Maharashtra Election 2024: ठाकरे कुनबे के दो युवाओं की सियासी राह आसान नहीं, मुकाबले में फंसे आदित्य और अमित
Maharashtra Election 2024: महाराष्ट्र में आदित्य ठाकरे और अमित ठाकरे की राह आसान नहीं होने वाली है।
Maharashtra Election 2024: महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में इस बार ठाकरे कुनबे के दो युवा सदस्यों के चुनाव क्षेत्रों पर सबकी निगाहें लगी हुई है। शिवसेना के संस्थापक बाला साहेब ठाकरे की महाराष्ट्र में मजबूत सियासी पकड़ मानी जाती थी और अब उनकी तीसरी पीढ़ी के दो युवा अलग-अलग चुनाव क्षेत्रों में अपनी ताकत दिखाने के लिए मैदान में उतरे हैं। हालांकि ठाकरे परिवार के दोनों युवा सदस्य कड़े मुकाबले में फंसे हुए हैं और उन्हें विरोधी प्रत्याशियों से कड़ी चुनौती मिल रही है।
इस बार के विधानसभा चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के पुत्र आदित्य ठाकरे अपनी पुरानी वर्ली सीट से एक बार फिर ताकत दिखाने के लिए चुनाव मैदान में उतरे हैं। दूसरी ओर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के मुखिया राज ठाकरे ने अपने बेटे अमित ठाकरे को माहिम विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में उतारा है। आदित्य ठाकरे के खिलाफ शिंदे गुट ने दिग्गज नेता मिलिंद देवड़ा को उतार कर उन्हें मजबूती के साथ घेरने का प्रयास किया है।
बाल ठाकरे, उद्धव और राज ने नहीं लड़ा चुनाव
ठाकरे परिवार के साथ एक उल्लेखनीय बात यह है कि शिवसेना के संस्थापक बाला साहेब ठाकरे ने अपने सियासी जीवन में कभी कोई चुनाव नहीं लड़ा। हालांकि उनका नाम लेकर और उनके दम पर कई दिग्गज नेताओं ने अपनी चुनावी नैया पार लगाई। अपने सियासी जीवन के दौरान बाल ठाकरे हमेशा काफी ताकतवर बन रहे और यही कारण था कि भाजपा भी उनसे गठबंधन के लिए मजबूर हुई थी।
अब बात यदि बाल ठाकरे के पुत्र और पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की की जाए तो उन्होंने भी अपने सियासी जीवन में कभी लोकसभा या विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ा। नवंबर 2019 में वे कांग्रेस और शरद पवार के समर्थन से महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बनने में कामयाब हुए थे और उसके बाद में विधान परिषद के सदस्य बने थे। दूसरी ओर बाल ठाकरे के भतीजे और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के मुखिया राज ठाकरे ने भी अपने सियासी जीवन में कभी कोई चुनाव नहीं लड़ा है।
आदित्य ठाकरे ने लड़ा पहली बार चुनाव
पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने खुद भले ही कोई विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा मगर 2019 के चुनाव में उन्होंने अपने बेटे आदित्य ठाकरे को वर्ली विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में उतारा था। आदित्य ठाकरे कुनबे से चुनाव लड़ने वाले पहले नेता थे। इस चुनाव में आदित्य ठाकरे शिवसेना के टिकट पर जीत हासिल करने में कामयाब हुए थे। 2019 के विधानसभा चुनाव के समय शिवसेना का भाजपा के साथ गठबंधन था। इसलिए आदित्य ठाकरे को भाजपा का भी समर्थन हासिल हुआ था।
उस समय राज ठाकरे ने भी पारिवारिक एकता का परिचय देते हुए वर्ली में आदित्य ठाकरे के खिलाफ मनसे का कोई उम्मीदवार नहीं उतारा था। उसके बाद से सियासी हालात काफी बदल चुके हैं क्योंकि शिवसेना दो गुटों में बंट चुकी है। एकनाथ शिंदे की अगुवाई में शिवसेना में हुई बगावत के बाद पार्टी अब पहले की तरह मजबूत नहीं रह गई है।
आदित्य के लिए चुनौती बने मिलिंद देवड़ा
इस बार आदित्य ठाकरे कड़े मुकाबले में फंस गए हैं क्योंकि शिंदे गुट ने उद्धव ठाकरे से हिसाब बराबर करने के लिए अपने राज्यसभा सदस्य और दक्षिण मुंबई से सांसद रह चुके मिलिंद देवड़ा को चुनाव मैदान में उतार दिया है। मिलिंद देवड़ा कांग्रेस के दिग्गज नेता और दक्षिण मुंबई लोकसभा सीट का कई बार प्रतिनिधित्व कर चुके मुरली देवड़ा के पुत्र हैं। मुंबई में देवड़ा कुनबे की भी मजबूत पकड़ मानी जाती रही है।
ऐसे में देवड़ा से मिलने वाली चुनौती का सामना करना आदित्य के लिए आसान नहीं माना जा रहा है। 2019 के विधानसभा चुनाव में राज ठाकरे ने परिवार की एकजुटता दिखाने के लिए वर्ली से अपना उम्मीदवार नहीं उतारा था मगर इस बार राज ठाकरे ने भी अपने करीबी संदीप देशपांडे को टिकट देकर आदित्य को घेरने का प्रयास किया है।
राज ठाकरे ने भी अपने करीबी को उतारा
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की ओर से उठाए गए इस कदम के बाद आदित्य ठाकरे के लिए अपने चुनाव क्षेत्र से बाहर निकलना भी मुश्किल हो गया है। राज ठाकरे की ओर से संदीप देशपांडे को चुनाव मैदान में उतारने से आदित्य ठाकरे के लिए मराठी वोटों को हासिल करना भी आसान नहीं रख गया है।
उद्धव ठाकरे के लिए वर्ली विधानसभा सीट बड़ी चुनौती बनकर उभरी है क्योंकि वे आदित्य ठाकरे को अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी बनाने की कोशिश में जुटे हुए हैं। ऐसे में यदि आदित्य ठाकरे की हार होती है तो था यह ठाकरे के लिए बड़ा झटका साबित होगा।
माहिम में कड़े मुकाबले में फंसे अमित ठाकरे
दूसरी ओर यदि माहिम विधानसभा सीट की बात की जाए तो यहां राज ठाकरे के बेटे अमित ठाकरे भी कड़े मुकाबले में फंसे दिख रहे हैं। अमित ठाकरे ने सीट पर अपना नामांकन दाखिल कर दिया है मगर शिंदे गुट ने इस सीट पर विधायक सदा सरवणकर को फिर टिकट दिया है। सरवणकर इस सीट से तीन बार विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं और शिवसेना में विभाजन के बाद उन्होंने उद्धव ठाकरे का साथ छोड़कर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का साथ दिया था। उनकी इस क्षेत्र में मजबूत पकड़ मानी जाती है और इस कारण अमित ठाकरे के लिए भी सियासी राह आसान नहीं होगी।
राज ठाकरे ने भले ही 2019 के विधानसभा चुनाव में आदित्य ठाकरे के खिलाफ अपना प्रत्याशी न उतारा हो मगर उद्धव ठाकरे ने इस बार राज ठाकरे के बेटे के खिलाफ महेश सावंत को चुनाव मैदान में उतार दिया है। 2009 में सीट पर मनसे के नितिन सरदेसाई ने जीत हासिल की थी। मनसे की इस क्षेत्र में मजबूत पकड़ मानी जाती है। फिर भी अमित ठाकरे चुनावी जंग में मुश्किलों में घिरे हुए दिख रहे हैं।