भोपाल : भारत निर्वाचन आयोग द्वारा मध्य प्रदेश के जनसंपर्क मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा को तीन साल के लिए चुनाव के अयोग्य घोषित करार दिए जाने पर विपक्ष हमलावर हो गया है और उसने मिश्रा के इस्तीफे की मांग की है। वहीं भाजपा सांसद प्रह्लाद पटेल ने आयोग के फैसले की सराहना की है।
विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने सवाल किया कि स्वच्छता और नैतिकता का ठेकेदार आऱ एस़ एस़ क्या चुनाव आयोग के निर्णय बाद नरोत्तम मिश्रा से त्यागपत्र देने को कहेगा।
उन्होंने आगे कहा, "भाजपा से जुड़ा यह चौथा मामला है, जिन्होंने अनैतिक हथकंडे अपनाकर चुनाव जीता है। इससे पहले नीना वर्मा, राजेंद्र सलूजा और मोती कश्यप के बाद नरोत्तम मिश्रा को चुनाव लड़ने से आयोग्य घोषित करना इस बात का प्रमाण है कि भाजपा चुनाव जीतती नहीं है, बल्कि उसे अपने हथकंडों से हथिया लेती है।"
कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष अरुण यादव ने आयोग के फैसले पर कहा कि नैतिकता के आधार पर मिश्रा को विधायक और मंत्री पद पर रहने का अधिकार नहीं है, लिहाजा उन्हें अपने पद से तुरंत इस्तीफा दे देना चाहिए।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के राज्य सचिव बादल सरोज ने कहा कि खर्च छुपाने, पेड न्यूज छापने के दोषी पाए जाने के बाद चुनाव आयोग द्वारा तीन साल तक के लिए अयोग्य करार दिए गए मंत्री का इस्तीफा देने से इनकार करना जहां निर्लज्जता की पराकाष्ठा है, वहीं सत्ताधारी पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष का दागी मंत्री के पीछे खड़े होने का दावा इस दल की हकीकत को सामने लाता है।
माकपा की मांग है कि मुख्यमंत्री को मंत्री से इस्तीफा ले लेना चाहिए, और यदि न दे तो मुख्यमंत्री को चाहिए कि वे उन्हें बर्खास्त करें।
आम आदमी पार्टी (आप) ने बोर्ड ऑफिस चौराहे पर प्रदर्शन किया और मिश्रा को बर्खास्त करने की मांग करते हुए पुतले का दहन किया। पार्टी के प्रदेश संयोजक आलोक अग्रवाल ने कहा, "नरोत्तम मिश्रा को चुनाव आयोग द्वारा 2008 के चुनाव के 42 पेड न्यूज का दोषी पाया गया है।
यह न्यूज उनकी जानकारी में थी फिर भी इनके खर्च को छुपाया गया था। इसी कारण चुनाव आयोग ने उन्हें जनप्रतिनिधत्व कानून 1951 की धारा 10ए, 77 व 78 के तहत अगले तीन साल के लिए चुनाव लड़ने के अयोग्य घोषित कर दिया है।"
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के दमोह से सांसद प्रह्लाद पटेल ने ट्वीट कर आयोग के फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने लिखा है, "निर्वाचन आयोग का फैसले का सम्मान और स्वागत। निर्वाचन से जुड़े फैसले तय समय सीमा में हो, ताकि साधनों का दुरुपयोग करने का कोई दुस्साहस न कर सके।"