आ गई नई बीमारी: कोरोना के बाद इसने दी दस्तक, नहीं है इसका कोई इलाज
गुजरात के कुछ इलाकों में जानवरों में कांगो बुखार फैलने के बाद लोगों में दहशत सी फैल गई है। जिसके बाद महाराष्ट्र में भी पालघर इलाके में अलर्ट जारी कर दिया है।
नई दिल्ली: देश समेत पूरी दुनिया इस वक्त कोरोना वायरस (Corona Virus) महामारी से जूझ रही है। वैज्ञानिक अब तक तेजी से बढ़ते संक्रमण का सटीक इलाज नहीं ढूंढ पाए हैं। अभी दुनियाभर में कोरोना को खत्म करने के लिए वैक्सीन पर काम चल रहा है। वहीं इस बीच भारत में कांगो बुखार फैलने का खतरा मंडराने लगा है। इसे लेकर जारी किए गए अलर्ट ने लोगों को डरा दिया है।
महाराष्ट्र के पालघर में जारी किया गया अलर्ट
बताया जा रहा है कि गुजरात के कुछ इलाकों में जानवरों में कांगो बुखार फैलने के बाद लोगों में दहशत सी फैल गई है। जिसके बाद महाराष्ट्र में भी पालघर इलाके में अलर्ट जारी कर दिया है। बता दें कि कांगो बुखार का पूरा नाम क्राइमियन कांगो हेमोरेजिक फीवर (CCFF) है। इंसानों के लिए घातक कांगो बुखार जानवरों के जरिए इंसानों में फैलता है।
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मांस और पॉल्ट्री विक्रेताओं को सावधान रहने की नसीहत
कांगो बुखार को लेकर अलर्ट जारी होने के बाद जिला अधिकारी ने तत्काल प्रभाव से सभी मीट और पॉल्ट्री विक्रेताओं को जानवरों में कांगो बुखार को लेकर सावधान रहने की नसीहत दी है। साथ ही पालघर के कलेक्टर डॉ मानेक गुरसाले ने बड़ा कदम उठाते हुए गुजरात बॉर्डर से महाराष्ट्र में आने वाले जानवरों पर रोक लगा दी है।
जानवरों की जांच के आदेश
साथ ही उन्होंने सभी मांस विक्रेताओं को हाइजीन और साफ सफाई रखने का विशेष निर्देश जारी किया है। इसके अलावा मांस विक्रेताओं को बिक्री के वक्त हाथ में ग्लव्स और मास्क पहने रहना भी अनिवार्य कर दिया गया है। साथ ही गुजरात से महाराष्ट्र आए जानवरों की भी जांच करने का आदेश दिया गया है। कांगो बुखार के फैलने को लेकर सरकार ने भी अधिकारियों को सतर्क रहने के निर्देश दिए हैं।
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बुखार को लेकर क्यों है इतनी चिंता
इस बीमारी को लेकर चिंता इसलिए भी बढ़ी हुई है क्योंकि इस बुखार का भी कोई विशेष या कारगर इलाज नहीं हैं। गुजरात के कुछ जिलों में यह बुखार पाए जाने के बाद महाराष्ट्र में भी अलर्ट जारी कर दिया गया है। कहा जा रहा है कि पशुपालकों, मांस विक्रेताओं और पशुपालन अधिकारियों में इस बुखार के सम्पर्क में आने का खतरा ज्यादा है। इसलिए इन्हें ऐहतियात बरतने के निर्देश दिए गए हैं।
एक तिहाई मरीजों की हो सकती है मौत
वहीं इस बीमारी को लेकर जानवरों के डॉक्टर और हसबेंड्री विभाग के डिप्टी कमिश्नर डॉ पी डी कांबले ने भी सतर्क किया है। उन्होंने कहा कि अगर वक्त रहते इसका पता नहीं लगाया गया और इसके इलाज की व्यवस्था नहीं की गई तो करीब एक तिहाई मरीजों की मौत हो सकती है। WHO के मुताबिक, इस बीमारी में मृत्यु दर 10 से 40 फीसदी तक है। इसकी कोई भी वैक्सीन जानवरों या इंसानों के लिए फिलहाल मौजूद नहीं है।
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