Manipur Violence Updates: मणिपुर में इंटरनेट सेवा आज बहाल, महीनों से हिंसा-तनाव के कारण पड़ा था ठप

Manipur Violence Updates:राज्य सरकार ने शनिवार को एक बड़ा निर्णय लिया है। महीनों से ठप पड़ी इंटरनेट सेवा को फिर से बहाल कर दिया गया है। मुख्यमंत्री एन बिरेन सिंह ने प्रेस कॉफ्रेंस कर स्वयं इसकी घोषणा की।

Written By :  Krishna Chaudhary
Update:2023-09-23 11:56 IST

Manipur Violence Updates  (photo: social media )

Manipur Violence Updates: महीनों तक जातीय हिंसा की आग में जले पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में हालात अब सामान्य होते नजर आ रहे हैं। धीरे-धीरे लोगों की दिनचर्या पटरी पर आ रही है। लिहाजा प्रतिबंधों में भी छूट दी जाने लगी है। राज्य सरकार ने शनिवार को एक बड़ा निर्णय लिया है। महीनों से ठप पड़ी इंटरनेट सेवा को फिर से बहाल कर दिया गया है। मुख्यमंत्री एन बिरेन सिंह ने प्रेस कॉफ्रेंस कर स्वयं इसकी घोषणा की।

राज्य में 3 मई को बहुसंख्यक मैतेई और अल्पसंख्यक कुकी जनजाति के बीच जातीय हिंसा भड़क गई थी, जो अगले करीब चार महीनों तक चली। इन दौरान हिंसा का जमकर तांडव हुआ। दोनों जातीय समूहों के हथियारबंद लड़ाके एक-दूसरे के खून-प्यासे बने रहे। राज्य में केंद्रीय बलों की तैनाती होने के बावजूद व्यापक पैमाने पर हिंसा देखी गई। सरकारी मशीनरी पूरी तरह बेबस नजर आई।

एयरटेल को कारण बताओ नोटिस जारी

इससे पहले मणिपुर सरकार ने एक निजी दूससंचार कंपनी एयरटेल को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। कंपनी पर आरोप है कि सरकारी आदेश के बावजूद हिंसाग्रस्त इलाकों में इंटरनेट को बंद नहीं किया गया। 20 सितंबर को चुराचांदपुर और आसपास के बिष्णुपुर जिले के कुछ इलाकों में इंटरनेट डेटा सेवाएं एक्टिव पाई गई थीं, जबकि इनका निलंबन का आदेश लागू था।


राज्य सरकार के गृह मंत्रालय ने एयरटेल को खत लिखकर इसे एक गंभीर चूक करार दिया है। खत में कंपनी से लिखित में स्पष्टीकरण देने को कहा गया है। साथ ही कंपनी से पूछा गया है कि इस कृत्य के लिए उसके कौन अधिकारी जिम्मेदार हैं। सरकारी आदेशों के उल्लंघन के लिए एयरटेल के खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई क्यों नहीं की जानी चाहिए।


बता दें कि मई के शुरूआत में भड़की हिंसा में अब तक 175 लोगों के मारे जाने की पुष्टि हुई है। इसके अलावा 1108 लोग घायल हुए हैं और 32 लापता हैं। दंगाईयों ने 4786 घरों को आग के हवाले कर दिया और 386 धार्मिक संरचनाओं को नुकसान पहुंचाया। इस जातीय हिंसा में हजारों मणिपुर शरणार्थी बन गए। कईयों को अन्य राज्यों में जाकर शरण लेनी पड़ी। चूंकि मणिपुर में बीजेपी की सरकार है, इसलिए यहां हुई हिंसा को लेकर मोदी सरकार भी विपक्ष के निशाने पर रही। विपक्ष के जोरदार मांग के बावजूद भाजपा ने मुख्यमंत्री एन बिरेन सिंह को नहीं बदला। सिंह राज्य के प्रभावशाली मैतेई समुदाय से आते हैं।



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