खनन प्रतिबंध से भाजपा की चुनाव संभावनाओं पर पड़ेगा असर: खनन संगठन
गोवा में खनन फिर से शुरू कराने की लड़ाई की अगुवाई करने वाले संगठनों ने दावा किया है कि राज्य में लौह अयस्क खनन गतिविधियों को निलंबित करने से लोकसभा चुनाव में सत्तारूढ़ भाजपा की संभावनाएं प्रभावित होंगी।
पणजी: गोवा में खनन फिर से शुरू कराने की लड़ाई की अगुवाई करने वाले संगठनों ने दावा किया है कि राज्य में लौह अयस्क खनन गतिविधियों को निलंबित करने से लोकसभा चुनाव में सत्तारूढ़ भाजपा की संभावनाएं प्रभावित होंगी।
संगठनों ने कहा कि तटीय राज्य में उत्तरी गोवा और दक्षिणी गोवा दो लोकसभा सीटें हैं, जिनमें कई तालुकाएं हैं जहां बड़ी संख्या में लोग अपनी रोजी-रोटी के लिए खनन पर आश्रित हैं।
ये दोनों सीटें अभी भाजपा के पास हैं। खनन सरकार के राजस्व का एक प्रमुख स्रोत है। यह पिछले साल मार्च में उच्चतम न्यायालय के उस आदेश के बाद से बंद पड़ा है, जिसमें 88 खनन पट्टों को रद्द कर दिया था।
‘गोवा माइनिंग पीपल्स फ्रंट’ जैसे कई संगठन भाजपा नेतृत्व वाली गोवा एवं केन्द्र सरकार से इस मुद्दे पर नाराज हैं। जीएमपीएफ के प्रतिनिधियों ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, भाजपा प्रमुख अमित शाह और केन्द्रीय खनन मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर से मौजूदा खनन कानूनों में संशोधन में मदद के लिए मुलाकात भी की थी, ताकि पट्टों की अवधि बढ़ाई जा सके।
जीएमपीएफ के प्रमुख पुति गाओनकर ने कहा, ‘‘हम लोगों से यह नहीं कहेंगे की वे किसको वोट दें लेकिन हमने यह स्पष्ट कर दिया है कि हम लोगों से भाजपा के खिलाफ मत देने की अपील जरूर करेंगे।’’
जीएमपीएफ कोर कमेटी के सदस्य लक्ष्मीकांत सावंत देसाई ने कहा, ‘‘ 2017 विधानसभा चुनाव के दौरान हमने लोगों से भाजपा को वोट देने की अपील की थी लेकिन इस बार ऐसा नहीं करेंगे।’’
गोवा कांग्रेस के प्रमुख गिरीश चोडनकर ने कहा, ‘‘हमारी पार्टी हमेशा खनन आश्रितों के साथ रही है और उन्हें कभी निराश नहीं करेगी। इन लोगों को पता चल गया है कि भाजपा इस मुद्दे पर झूठ बोलती रही थी।’’
पूर्व आरएसएस नेता सुभाष वेलिंगकर के नेतृत्व में शिवसेना और गोवा सुरक्षा मंच ने भी गोवा में खनन गतिविधियां वापस शुरू करने की मांग की है।
भाषा
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