा होगा
ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थकों को कैबिनेट में जगह मिलने के चलते भाजपा के कई वरिष्ठ विधायक मंत्री नहीं बन पाए थे। वे लंबे समय से कैबिनेट के विस्तार और मंत्री बनने की आस लगाए बैठे हैं।
भोपाल: मध्य प्रदेश सरकार ने को-ऑपरेटिव सोसाइटी संशोधन अध्यादेश को लागू कर दिया है। सांसदों-विधायकों को इनका अध्यक्ष बनाया जाएगा।
सूत्रों की मानें तो शिवराज सरकार ने इस तरह का कदम कैबिनेट विस्तार में हो रही देरी के चलते पार्टी से नाराज चल रहे नेताओं को संतुष्ट करने के लिए उठाया है।
क्योंकि बीजेपी के लिए असंतुष्टों को संभालना लगातार मुश्किल होता जा रहा है। मंत्री बनने से वंचित रहे पार्टी के कई वरिष्ठ विधायक अब पार्टी के अंदर अपनी नाराजगी जताने से भी परहेज नहीं कर रहे।
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कैबिनेट विस्तार में हो रही देरी से कई वरिष्ठ नेता नाराज
कई वरिष्ठ नेताओं को संगठन में भी पद नहीं मिल सका है। उन्हें संतुष्ट करने के लिए प्रदेश सरकार ने यह नया तरीका निकाला है।
सरकार ने प्रदेश में को-ऑपरेटिव सोसाइटी संशोधन अध्यादेश लागू कर दिया है जिससे सांसदों-विधायकों को इनका अध्यक्ष बनाया जा सके।
ऐसे में अब ये देखना होगा कि क्या वाकई में पार्टी से नाराज चल रहे नेता शिवराज के इस कदम से संतुष्ट हो पाते है या फिर आगे चलकर बगावत का रास्ता अपनाते हैं।
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बता दें कि मध्य प्रदेश में फिलहाल 38 जिला को-ऑपरेटिव बैंक हैं। इनमें से 34 में अध्यक्ष पद पर सांसद-विधायकों को बिठाया जा सकता है।
सांसद-विधायक पहले भी इन बैंकों के सदस्य होते थे, लेकिन सरकार ने इस एक्ट में संशोधन करते हुए इस प्रावधान को हटा दिया था। संशोधन अध्यादेश लागू होने के बाद इसका रास्ता साफ हो गया है।
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सिंधिया फैक्टर के कारण बीजेपी के कई वरिष्ठ विधायक मंत्री बनने से रह गए वंचित
बताते चलें कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थकों को कैबिनेट में जगह मिलने के चलते भाजपा के कई वरिष्ठ विधायक मंत्री नहीं बन पाए थे। वे लंबे समय से कैबिनेट के विस्तार और मंत्री बनने की आस लगाए बैठे हैं, लेकिन अभी तक कैबिनेट विस्तार की कोई तारीख तय नहीं हो पाई है।
इतना ही नहीं सिंधिया के कई अन्य समर्थक भी भी मंत्री बनने के लिए काफी वक्त से जोर लगा रहे हैं। सरकार ऐसे लोगों को कऑपरेटिव बैंकों में अध्यक्ष बनाकर उन्हें मंत्री का दर्जा देने का मन बना चुकी है।
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