P.V.Narsimha Rao: एक ऐसे PM जिनसे अपनी ही पार्टी ने बनाई दूरी, निधन के बाद कांग्रेस मुख्यालय में नहीं लाने दिया गया था शव
P.V.Narsimha Rao: मोदी सरकार ने देश के पूर्व प्रधानमंत्री और एक जमाने में कांग्रेस के दिग्गज नेता पीवी नरसिम्हा राव को भारत रत्न देने का ऐलान किया है। पीवी नरसिम्हा राव कांग्रेस के ऐसे प्रधानमंत्री रहे हैं जिन्हें शायद सबसे ज्यादा नजरअंदाज किया गया। प्रधानमंत्री पद से हटने के बाद उनकी पार्टी ने ही उनसे पूरी तरह दूरी बना ली।
P.V.Narsimha Rao: मोदी सरकार ने देश के पूर्व प्रधानमंत्री और एक जमाने में कांग्रेस के दिग्गज नेता पीवी नरसिम्हा राव को भारत रत्न देने का ऐलान किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूर्व में भी कई बार देश की अर्थव्यवस्था को मुश्किलों से निकालकर पटरी पर लाने के लिए नरसिम्हा राव की खुलकर तारीफ कर चुके हैं। नरसिम्हा राव को देश में आर्थिक सुधारो का जनक माना जाता है। हालांकि उन्हीं के कार्यकाल के दौरान बाबरी विध्वंस की सबसे बड़ी घटना भी हुई थी।
पीवी नरसिम्हा राव कांग्रेस के ऐसे प्रधानमंत्री रहे हैं जिन्हें शायद सबसे ज्यादा नजरअंदाज किया गया। प्रधानमंत्री पद से हटने के बाद उनकी पार्टी ने ही उनसे पूरी तरह दूरी बना ली। यहां तक कि उनके निधन के बाद उनके शव को दिल्ली स्थित कांग्रेस मुख्यालय भी नहीं लाने दिया गया था।
कांग्रेस मुख्यालय में नहीं लाने दिया शव
1996 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद पीवी नरसिम्हा राव को एक बार भी पार्टी कार्यालय में नहीं देखा गया। पीवी नरसिम्हा राव राजधानी दिल्ली में नौ,मोतीलाल नेहरू मार्ग स्थित आवास में रहा करते थे और वहां से 24,अकबर रोड स्थित कांग्रेस मुख्यालय मुश्किल से 200 मीटर की दूरी पर था। इसके बावजूद प्रधानमंत्री पद से हटने के बाद राव कभी भी पार्टी कार्यालय नहीं गए।
पीवी नरसिम्हा राव का निधन 23 दिसंबर 2004 को हुआ था। निधन के बाद उनका पार्थिव शरीर कुछ देर के लिए कांग्रेस मुख्यालय रखा जाना था ताकि कांग्रेस नेता और कार्यकर्ता उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर सकें मगर फूलों से सजी पार्थिव शरीर वाली सेना की गाड़ी कांग्रेस मुख्यालय में नहीं घुस सकी थी। बाद में उनका अंतिम संस्कार आंध्र प्रदेश में किया गया था।
प्रणब के मुताबिक सोनिया का था फरमान
पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी ने 'प्रणब, माई फादर: ए डॉटर रिमैम्बर्स' किताब में अपने पिता प्रणब के हवाले से इस घटना का जिक्र किया है। इस किताब में प्रणब मुखर्जी और नरसिम्हा राव के नजदीकी रिश्तों का उल्लेख किया गया है। किताब के मुताबिक प्रणब को हमेशा यह कसक बनी रही कि राव के निधन के बाद सोनिया गांधी ने उनके पार्थिव शरीर को कांग्रेस दफ्तर में घुसने तक नहीं दिया था। शर्मिष्ठा ने बताया कि प्रणब इस घटना को काफी शर्मनाक बताते थे।
शर्मिष्ठा के मुताबिक उनके पिता कहा करते थे कि यह सोनिया और उनके बच्चों के लिए बेहद शर्मनाक घटना है। प्रणब मुखर्जी का मानना था कि गांधी परिवार की ओर से नरसिम्हा राव के साथ काफी बुरा व्यवहार किया गया। वे इसके लिए सोनिया गांधी को जिम्मेदार ठहराया थे।
राव के पौत्र ने भी जताया था दर्द
पीवी नरसिम्हा राव के पौत्र एनवी सुभाष ने बताया था कि उनके दादा के शव के साथ कांग्रेस मुख्यालय पर कैसा व्यवहार किया गया था। उन्होंने आरोप लगाया था कि कांग्रेस ने हमेशा नेहरू-गांधी परिवार के इतर नेताओं की अनदेखी की है, खासकर स्वर्गीय पीवी नरसिम्हा राव की। सुभाष ने कहा था कि मेरे दादा के पार्थिव शरीर को कांग्रेस मुख्यालय में ले जाने की अनुमति नहीं दी गई थी।
कांग्रेस ने राव को कभी नहीं दिया सम्मान
देश में आर्थिक उदारीकरण का फैसला लेने वाले और देश को आर्थिक मुश्किलों से बाहर निकलने वाले नरसिम्हा राव का नाम कांग्रेस कभी नहीं लेती। आर्थिक उदारीकरण के राव के फैसले का पार्टी में तीखा विरोध भी हुआ था मगर राव अपने फैसले पर डटे रहे। बाद के दिनों में राव का फैसला सही साबित हुआ मगर पार्टी के नेताओं ने राव को कभी वह सम्मान नहीं दिया जिसके कि वे हकदार थे।
नरसिम्हा राव आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रहे थे और उस समय तेलंगाना भी आंध्र प्रदेश का ही हिस्सा था। तेलंगाना में हाल में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की सरकार बनी है। तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के लोग पीवी नरसिम्हा राव से भावनात्मक लगाव महसूस करते रहे हैं और ऐसे में राव को भारत रत्न देने का फैसला लेकर पीएम मोदी ने दक्षिण भारत को बड़ा संदेश देने का काम किया है।