महाराष्ट्र चुनाव: कांग्रेस की हालत पतली
जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने से हिन्दू वोट भाजपा-शिवसेना के साथ गोलबंद हुआ है। महाराष्ट्र बरसों से सूखा झेल रहा था लेकिन इस बार बढिय़ा मानसून के चलते किसानों को खासी राहत मिली है। राज्य के जलाशय लबालब भरे हैं। किसानों को अच्छी पैदावार की उम्मीद है।
महारष्ट्र: 1 मई 1960 को महाराष्ट्र राज्य बनने के बाद से कांग्रेस पार्टी का राज्य में अच्छा खासा दबदबा रहा है लेकिन अब पार्टी के सामने यहां पहचान का संकट जैसा खड़ा हो गया है।
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कांग्रेस की इस हालत के लिये ये प्रमुख वजहें गिनाई जा सकती हैं -
- महाराष्ट्र कांग्रेस में आपसी झगड़े : संजय निरुपम और मिलिंद देवड़ा के गुट खुल कर आमने सामने आ गये जिससे पार्टी की छवि को धक्का तो पहुंचा ही, चुनावी रणनीति भी ध्वस्त हो गई।
- कांग्रेस और राकांपा से बड़ी तादाद में नेता-कार्यकर्ता पाला बदल कर भाजपा और शिवसेना में चले गये। इससे कांग्रेस - राकांपा के कैडर हतोत्साहित हो गये।
- मराठाओं को १२ फीसदी आरक्षण देने की पेशकश से मराठा वोट भाजपा के पक्ष में जाने की उम्मीद है। मराठा वोट करीब ३१ फीसदी है। वैसे, अभी मराठा आरक्षण का मसला सुप्रीम कोर्ट के समक्ष है लेकिन आरक्षण के वादे ने ही मराठाओं को कांग्रेस-राकांपा से दूर कर भाजपा के करीब ला दिया है।
जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने से हिन्दू वोट भाजपा-शिवसेना के साथ गोलबंद हुआ है। महाराष्ट्र बरसों से सूखा झेल रहा था लेकिन इस बार बढिय़ा मानसून के चलते किसानों को खासी राहत मिली है। राज्य के जलाशय लबालब भरे हैं। किसानों को अच्छी पैदावार की उम्मीद है।
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भाजपा ने महाराष्ट्र में पूरी ताकत लगा रखी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमित शाह ने ताबड़तोड़ रैलियां की हैं।