नई दिल्ली: अमेरिका में मध्यावधि चुनाव के लिए मंगलवार को मतदान होंगे। ये चुनाव इस लिए अहम माने जाते हैं कि मध्यावधि चुनाव को अमेरिका में मौजूदा राष्ट्रपति के कार्यकाल पर टिप्पणी की तरह समझा जाता है। ये चुनाव हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव की 435 सीटों और सीनेट की 35 सीटों के लिए हो रहा है। हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव में बहुमत का आंकड़ा 218 है।इस चुनाव नतीजे को राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के कार्यकाल पर जनता की प्रतिक्रिया के तौर पर भी देखा जा रहा है। राष्ट्रपति ट्रंप की पार्टी रिपब्लिकन का इस वक्त दोनों ही सदनों में बहुमत है, लेकिन ऑपिनियन पोल अलग इशारे कर रहे हैं। इस मध्यावधि चुनाव 100 के करीब अमेरिकन-भारतीय चुनाव में उम्मीदवार हैं।
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इस चुनाव में राष्ट्रपति ट्रंप की पार्टी रिपब्लिकन का इस वक्त दोनों ही सदनों में बहुमत है, लेकिन चुनाव पूर्व के विश्लेषणों में डेमोक्रैट्स को बढ़त मिलने की उम्मीद जताई गई है।अगर स्थिति बदली और डेमोक्रैट्स सबसे बड़ी पार्टी बनती है तो ट्रंप के लिए हालात बहुत असहज हो सकते हैं। अगर एक पार्टी के पास सीनेट में और दूसरे के पास हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव में बहुमत रहा तो स्थिति टकराव भरी होगी।
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अमेरिका में भारत के निचले सदन लोकसभा की तरह हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव और उच्च सदन राज्यसभा की तरह सीनेट को मिलाकर संसद को कांग्रेस कहते हैं। ये चुनाव हर चार साल पर होते हैं, लेकिन राष्ट्रपति के 4 साल के कार्यकाल के बीच में होने के कारण इन्हें मध्यावधि चुनाव कहा जाता है। कांग्रेस में बहुमत के आधार पर सरकार के पास कानून बनाने और बदलने को लेकर सीमित या असीमित राजनीतिक ताकत होती है।
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अमेरिका की राजनीति पर इन परिणामों का होगा असर
मध्यावधि चुनाव में अगर रिपब्लिकन पार्टी की जीत होती है तो ट्रंप अपने आक्रामक रवैये के साथ असीमित ताकत का आनंद उठा सकते हैं। और अगर ऐसा नहीं रहा तो उनके लिए परिस्थितियां असहज हो जाएंगी।
सीनेट और हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव में अलग अलग बहुमत होने पर भी ट्रंप के मुश्किल होगी।
इसलिए अमेरिका में मध्यावधि चुनाव को राष्ट्रपति के कार्यकाल पर टिप्पणी की तरह समझा जाता है।