लद्दाख में तनाव बढ़ा: चीन को जवाब देने के लिए मिराज और सुखोई तैनात, टैंक भी भेजे
लद्दाख में चीन के साथ बढ़ते सैन्य तनाव के बीच भारत की ओर से बड़ा कदम उठाया गया है। चीन के लड़ाकू विमानों को करारा जवाब देने के लिए भारतीय वायुसेना की ओर से दुश्मन को करारा जवाब देने में सक्षम सुखोई और मिराज जैसे युद्धक विमानों की तैनाती कर दी गई है।
नई दिल्ली: लद्दाख में चीन के साथ बढ़ते सैन्य तनाव के बीच भारत की ओर से बड़ा कदम उठाया गया है। चीन के लड़ाकू विमानों को करारा जवाब देने के लिए भारतीय वायुसेना की ओर से दुश्मन को करारा जवाब देने में सक्षम सुखोई और मिराज जैसे युद्धक विमानों की तैनाती कर दी गई है। भारत की ओर से तोपखाना और टैंकों की भी तैनाती कर दी गई है। हाल में भारतीय सीमा के पास चीन के लड़ाकू विमानों जे-7 और जे-11 को उड़ान भरते देखा गया था। माना जा रहा है कि चीन की सेना की किसी भी कार्रवाई का जवाब देने के लिए भारतीय वायुसेना की ओर से यह कदम उठाया गया है।
लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन के आक्रामक रवैये के कारण काफी तनाव बना हुआ है। चीन का विदेश मंत्रालय भले ही एलएसी पर स्थिति सामान्य और नियंत्रण में होने का दावा करता हो मगर चीनी सेना के रुख के कारण यहां स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है। इस तनावपूर्ण हालात में गलवन घाटी से लेकर सागरपुर इलाके में थल सेना की ओर से भी आवश्यक युद्धक सामान भेजे जा रहे हैं।
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रोजाना भेजे जा रहे हैं 80 से 90 ट्रक
इसके साथ ही अधिकारियों और जवानों की संख्या भी बढ़ा दी गई है। भारत की तैयारियों को इसी से समझा जा सकता है कि पिछले कुछ दिनों के दौरान प्रतिदिन 80 से 90 ट्रक लद्दाख के अग्रिम इलाकों की ओर भेजे जा रहे हैं। तोपखाना और टैंकों को भी पूर्वी लद्दाख की सीमा पर भेजा गया है। कश्मीर घाटी से ही अधिकांश ट्रकों को लद्दाख की ओर भेजा गया है।
सेना के वरिष्ठ अफसर भी तैनात
पूर्वी लद्दाख में बढ़ते तनाव के बीच सेना की उत्तरी कमान के जीओसी इन चीफ लेफ्टिनेंट जनरल वाई के जोशी भी लेह पहुंच गए हैं। सेना के कई अन्य वरिष्ठ अफसर भी इलाके में तैनात किए गए हैं ताकि जरूरत पड़ने पर रणनीति बनाकर चीन की सेना को करारा जवाब दिया जा सके। लद्दाख के अग्रिम मोर्चों पर तैनाती से पहले जवानों को पहले कुछ दिनों तक लेह व अन्य जगहों पर रखा गया ताकि वे यहां की परिस्थितियों के अनुरूप खुद को ढाल सकें।
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चीन के लड़ाकू विमानों ने तनाव बढ़ाया
पूर्वी लद्दाख में एलएसी के समीप 30-35 किलोमीटर दूर चीनी सेना के लड़ाकू विमानों के उड़ान भरने से तनाव और बढ़ा है। सूत्रों का कहना है कि भारत चीनी सेना की हर गतिविधि पर सतर्क नजर बनाए हुए है। पूर्वी लद्दाख में होटन और गरगुंसा ठिकानों से करीब 100-150 किलोमीटर दूर चीन के लड़ाकू विमानों की तैनाती की गई है। जानकार सूत्रों का कहना है कि चीन ने एलएसी के पास लगभग 10 से 12 लड़ाकू विमानों का बेड़ा तैनात कर रखा है।
चीनी सेना के लड़ाकू विमान भारतीय क्षेत्र के काफी करीब उड़ान भर रहा हैं। सूत्रों का कहना है कि चीनी सेना के लड़ाकू विमान होटन और गरगुंसा में हवाई ठिकाने से उड़ान भर रहे हैं और लद्दाख में भारतीय क्षेत्र से 30 से 35 किलोमीटर की दूरी पर इन विमानों की उड़ान देखी गई है।
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1962 के बाद पहली बार ऐसी सैन्य हलचल
पूर्वी लद्दाख में गलवन घाटी से सटे दुरबुक इलाके के ग्रामीणों का कहना है कि पिछले कुछ दिनों के दौरान भारतीय सेना की गतिविधियां काफी तेजी से बढ़ी है। ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने इस इलाके में 1962 के बाद पहली बार ऐसी सैन्य गतिविधियां देखी हैं। उनका कहना है कि सैन्य सामानों से भरे 80 से 90 ट्रक रोजाना अग्रिम इलाकों की ओर भेजे जा रहे हैं। भारतीय वायुसेना की ओर से तैनात किए गए सुखोई और मिराज विमान अपनी वायु सीमा के भीतर उड़ान भर रहे हैं।
रक्षा मंत्री ने यह बात मानी
इस बीच रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को यह बात मानी कि पूर्वी लद्दाख में भारी तादाद में चीन के सैनिकों की तैनाती की गई है। उन्होंने कहा कि भारत किसी भी हालात से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है और इसके लिए तमाम जरूरी कदम उठाए गए हैं। उन्होंने कहा कि भारत अपनी जगह से पीछे नहीं हटे गा और देश के सम्मान में किसी प्रकार की कमी नहीं आने दी जाएगी। उन्होंने पहली बार चीनी सैनिकों की तैनाती से इलाके में तनाव होने की बात स्वीकार की है। उन्होंने कहा कि भारत तनाव को कम करने की कोशिश में जुटा हुआ है, लेकिन हम चीन की किसी भी कार्रवाई का मुंहतोड़ जवाब देंगे।