महाराष्ट्र NDA में विधानसभा सीटों को लेकर खींचतान, शिंदे गुट ने अजित पवार की एनसीपी के खिलाफ खोला मोर्चा
Maharashtra Politics: शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना ने अब एनसीपी की सीटों पर भी अपनी नजरें गड़ा दी हैं और इसकी शुरुआत चिपलून-संगमेश्वर विधानसभा सीट से हुई है।
Maharashtra Politics: लोकसभा चुनाव के दौरान महाराष्ट्र में लगे बड़े झटके के बाद एनडीए में सियासी घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा है। भाजपा, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की शिवसेना और अजित पवार की एनसीपी के बीच लगातार खींचतान बढ़ती जा रही है। लोकसभा चुनाव के बाद तीनों दलों की खींचतान में काफी तेजी आ गई है। राज्य में जल्द ही विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और विधानसभा चुनाव के दौरान एनडीए में शामिल इन तीनों दलों के बीच सीट बंटवारा आसान नहीं माना जा रहा है।
शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना ने अब एनसीपी की सीटों पर भी अपनी नजरें गड़ा दी हैं और इसकी शुरुआत चिपलून-संगमेश्वर विधानसभा सीट से हुई है। शिंदे गुट ने इस सीट पर दावा करते हुए कहा है कि अजित पवार की एनसीपी बाद में गठबंधन में शामिल हुई है। ऐसे मैं इस सीट पर अजित पवार गुट की दावेदारी नहीं बनती।
अजित पवार गुट की सीट पर निगाहें
जानकारों का मानना है कि आने वाले दिनों में विधानसभा सीटों को लेकर सत्तारूढ़ गठबंधन में यह टकराव और बढ़ सकता है। शिंदे गुट के नेता और पूर्व विधायक सदानंद चव्हाण ने चिपलून संगमेश्वर सीट को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने इस सीट पर शिंदे गुट की दावेदारी ठोक दी है।
उल्लेखनीय बात यह है कि इस विधानसभा सीट पर पिछले चुनाव के दौरान अजित पवार गुट के शेखर निकम ने जीत हासिल की थी। इसके बावजूद शिंदे गुट ने इस सीट पर निगाहें लगा रखी हैं।
एनडीए में अजित पवार गुट की बाद में एंट्री
चव्हाण ने कहा कि महाराष्ट्र में पहले शिंदे गुट का भाजपा के साथ गठबंधन था और बाद में अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी भी इस गठबंधन में शामिल हो गई। भले ही निकम ने पिछले विधानसभा चुनाव में इस सीट पर जीत हासिल की हो मगर इस बार शिवसेना के कार्यकर्ता चाहते हैं कि इस सीट पर शिंदे गुट का ही विधायक होना चाहिए। उन्होंने इन आशंकाओं को पूरी तरह खारिज कर दिया कि चिपलून विधानसभा सीट शिंदे गुट को नहीं मिलेगी। उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा कि वे इस बार चिपलून विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं।
चव्हाण इस विधानसभा सीट से पूर्व में विधायक भी रह चुके हैं और उन्होंने इस बार भी इस सीट पर निगाहें गड़ा रखी हैं। ऐसी स्थिति में आने वाले दिनों में इस सीट को लेकर शिंदे और अजित पवार गुट में खींचतान तेज हो सकती है। निकम के इस सीट से चुनाव लड़ने की स्थिति में उन्हें चव्हाण की चुनौती का सामना करना पड़ सकता है।
भाजपा और शिंदे गुट के बीच भी खींचतान
महाराष्ट्र में शिंदे गुट और अजित पवार गुट के बीच ही कलह की स्थिति नहीं दिख रही है बल्कि भाजपा और शिंदे गुट के बीच में भी घमासान तेज होता दिख रहा है। लोकसभा चुनाव के नतीजे की घोषणा के बाद दोनों दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर चलता रहा है। लोकसभा चुनाव के दौरान जब भाजपा उम्मीदवार और पूर्व केंद्रीय मंत्री नारायण राणे को रत्नागिरी-सिंधुदुर्ग लोकसभा सीट से कम वोटों से जीत हासिल हुई तो उनके बेटे नीतेश राणे ने राज्य सरकार के मंत्री उदय सामंत पर हमला बोला था। उनका कहना था कि सामंत ने अपने इलाके में नारायण राणे के पक्ष में वोट ट्रांसफर नहीं कराए।
नारायण राणे ने इस लोकसभा क्षेत्र में 48 हजार वोटों से जीत हासिल की थी और उन्होंने उद्धव ठाकरे की शिवसेना के उम्मीदवार विनायक राउत को चुनाव में पराजित किया था।
उदय सामंत के क्षेत्र में नारायण राणे बढ़त हासिल करने में सफल नहीं हुए थे जिसके बाद दोनों पक्षों के बीच तीखी बयानबाजी हुई थी। विधानसभा चुनाव के दौरान दोनों दलों के बीच कलह और तेज होने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।