स्वदेशी का मतलब हर विदेशी सामान का बहिष्कार नहीं: मोहन भागवत
स्वदेशी का मतलब हर विदेशी सामान का बहिष्कार नहीं है। केवल उन्हीं प्रौद्योगिकियों या सामग्रियों का आयात किया जा सकता है, जिनका देश में पारंपरिक रूप से अभाव है या जो स्थानीय रूप से उपलब्ध नहीं हैं।
नई दिल्ली: स्वदेशी का मतलब हर विदेशी सामान का बहिष्कार नहीं है। केवल उन्हीं प्रौद्योगिकियों या सामग्रियों का आयात किया जा सकता है, जिनका देश में पारंपरिक रूप से अभाव है या जो स्थानीय रूप से उपलब्ध नहीं हैं।
विदेशों में जो कुछ है, उसका बहिष्कार नहीं करना है लेकिन अपनी शर्तो पर लेना है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति से भारत को अपने लोगों की क्षमता और पारंपरिक ज्ञान का एहसास होगा।
उक्त बातें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कही। उन्होंने भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए हाल ही में लाई गई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को सही कदम बताया।
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अनुभव आधारित ज्ञान को बढ़ावा देने की जरूरत
आरएसएस प्रमुख ने वर्चुअल बुक लांच कार्यक्रम में कहा कि आजादी के बाद अपने लोगों के ज्ञान और क्षमता की ओर नहीं देखा गया। हमें अपने देश में उपलब्ध अनुभव आधारित ज्ञान को बढ़ावा देने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि हमें इस बात पर निर्भर नहीं होना चाहिए कि हमारे पास विदेश से क्या आता है। यदि हम ऐसा करते हैं तो हमें अपनी शर्तों पर करना चाहिए।
स्वतंत्रता के बाद जैसी आर्थिक नीति बननी चाहिए थी, वैसी नहीं बनी। आजादी के बाद ऐसा माना ही नहीं गया कि हम लोग कुछ कर सकते हैं। अच्छा हुआ कि अब शुरू हो गया है।
मोहन भागवत ने कहा कि स्वतंत्रता के बाद जैसी आर्थिक नीति बननी चाहिए थी, वैसी नहीं बनी। आजादी के बाद ऐसा माना ही नहीं गया कि हम लोग कुछ कर सकते हैं। अच्छा हुआ कि अब शुरू हो गया है।
मोदी सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति को दी हरी झंडी
बीते दिनों मोदी कैबिनेट की बैठक में नई शिक्षा नीति (New education policy) को हरी झंडी दे दी गई । 34 सालों के बाद शिक्षा नीति में कोई बदलाव किए गए हैं।
केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि तीन दशक बाद भारत की नई शिक्षा नीति आई है। स्कूल-कॉलेज की व्यवस्था में बड़े बदलाव किए गए हैं।
HRD का नाम हुआ शिक्षा मंत्रालय
बता दें कि मोदी सरकार बनने के बाद से ही नई शिक्षा नीति लागू करने की चर्चा तेज हो गई थी। इसके अलावा मानव संसाधन विकास मंत्रालय (MHRD) का नाम बदलकर अब शिक्षा मंत्रालय कर दिया गया है। जो की एक बड़ा और महत्वपूर्ण बदलाव है।
नई शिक्षा नीति में इन चीजों में होंगे बदलाव
नई शिक्षा नीति (New education policy) में प्राइमरी क्लासेस से लेकर बोर्ड परीक्षाओं तक, रिपोर्ट कार्ड से लेकर यूजी एडमिशन के तरीके तक और एमफिल तक बहुत कुछ बदला है।
तो चलिए आपको बताते हैं कि आखिर इस नई शिक्षा नीति के लागू होने से क्या-क्या बदलाव होने वाले हैं और इससे बच्चों की पढ़ाई पर कैसा फर्क पड़ेगा।
व्यावसायिक शिक्षाओं को नई शिक्षा नीति के दायरे में लाया जाएगा
इस नीति की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि स्कूली और उच्चा शिक्षा के साथ-साथ कानूनी शिक्षा, चिकित्सा शिक्षा, कृषि शिक्षा, और तकनीकी शिक्षा जैसी व्यावसायिक शिक्षाओं को इसके दायरे में लाया गया है। जिसका उद्देश्य स्टूडेंट्स को पढ़ाई के साथ-साथ किसी लाइफ स्किल से सीधा जोड़ना है।
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अब मेन कोर्स में शामिल होंगे आर्ट, स्पोर्ट्स
वहीं अब तक आर्ट, क्राफ्ट, स्पोर्ट्स, योग और म्यूजिक को अपने एक्स्ट्रा करिकुलर (Extra curricular) या को- करिक्यूरल (co curricular) के तौर पर पढ़ाया जाता था, लेकिन नई शिक्षा नीति में ये सभी मेन कोर्स (Main course) का हिस्सा होंगे। इन्हें एक्स्ट्रा करिकुलर नहीं कहा जाएगा।
एक कोर्स के बीच दूसरा कोर्स
इसके अलावा नई शिक्षा नीति के तहत एक कोई स्टूडेंट अगर कोर्स के बीच में दूसरा कोर्स करना चाहता है तो वो पहले कोर्स से एक लिमिटेड समय के लिए ब्रेक लेकर कर सकता है।
सरकार ने बताया कि मौजूदा व्यवस्था के तहत कोई छात्र अगर चार साल इंजीनियरिंग पढ़ने के बाद या छह सेमेस्टर पढ़ने के बाद आगे नहीं पढ़ सकता है तो उसके पास कोई विकल्प नहीं है। छात्र आउट ऑफ द सिस्टम हो जाता है।
ऐसे मिलेंगे अब सर्टिफिकेट और डिग्री
लेकिन नए सिस्टम के तहत छात्र को एक साल के बाद सर्टिफिकेट, दो साल के बाद डिप्लोमा, तीन या चार साल के बाद डिग्री मिल सकेगी। सरकार के मुताबिक, मल्टीपल एंट्री थ्रू बैंक ऑफ क्रेडिट (Multiple Entry Through Bank of Credit) के तहत छात्र के फर्स्ट और सेकंड ईयर के क्रेडिट डिजीलॉकर के जरिए क्रेडिट रहेंगे।
जीडीपी का कुल 6 फीसदी शिक्षा पर होगा खर्च
सरकार ने बताया कि अब जीडीपी का कुल 6 फीसदी शिक्षा पर खर्च होगा। अभी के समय में शिक्षा पर भारत की जीडीपी का 4.43 प्रतिशत हिस्सा खर्च होता है। एक अच्छा टीचर ही एक स्टूडेंट को बेहतर शिक्षा दे सकता है। इसलिए आयोग ने टीचर्स के प्रशिक्षण पर खास जोर दिया है।
इसलिए व्यापक सुधार के लिए शिक्षक प्रशिक्षण और सभी शिक्षा कार्यक्रमों को यूनिवर्सिटीज या कॉलेज के स्तर पर शामिल करने की सिफारिश की गई है।
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उच्च शिक्षा के लिए होगी एक ही रेगुलेटरी बॉडी
नई शिक्षा नीति को मंजूरी मिलने के बाद से अब पूरे उच्च शिक्षा क्षेत्र के लिए एक ही रेगुलेटरी बॉडी (Regulatory body) होगी। जिससे शिक्षा क्षेत्र में अव्यवस्था खत्म हो सके।
शिक्षा मंत्रालय ने उच्च शिक्षा (Higher education) के लिए एक ही रेगुलेटरी बॉडी नेशनल हायर एजुकेशन रेगुलेटरी अथॉरिटी (NHERA) या हायर एजुकेशन कमिशन ऑफ इंडिया तय किया है।
नए राष्ट्रीय पाठ्यक्रम का फ्रेमवर्क तैयार करने पर जोर
शिक्षा मंत्रालय का एक नए राष्ट्रीय पाठ्यक्रम का फ्रेमवर्क तैयार करने पर जोर है, ताकि प्राथमिक स्तर पर दी जाने वाली शिक्षा की क्वालिटी सुधारी जा सके।
इस फ्रेमवर्क में 21वीं सदी के कौशल, अलग-अलग भाषाओं के ज्ञान, कोर्स में खेल, कला और वातारण से जुड़े टॉपिक भी शामिल किए जाएंगे।
वहीं कहा जा रहा है कि न्यू नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क में ईसीई, स्कूल, टीचर्स और एडल्ट एजुकेशन को जोड़ा जाएगा। बोर्ड एग्जाम को भाग में बांटा जाएगा। जानकारी के मुताबिक, अब बोर्ड दो बोर्ड परीक्षाओं के तनाव को कम करने के लिए तीन बार भी परीक्षा करा सकता है।
रिजल्ट कार्ड में आएंगे ये बदलाव
इसके अलावा अब बच्चों के रिपोर्ट कार्ड में लाइफ स्किल्स को जोड़े जाने की योजना है। जैसे अगर स्टूडेट ने स्कूल में कुछ भी रोजगारपरक सीखा होगा तो उसे भी रिपोर्ट कार्ड में शामिल किया जाएगा। जिससे बच्चों में लाइफ स्किल्स का भी विकास हो सकेगा। अभी तक रिपोर्ट कार्ड में ऐसा कुछ नहीं होता था।
2030 तक हर बच्चे के लिए शिक्षा सुनिश्चित करने का लक्ष्य
वही सरकार का साल 2030 तक हर बच्चे के लिए शिक्षा सुनिश्चित करने का लक्ष्य है। इसके लिए एनरोलमेंट को सौ फीसदी तक लाने का लक्ष्य रखा गया है।
इसके अलावा स्कूली शिक्षा के निकलने के बाद हर बच्चे के पास लाइफ स्किल भी होगी। जिससे वह जिस भी क्षेत्र में काम करना चाहता है वो आसानी से कर सकता है।
कॉमन एंट्रेंस एग्जाम का ऑफर
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी की ओर से उच्च शिक्षा संस्थानों (Higher education institutions) में प्रवेश के लिए कॉमन एंट्रेंस एग्जाम का ऑफर दिया जाएगा।
इस नई नीति के मुताबिक, NTA को अब देश भर के यूनिवर्सिटीज में प्रवेश के लिए एंट्रेंस एग्जाम आयोजित करने के लिए एडिशनल चार्ज दिया जाएगा। जिसमें वह हायर एजुकेशन के लिए कॉमन एंट्रेंस परीक्षा का आयोजन कर सकता है।
फर्स्ट और सेकेंड क्लास में भाषा और गणित पर काम करने पर जोर
वहीं नई शिक्षा नीति में फर्स्ट और सेकेंड क्लास में भाषा और गणित पर काम करने पर जोर देने की बात कही गई है। वहीं 4th और 5th बच्चों के साथ लेखन कौशल पर काम करने पर जोर देने की बात शामिल है। इसके लिए भाषा सप्ताह, गणित सप्ताह व भाषा मेला या गणित मेला जैसे आयोजित किए जाएंगे।
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दूसरे माध्यमों से सिखाने पर जोर
नई शिक्षा नीति में बच्चों को किताबों के अलावा दूसरे माध्यमों से सिखाने पर जोर दिया गया है। इसमें पुस्तकालयों को जीवंत बनाने और अन्य एक्टिविटी कराने को ध्यान देने की बात कही गई है। जिससे बच्चे स्टोरी टेलिंग, ग्रुप स्टडी, डिस्प्ले, पोस्टर और रंगमंच से भी सीखें।
गिफ्टेड चिल्ड्रेन और गर्ल चाइल्ड के लिए विशेष प्रावधान
एनसीईआरटी की ओर से अर्ली चाइल्डहुड केयर और एजुकेशन के लिए करिकुलम तैयार किया जाएगा। जो कि तीन से छह साल के बच्चों के लिए डेवलप किया जाएगा। इसमें बुनियादी शिक्षा के लिए फाउंडेशनल लिट्रेसी एवं न्यूमेरेसी पर नेशनल मिशन शुरू किया जाएगा।
इसके लिए नई शिक्षा नीति में गिफ्टेड चिल्ड्रेन और गर्ल चाइल्ड के लिए विशेष प्रावधान भी किया गया है। इसके अलावा कक्षा 6 के बाद से ही वोकेशनल स्टडी को जोड़ा जाएगा।
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