Maharashtra News: महाराष्ट्र सरकार कर रही संविदा आउटसोर्सिंग पर नियुक्तियां, खर्चे और आरक्षण का मसला

Maharashtra News: अजीत पवार ने इस कदम का बचाव करते हुए कहा है कि यह सबसे अच्छा निर्णय है जो सरकारी कर्मचारियों के वेतन और पेंशन के मद पर बढ़ते कर्ज और खर्चों को रोकने के लिए लिया गया है।

Written By :  Neel Mani Lal
Update:2023-09-14 11:44 IST

Ajit Pawar (photo: social media )

Maharashtra News: महाराष्ट्र सरकार अब आउटसोर्स संविदा के आधार पर नियुक्तियां करेगी। वजह दो हैं - खर्चा बचाना है और आरक्षण से निपटना है। विपक्षी दलों ने सरकार के इस कदम की आलोचना करते हुए कहा कि सरकारी विभागों का निजीकरण किया जा रहा है।

क्या हो रहा है?

सरकारी कर्मचारियों के वेतन और पेंशन पर बढ़ते कर्ज और खर्चों पर अंकुश लगाने और आरक्षण की मांग को ध्यान में रखते हुए, महाराष्ट्र सरकार ने नौ सूचीबद्ध कंपनियों के जरिये अनुबंध के आधार पर आउटसोर्स से कुशल, अर्ध-कुशल और अकुशल श्रमिकों की भर्ती करने का फैसला लिया है।

सरकार का तर्क

महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री व वित्त मंत्री अजित पवार ने इस कदम का बचाव करते हुए कहा है कि यह सबसे अच्छा निर्णय है जो सरकारी कर्मचारियों के वेतन और पेंशन के मद पर बढ़ते कर्ज और खर्चों को रोकने के लिए लिया गया है। उन्होंने कहा कि सरकारी वेतन की अदायगी इतनी ज्यादा है कि राज्य इस समय इसे वहन नहीं कर सकता।

आदेश जारी

राज्य के उद्योग, श्रम और ऊर्जा विभाग ने सरकारी संकल्प जारी किया है जिसमें कहा गया है कि राज्य सरकार ने कुशल और अकुशल युवाओं को अनुबंध के आधार पर आउटसोर्स करने का निर्णय लिया है। राज्य सरकार के विभिन्न विभागों को कर्मचारी उपलब्ध कराने के लिए सरकार ने सूचीबद्ध एजेंसियों के साथ पांच साल का एक समझौता तैयार किया है।

9 कंपनियों को दिया काम

सरकार ने नौ कंपनियों को सूचीबद्ध किया है जो सरकार को कुशल, अर्ध-कुशल और अकुशल श्रमिक उपलब्ध कराने में मदद करेंगी। विभिन्न विभाग, स्थानीय प्रतिष्ठान, निगम और अर्ध-सरकारी संगठन सूचीबद्ध फर्मों से सेवाओं का लाभ उठा सकते हैं।

सरकारी प्रस्ताव में कहा गया है कि “लोगों को आउटसोर्स करने के इस फैसले से राज्य सरकार को इसकी लागत 20 से 30 प्रतिशत कम करने में मदद मिलेगी। कर्मचारी उपलब्ध कराने वाली कंपनियों को प्रत्येक व्यक्ति के वेतन के मुकाबले 15 प्रतिशत सेवा शुल्क मिलेगा। इस 15 प्रतिशत सेवा शुल्क में से, सूचीबद्ध कंपनियों को राज्य श्रम विभाग को एक प्रतिशत कर का भुगतान करना होगा और इस राशि का उपयोग श्रम विभाग के प्रशासन कार्य के लिए किया जाएगा।'

जानकारों का कहना है कि खर्चे की बात अपनी जगह है लेकिन आरक्षण के मसले से भी सरकार इस तरह निपट रही है। आउटसोर्सिंग में आरक्षण का कोई प्रावधान है नहीं सो इस तरह की भर्तियां सरकार को किसी उलझन से मुक्त कर देंगी।

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