धरती पर मंडरा रहा खतरा: पृथ्वी की इस चीज से हो सकती है बड़ी टक्कर

खगोलविदों के मुताबिक ऐसे उल्का पिंडों का हर 100 साल में धरती से टकराने की 50,000 संभावनाएं होती हैं। खगोलविदों के अंतरराष्ट्रीय समूह के डॉ ब्रूस बेट्स ने ऐसे उल्का पिंड को लेकर कहा, 'छोटे उल्का पिंड कुछ मीटर के होते हैं और अक्सर वायुमंडल में भी टकराकर जल जाते हैं।

Update:2020-03-04 22:02 IST

नई दिल्ली: वैसे तो पृथ्वी से छोटे-बड़े उल्का पिंड दिखाई दे देते हैं लेकिन अमेरिका की स्पेस एजेंसी नासा ने धरती की तरफ तेजी से बढ़ रहे एक विशालकाय उल्का पिंड की खोज की है। बताया जा रहा है कि ये उल्का पिंड माउंट एवेरेस्ट से भी कई गुना बड़ा है। यह उल्का पिंड पृथ्वी के करीब से गुजरेगा।

धरती से टकराने की आशंका

हालांकि, नासा का कहना है कि इस उल्का पिंड से घबराने की जरूरत नहीं है क्योंकि यह धरती से कई किलोमीटर दूरी से गुजरेगा। वहीं कुछ वैज्ञानिकों ने इसके धरती से टकराने की भी आशंका जताई है।

31, 319 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से आ रहे उल्का पिंड को 52768 (1998 OR 2) नाम दिया गया है। इस उल्का पिंड को नासा ने सबसे पहले 1998 में देखा था।

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अनुमान है कि यह उल्का पिंड अगले महीने 29 अप्रैल को धरती के पास से गुजरेगा। इस बारे में डॉक्टर स्टीवन प्राव्दो ने एक बयान जारी कर बताया कि उल्का पिंड 52768 सूरज का एक चक्कर लगाने में 1,340 दिन या 3।7 वर्ष लेता है और एक दिन की धुरी 4 दिन में पूरी करता है।

छोटे उल्का पिंड अक्सर वायुमंडल में टकराकर जल जाते हैं

खगोलविदों के मुताबिक ऐसे उल्का पिंडों का हर 100 साल में धरती से टकराने की 50,000 संभावनाएं होती हैं। खगोलविदों के अंतरराष्ट्रीय समूह के डॉ ब्रूस बेट्स ने ऐसे उल्का पिंड को लेकर कहा, 'छोटे उल्का पिंड कुछ मीटर के होते हैं और अक्सर वायुमंडल में भी टकराकर जल जाते हैं। इससे कोई बड़ा नुकसान नहीं होता है।

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बता दें कि साल 2013 में लगभग 20 मीटर लंबा एक उल्कापिंड वायुमंडल में टकराया था। एक 40 मीटर लंबा उल्का पिंड 1908 में साइबेरिया के वायुमंडल में टकरा कर जल गया था।

इस आकार का अगर कोई उल्का पिंड वायुमंडल में अब टकराता है तो यह एक पूरे शहर को बर्बाद कर सकता है या फिर सुनामी भी ला सकता है।

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