मोदी सरकार OBC आयोग को जल्द देगी संवैधानिक दर्जा, खुलेगा पिछड़ों की समृद्धि का रास्ता
नई दिल्ली: केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार ओबीसी आयोग को जल्द ही संवैधानिक दर्जा देगी। पिछड़े वर्गों के अधिकारों को व्यापक संवैधानिक दर्जा देने से बड़ी संख्या में मुस्लिम समाज भी सामाजिक न्याय के सफर का हिस्सा बन सकेगा।
पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने वाले कानून के बनते ही मुस्लिम समाज के कहार, केवट-मल्लाह, कुम्हार, कुंजड़ा, गुज्जर, गद्दी-घोसी, कुरैशी, जोगी, माली, तेली, दरजी, नट, फकीर, बंजारा, बढ़ई, भुर्जी, भटियारा, चुड़िहार, मोमिन-जुलाहा, मुस्लिम कायस्थ, मंसूरी, धुनिया, बेहना, रंगरेज, लोहार, हलवाई, हज्जाम, लाल बेगी, धोबी, मेव, भिश्ती, मदारी, मोची, राज-मिस्त्री, कलवार आदि वर्ग के लोग सशक्तिकरण के विभिन्न कार्यक्रमों-योजनाओं का लाभ उठाने के संवैधानिक हकदार हो जाएंगे।
अभूतपूर्व निर्णय
केंद्रीय अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने शुक्रवार को कहा, कि 'पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देना आजादी के 70 साल बाद किसी सरकार का समाज के गरीब, दूर-दराज के क्षेत्रों में जीवन-यापन कर रहे पिछड़ा समाज के हितों में लिया गया एक ऐतिहासिक, दूरदर्शी और अभूतपूर्व निर्णय है।' उन्होंने कहा, कि 'बीजेपी की केंद्र सरकार की ओर से समाज के कमजोर वर्गों को न्याय देने के लिए लंबे समय से अपेक्षित मांग को पूरा करने जा रही है। इस ऐतिहासिक फैसले से समाज के सभी पिछड़े वर्ग के लोगों को न्याय मिलेगा।'
विपक्षी पार्टियों ने किया था विरोध
हाल ही में संपन्न बजट सत्र के दौरान लोकसभा में पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने वाला बिल पास हो गया। लेकिन राज्यसभा में कांग्रेस, सपा, बसपा, तृणमूल कांग्रेस, कम्युनिस्ट पार्टी, जनता दल (यू) सहित कई दलों ने इसे पास नहीं होने दिया, जिससे पिछड़े वर्गों के अधिकारों की रक्षा करने वाला एक बड़ा कानून लटक गया था। उन्होंने आरोप लगाया कि देश में लंबे समय तक शासन में रहने के बावजूद कांग्रेस ने पिछड़ा वर्ग के हितों के लिए कुछ नहीं किया। आजादी के बाद काका कालेलकर कमीशन (1950) और मंडल आयोग (1979) की रिपोर्ट के बावजूद भी तत्कालीन कांग्रेस की सरकारों ने इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया।
एनडीए ने लोकसभा में पारित कराया
मौजूदा पिछड़ा वर्ग आयोग एक साधारण कानूनी निकाय है, जिसका कार्य सरकार को जातियों/समुदायों की सूचियों में शामिल करने अथवा निकालने के संबंध में सलाह देना है। 'नेशनल कमीशन फॉर सोशल एंड एजुकेशनली बैकवर्ड क्लासेज (एनएसईबीसी)' को सांविधिक निकाय के रूप में एनसीएससी और एनसीएसटी के बराबर का दर्जा मिल जाएगा। इस अहम निर्णय को लागू करने के संबंध में ओबीसी संसदीय समिति की सिफारिश भी आई और सभी दलों के सांसदों ने व्यक्तिगत रूप से पीएम से मुलाकात कर इस संबंध में संविधान में संशोधन करने का आग्रह किया था। इस दिशा में एनडीए सरकार ने ठोस कदम उठाते हुए इसे लोकसभा में 10 अप्रैल, 2017 को सर्वसम्मति से पारित भी करा लिया।
लेकिन यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि देश के पिछड़े तबके के लोगों को सशक्त बनाने और उन्हें न्यायिक रूप से और मजबूत करने की दिशा में उठाए गए इस कदम को राज्यसभा में विरोध कर रोक दिया गया।
विपक्षी दलों का रुख बेहद निराशाजनक
नकवी ने कहा, कि 'राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने से जुड़े संविधान 123वें संशोधन विधेयक को राज्यसभा में विपक्ष के विरोध के कारण 11 अप्रैल को प्रवर समिति के पास भेज दिया गया।' वे आरोप लगाते हैं कि कांग्रेस, सपा, बसपा और अन्य विपक्षी दलों का यह रुख बेहद निराशाजनक एवं दुर्भाग्यपूर्ण है। कांग्रेस एवं कुछ अन्य विपक्षी दलों ने जिस तरह से राज्यसभा में इसका विरोध किया है, पिछड़े वर्ग को लेकर इन दलों की मनोस्थिति लोगों के सामने आ गई है।
ओडिशा राष्ट्रीय कार्यकारिणी में भी प्रस्ताव पारित किया
नकवी ने कहा, कि केंद्र सरकार ओबीसी आयोग संविधान संशोधन विधेयक को पारित कराने को लेकर प्रतिबद्ध है। पिछड़े वर्गों के अधिकारों को संवैधानिक दर्जा देने के प्रति बीजेपी की सक्रियता और गंभीरता इस बात से स्पष्ट होती है कि बीजेपी ने ओडिशा में 15-16 अप्रैल, 2017 को संपन्न राष्ट्रीय कार्यकारिणी में इस विषय पर अलग से प्रस्ताव पारित किया।
देशभर में होगी 100 सभाएं
उन्होंने कहा कि देशभर में ओबीसी को संवैधानिक तौर पर मिले अधिकारों की जागरूकता को लेकर बीजेपी की ओर से 100 सभाएं की जाएंगी। इन सभाओं के जरिए ओबीसी के दायरे में वाले मुस्लिम समेत अल्पसंख्यक समुदाय को उनके संवैधानिक अधिकारों के प्रति जागरुक किया जाएगा। केंद्र की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार की ओर से ओबीसी के लिए चलायी जाने वाली योजनाओं के बारे में जानकारी भी दी जाएगी।