Padma Award 2023: मुलायम को मोदी की रेवड़ी

Padma Award 2023: स्वर्गीय मुलायम सिंह यादव को पद्मविभूषण सम्मान क्या मिला, देश में एक नई बहस छिड़ गई है।

Written By :  Dr. Ved Pratap Vaidik
Update: 2023-01-28 06:03 GMT

पीएम मोदी से बात करते मुलायम सिंह की पुरानी तस्वीर (फोटों: सोशल मीडिया)

Padma Award 2023: स्वर्गीय मुलायम सिंह यादव को पद्मविभूषण सम्मान क्या मिला, देश में बहस छिड़ गई है। सबसे पहले तो सबको आश्चर्य यह हुआ कि मुलायम को यह सम्मान उस भाजपा की सरकार ने दिया है, जिसे देश में सबसे ज्यादा यदि किसी ने तंग किया है तो उ.प्र. के मुख्यमंत्री मुलायमसिंह यादव ने किया है। राम मंदिर के लिए हुए प्रदर्शनों में भाजपा नेताओं और कार्यकर्त्ताओं की जैसी धुनाई मुलायम ने की, क्या किसी और मुख्यमंत्री ने की? शंकराचार्य को गिरफ्तार करने की हिम्मत क्या आज तक किसी प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री की हुई? 

यदि मुलायम सिंह का स्वास्थ्य उनका साथ देता तो वे ही ऐसे एक मात्र नेता थे, जो नरेंद्र मोदी की हवा खिसका सकते थे। उनके प्रशंसक सारे देश में मौजूद थे। लेकिन वे इतने दरियादिल भी थे कि संसद में उन्होंने खुले-आम मोदी की प्रशंसा भी की। लेकिन क्या इसीलिए मुलायम को भाजपा ने पुरस्कृत कर दिया है? शायद नहीं। यदि मोदी पर किए गए अहसानों का सवाल है तो ऐसे दो-चार लोग तो अभी भी जिंदा हैं, जिन्हें भारत रत्न भी दिया जाए तो वह भी कम ही रहेगा। तो मुलायम को क्यों दिया गया है, यह सम्मान? मेरी राय में यह सम्मान नहीं है। यह सरकारी रेवड़ी है, जो मरणोपरांत और जीते-जी भी बांटी जाती है। 

गरीब जनता को बांटी गई रेवड़ियां और इस तरह के सम्मानों की रेवड़ियों में ज्यादा फर्क नहीं है। इंदिरा गांधी ने इस रेवड़ी को अपना रेवड़ा बनाकर सबसे पहले इसे खुद के हवाले कर लिया था। अब मुलायमजी को दी गई इस रेवड़ी की उन्हें बिल्कुल भी जरूरत नहीं थी। यदि वे जिंदा होते तो वे कह देते कि उन्होंने मीठा खाना छोड़ दिया है। अभी तक जितने लोगों को भारतरत्न मिला है, उनमें से दो-तीन लोगों को मैं व्यक्तिगत तौर से खूब जानता रहा हूं। वे लोग भाई मुलायमसिंह के पासंग के बराबर भी नहीं थे। इसीलिए समाजवादी पार्टी के कुछ नेताओं का यह कथन थोड़ा बेहतर है कि अगर मोदीजी ने मुलायम को कुछ देना ही था तो भारत रत्न ही देना था। इन समाजवादियों को लग रहा है कि यह मुलायमजी का सम्मान नहीं, उप्र के यादव वोटों को बटोरने का पैंतरा है। 

यदि अखिलेश या उनकी पत्नी यह सम्मान लेने पहुंच गई तो भाजपा की यह रेवड़ी उसका रसगुल्ला बने बिना नहीं रहेगी। अखिलेश के लिए भाजपा ने यह बड़ी दुविधा पैदा कर दी है। भाजपा के कुछ नेताओं को ऐसा भी लग रहा है कि यदि मुलायमसिंह को वे अपना बना लें तो अखिलेश को हाशिए में सरकाना उनके बाएं हाथ का खेल होगा। उनकी एक रणनीति यह भी हो सकती है कि अगले चुनाव में भाजपा और सपा का गठबंधन बन जाए। जहां तक अखिलेश का सवाल है, उसे डॉ लोहिया के समाजवादी सिद्धांतों का कोई खास आग्रह भी नहीं है और जानकारी भी नहीं है। इसीलिए भाजपा के साथ गठबंधन करने में सपा को ज्यादा कठिनाई भी नहीं होगी। यह सम्मान गजब का पैंतरा भी सिद्ध हो सकता है।

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